पुलिस का दावा है खोखला  
पुलिस भले ही लाख दावे करे, लेकिन ट्रेन व बस में सेफ्टी के खास अरेंजमेंट्स नहीं दिखते। पटना Žलास्ट के लिए विस्फोटक आधे रास्ते तक ट्रेन से फिर बाद में सडक़ मार्ग से ले जाए गए थे। एनआईए की जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है। सिटी से चलने वाली बसेस के थ्रू आसानी से विस्फोटक आ अन्य चीजों की सप्लाई की जा सकती है।

मार्केट में इजिली अवेलेबल
बम बनाने के कुछ सामान मार्केट में इजिली अवेलेबल हैं। नक्सली व टेरस्ट्सि बम बनाने में फास्फोरस, पतला वायर, टाइमर वॉच आदि का यूज करते हैं। पुलिस अगर दुकानदारों पर विश्वास कायम करे या उन्हें स्ट्रिक्टली यह डाइरेक्शन दिया जाए कि इस तरह के सामानों की खरीदारी करने वालों की वे लिस्ट बनाएं या ऐसे सामान की बल्क में खरीदारी करने वालों के बारे में पुलिस को इंफॉर्म करे, तो उनके क्रिमिनल एक्टिविटीज पर रोक लगायी जा सकती है।

सामने आ चुकी है बात
स्टेट में सिमी व इंडियन मुजाहिदीन की पैठ की बात तो कई बार सामने आ चुकी है और पटना व बोधगया Žलास्ट के बाद तो यह स्टैबलिश हो गया है। सिमी व इंडियन मुजाहिदीन के कनेक्शन स्टेट में तो है ही, सिटी से भी इनका तार जुड़ा हुआ है। यहां से टेररिस्ट्स को अरेस्ट भी किया जा चुका है। हैरत की बात यह है कि इतना सब होने के बावजूद स्टेट में रेंटर वेरीफिकेशन का कोई कांसेप्ट नहीं है। पुलिस ने इससे पहले सिटी में इसका प्रयास भी किया था, लेकिन उसे पूरी तरह से अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।

रांची में हुई थी खरीदारी
नरेन्द्र मोदी की रैली से ठीक पहले पटना के गांधी मैदान में हुए Žलास्ट के बाद यह बात सामने आयी थी कि टेरस्ट्सि द्वारा असम से बम बनाने का सामान लाया गया था। यह बात सामने आ गई है कि बम बनाने के लिए यूज होने वाले सामानों की खरीदारी रांची में ही की गई थी। इनमें टाइमर वॉच, सिलेंडर्स, बॉल व बियरिंग्स के साथ ही कई और सामान शामिल हैं।


एनआईए की टीम अपनी जांच कर रही है और इसके बारे में कोई भी खुलासा करना मुनासिब नहीं होगा। जहां तक बम बनाने के सामानों की खरीद-बिक्री की बात है तो इस संबंध में पुलिस के डाइरेक्शन इश्यू किया जाता है।
-संपत मीणा, नोडल ऑफिसर एनआईए, झारखंड

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