- हाईकोर्ट ने टीईटी-2017 के चौदह प्रश्नों के अंक हटाने के निर्देश दिए

- नए सिरे से बनेगी मेरिट, एक माह में घोषित होगा परिणाम

LUCKNOW :

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को तगड़ा झटका देते हुए राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी)- 2017 के चौदह प्रश्नों के अंक हटाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा-2018 टालने को कहा है। यह परीक्षा 12 मार्च को होने वाली है। कोर्ट ने कहा है कि टीईटी के चौदह गलत प्रश्नों के नंबर हटाकर नए सिरे से परिणाम घोषित किया जाये। इसके लिए सरकार को एक महीने का समय दिया गया है। यह आदेश जस्टिस राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने टीईटी-2017 को चुनौती देने वाली तीन सौ से अधिक रिट याचिकाओं को एक साथ निस्तारित करते हुए दिया है।

एनसीटीई के तहत नहीं कराई गई परीक्षा

इन याचिकाओं में कहा गया था कि उक्त परीक्षा एनसीटीई के दिशा निर्देशों के तहत नहीं कराई गई थी। यह भी कहा गया कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी के सचिव के परिपत्र के तहत जो पाठ्यक्रम अपनाया गया, कई प्रश्न उससे बाहर के पूछे गए थे। कई प्रश्नों के एक से अधिक विकल्प दिये गए थे। याचियों ने इस आधार पर टीईटी-2017 रद करने की मांग की थी। दूसरी ओर महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने सरकार का पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि टीईटी में असफल अभ्यर्थियों को परिणाम को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। कहा कि एनसीटीई के दिशानिर्देश बाध्यकारी नहीं हैं और सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा को टाला नही जा सकता।

शीघ्र सुनवाई में डाली अड़चन

कोर्ट ने महाधिवक्ता के तर्को से सहमति नहीं जताई और कहा कि टीईटी में ऐसे लाखों शिक्षामित्र शामिल हुए थे जिन्हें सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला था। वे टीईटी पास कर नियमित शिक्षक बनने की कोशिश में लगे हैं। ऐसे भी अभ्यर्थी थे जिन्होंने बीटीसी पास कर रखी थी और कुछ शिक्षा मित्र के रूप में भी काम कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे में यह परीक्षा काफी महत्वपूर्ण थी। जब परीक्षा में गड़बड़ी साफ दिख रही है तो याचिकाओं में दखल न देना उचित प्रतीत नहीं होता है। अपने आदेश में कोर्ट ने तारीखवार ब्योरा भी लिखाया कि किस प्रकार सरकार की ओर से इस मामले में शीघ्र सुनवाई में अड़चन डाली गई।

पेपर सेटर्स पर डाली जिम्मेदारी

कोर्ट ने परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण की सचिव डॉ। सुक्ता सिंह के जवाबी हलफनामा का जिक्र करते हुए कहा कि उक्त जवाब में कहा गया है कि पेपर सेट करने की जिम्मेदारी पेपर सेंटर्स की होती है। इस जवाब से ही स्पष्ट है कि अनियमितता न सिर्फ स्वीकार की जा रही है बल्कि इसकी जिम्मेदारी पेपर सेटर्स के कंधों पर डाली जा रही है। गौरतलब है कि टीईटी 15 अक्टूबर, 2017 को कराई गई। कोर्ट ने पाया कि इसमें आठ प्रश्न गलत थे। संस्कृत भाषा के दो प्रश्नों के विकल्प गलत थे। चार प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर के थे तथा भाषा विषय में उचित नंबर के प्रश्न नहीं थे।