Lucknow : टीचर्स एलिजिबिलटी टेस्ट (टीईटी ) में हुई हेराफेरी में माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को सिर्फ मोहरा बना कर सलाखों के पीछे किया गया है जबकि इसके असली मास्टर माइंड अभी बाहर हैं। जिन्होंने इस खेल की सारी गोटियां बिछाई हैं। पुलिस के सूत्रों की मानें तो इस मामले में एनआरएचएम की तरह शासन में बैठे कई अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं।

इसका खुलासा डायरेक्टर संजय मोहन भी अपनी गिरफ्तारी के समय कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि छूटने के बाद वह इस खेल के असली खिलाडिय़ों को वह बेनकाब करेंगे। वहीं शनिवार को डीसी कनौजिया के स्थान पर चंद्रिका प्रसाद को डायरेक्टर का चार्ज दे दिया गया। वे अब तक विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे।

कोई बोलने को तैयार नहीं

टीईटी हेराफेरी के मामले में डायरेक्टर संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुंह पर ताले पड़ गए हैं। इस मामले में हर कोई चुप्पी साधे हुए है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि टीईटी कराने की जिम्मेदारी अकेले संजय मोहन की नहीं थी। इसमें माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी और शासन में बैठे कई अधिकारी शामिल थे।

सवाल यह उठता है कि अगर टीईटी में 800 कैंडीडेट्स के रिजल्ट के साथ छेड़छाड़ हुई है तो इसकी खबर किसी को क्यों नहीं हो पाई। वही कुछ अधिकारियों का कहना है कि संजय मोहन अक्टूबर में रिटायर हो रहे है। ऐसे में जिस एग्जाम पर शुरु से ही तोहमत लगती आ रही थी उसमें वह हाथ नहीं डालते।

नियुक्तियों की भी जांच शुरु

माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक संजय मोहन काफी समय से वनवास काट रहे थे। केके त्रिपाठी के रिटायर होने के बाद इनको विभाग का निदेशक बना दिया गया। सूत्रों की मानें तो इनको निदेशक बनाने में पूर्वांचल के एक बाहुबली सांसद ने अहम रोल अदा किया था। उस समय उनका मकसद टीईटी एग्जाम को मैनेज करना नहीं था बल्कि प्रदेश के इंटर कॉलेज में खाली पड़ी पोस्टों को मैनेज करना था।

इसके बाद हुआ भी यही, कई नियुक्तियां अनियमित तरीके से की गई। हालांकि संजय मोहन की गिरफ्तारी के बाद इन नियुक्तियों की भी जांच शुरु हो गई है। इस जांच के शुरु होने के बाद कई नेताओं और अधिकारियों के माथे पर अभी से पसीना आने लगा है। क्योंकि इनमें बहुत से नियुक्तियां इनके रिश्तेदारों की भी की गई है। इसके साथ ही टीचर्स की नियुक्तियों में 10 लाख रुपए तक लिए गए है।

यहां से पड़ी भ्रष्टाचार की नींव

नेट एग्जाम की तरह सरकार ने टीईटी एग्जाम को भी बेसिक और माध्यमिक टीचर की काबिलियत का मापदंड बनाया था कि इस परीक्षा को पास करने वाला कैंडीडेट ही टीचर बनने के  लायक है। मगर सूत्रों की मानें तो बेसिक शिक्षा निदेशक के हस्तक्षेप के बाद टीईटी एग्जाम को चयन का आधार बना दिया गया। यानि जो कैंडीडेट्स इसमें सलेक्ट होंगे उसको मेरिट के आधार पर नौकरी दी जाएगी।

कुछ अधिकारी इसको ही भ्रष्टाचार की नींव मानते है। इस एग्जाम में हाई मेरिट मिलने के बाद नौकरी आसानी से मिल जाएगी इसलिए मेरिट बढ़ाने के लिए पैसे का खेल शुरु हो गया और बिचौलियों ने कैंडीडेट्स से मेरिट बढ़ाने के लिए पैसा लेना शुरू कर दिया।

कहां है 11 करोड़?

पुलिस की मानें तो टीईटी एग्जाम में 800 कैंडीडेट्स के रिजल्ट के साथ छेड़छाड़ की गई है। इसके लिए उनसे 1.5 लाख रुपए तक लिए गए है। इस हिसाब से यह रकम करीब 12 करोड़ रुपए बनती है। मगर अभी तक पुलिस सिर्फ एक करोड़ रुपए तक ही बरामद कर पाई है। अगर यह पैसा लिया जा चुका है तो फिर यह पैसा गया कहां। क्योंकि पुलिस ने संजय मोहन के पास से 5 लाख रुपए ही बरामद किए है।

यहां तो यह पैसा ऊपर तक पहुंच चुका है या फिर इस खेल में बिचौलियों की मौज हो गई है। क्योंकि अभी तक पुलिस अधिकारियों और बिचौलियों के बीच सारी कडिय़ां नहीं जोड़ पाई है।

कैंडीडेट्स ने कहा घोटाले की सीबीआई जांच हो

टीईटी एग्जाम में अन क्वालीफाइड कैंडीडेट्स को क्वालीफाइड बनाने के खेल का खुलासा होने के बाद कैंडीडेट्स को डर सताने लगा है कि कहीं सरकार टीईटी के एग्जाम को ही ना कैंसिल कर दे। वही कुछ कैंडीडेट्स ऐसे भी है जिनका कहना है कि अब हमारा करियर तो खराब हो ही चुका है लेकिन इस खेल के पीछे जितने भी लोग है। उनका चेहरा बेनकाब होना चाहिए और उनको भी सख्त से सख्त सजा मिलना चाहिए।

अब कर भी क्या सकते हंै

टीईटी एग्जाम की मार्कशीट बंटना शुरु हो गई है। राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज में अपनी मार्कशीट लेने आए धीरज ने बताया कि मेहनत से टीईटी का एग्जाम क्वालीफाइड किया था लेकिन उसमें हुए घपले को जानने के बाद अब लगने लगा है कि यह एग्जाम कैंसिल जरुर होगा। इसलिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ सरकार सख्त कारवाई करें और इसकी सीबीआई जांच भी कराई जाएं ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सकें।

पैसा गया और टाइम भी

टीईटी पास करने वाले रजनीश ने बताया कि टीईटी के पूरे एग्जाम में अब तक सात हजार रुपए खर्च हो चुके है और टाइम गया सो अलग। अगर यह एग्जाम कैंसिल हो जाता है तो फिर उनका पैसा जो एग्जाम में खर्च हुआ है वह डूब जाएगा। आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा। यही नहीं इसकी तैयारी में जो टाइम बरबाद हुआ है वह अलग।

वही अनीता सिंह का कहना था कि टीईटी क्वालीफाइड होने के बाद सोचा था कि नौकरी मिल जाएगी लेकिन अब लगता है कि यह सपना पूरे होने से रहा। मगर अब किया भी क्या जा सकता है।