छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : अगले माह से एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट) टीबी की जांच व इलाज की सुविधा सिटी में ही संभव होगा। एमडीआर टीबी के जांच के लिए अमेरिका से करोड़ों की जीन एक्सपर्ट मशीन लायी जा रही है। वहीं दूसरी ओर इलाज के लिए खासमहल स्थित सदर हॉस्पिटल में दस बेड का एमडीआर वार्ड बनाया गया है। यह सुविधा शुरु होते ही इलाज व जांच के लिए रांची व अन्य शहर नहीं जाना होगा।

ढ़ाई घंटे में मिलेगी जांच रिपोर्ट

जीन एक्सपर्ट मशीन के माध्यम से ढ़ाई घंटे में ही जांच की रिपोर्ट मिल जाएगी। मशीन के लिए टीबी हॉस्पिटल में अलग से एक स्पेशल रूम (वातानुकूलित) तैयार किया गया है। इसमें 24 घंटे बिजली आवश्यक है। पावर बैकअप के लिए पांच किलोवाट के इनवर्टर की व्यवस्था की गई है। क्योंकि, जांच के दौरान पावर कट होने से बलगम का नमूना बेकार हो जाएगा। जांच में प्रयोग होने वाले कार्टेज को आठ डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर रखा जाएगा।

सरकारी हॉस्पिटल में फ्री चेकअप

टीबी की गंभीर बीमारी (एमडीआर) से पेशेंट्स पीडि़त है या नहीं, यह सिर्फ ढ़ाई घंटे में पता चल जाएगा। अभी तक इस जांच के लिए एक से दो माह तक का इंतजार करना पड़ता है। सरकारी हॉस्पिटल में यह टेस्ट फ्री होगा, जबकि निजी हॉस्पिटल में इस जांच का शुल्क करीब सात हजार देना पड़ता है।

क्या है एमडीआर टीबी

टीबी की अगली स्टेज एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) होती है। टीबी की दवाओं का असर जब पेशेंट्स पर नहीं होता तो पेशेंट्स एमडीआर से पीडि़त होता है। इस स्थिति में डॉट प्लस थैरेपी से पेशेंट्स को दवाएं दी जाती हैं।

यह होंगे फायदे

-सरकारी अस्पतालों के मरीजों की होगी फ्री जांच

- रांची नहीं भेजना पड़ेगा बलगम का नमूना।

- महीनों के बजाय ढ़ाई घंटे में मिलेगी जांच रिपोर्ट।

- जांच के बाद तत्काल व सटीक होगा इलाज।

- मशीन से फायदा करने वाली दवाओं की भी होगी जानकारी।

फैक्ट फाइल

- डाट्स की दवाओं को 6 महीने से

पहले छोड़ने की वजह से होता है एमडीआर टीबी।

- देश में कुल एक लाख लोग एमडीआर टीबी से ग्रसित हैं।

- मात्र पाच हजार एमडीआर टीबी पेशेंट्स का ही होता है सरकारी इलाज।

- दुनिया में टीबी का हर पांचवा नया मामला भारत में ही सामने आता है।