-पुलवामा कांड के बाद डर गए थे कुंभ मेले में आए कश्मीरी दुकानदार

-लोगों के सहयोग और अच्छे व्यवहार के बाद अब सहज महसूस करने लगे हैं

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akhil.kumar@inext.co.in

PRAYAGRAJ: कुंभ मेले में कश्मीरी आइटम्स की डिमांड बढ़ रही थी। यह देख यहां स्टॉल लगाए कश्मीरी दुकानदार भी काफी खुश थे। इसी बीच अचानक 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ कॉन्वॉय पर टेररिस्ट अटैक होता है। 42 जवानों की शहादत से पूरे देश का माहौल गमगीन हो उठता है। इसका असर घर से हजारों किमी दूर रोजी-रोटी कमाने आए कश्मीरी दुकानदारों पर भी होता है। जवानों की शहादत के गम और गुस्से के बीच यह डर भी सताने लगता है कि कहीं यहां कोई हमसे न रार ठान ले। दुकानों के शटर गिरा दिए जाते हैं। एक अनजानी सी आशंका दिल में सिहरन पैदा कर देती है। धीरे-धीरे दिन गुजरने लगते हैं और आशंकाओं के बादल छंटने लगते हैं। आज फिर से कुंभ में दुकान लगाए कश्मीरी युवकों के चेहरे पर चमक लौट आई है। खुशी-खुशी ग्राहकों का सामान पैक करते वक्त चेहरे पर जो मुस्कुराहट होती है, उसमें प्रयागराज के लिए थैंक्स भी होता है। अपने घर से दूर इस अनजान जगह खुद को महफूज रखने के लिए।

एकबार को कांप गए पैर

कुंभ और माघ मेले में पिछले 22 साल से गरम और ऊनी कपड़ों की दुकान लगा रहे कश्मीर घाटी के अनंतनाग निवासी शौकत ने सोमवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट से पुलवामा कांड के बाद बदले हालात पर अपना नजरिया रखा। शौकत ने कहा कि जैसे-तैसे हमने दिन गुजारे। रात में सोने के लिए कैंप आया लेकिन नींद नहीं आई। खादी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा त्रिवेणी मार्ग पर आयोजित प्रदर्शनी परिसर में करीब 40 से अधिक दुकानों पर कारोबार कर रहे कश्मीरियों के लिए यह रात खौफनाक थी। डर लग रहा था कि कहीं कुंभ की भीड़ आक्रोश में आकर हमारे साथ कुछ गलत न कर बैठे। अगले दिन देशभर में इस हादसे के बाद हो रहे घटनाक्रमों और प्रतिक्रियाओं पर नजर रही।

पुलिस ने की मदद

इस बीच पुलिस और खुफिया विभाग की देश में आंतरिक नियंत्रण एक चुनौती था। ऐसे में प्रयागराज में डीआईजी कुंभ मेला केपी सिंह के निर्देशन में एक टीम ने सभी कश्मीरियों से मुलाकात की और उन्हें भरोसा दिलाया कि वह पूरी तरह से महफूज हैं। पुलिस द्वारा भरोसा बढ़ाने के बाद यहां रह रहे करीब 200 कश्मीरियों का हौसला बढ़ा और उन्होंने दुकान खोलनी शुरू कर दीं। इन कश्मीरियों ने बताया कि पुलवामा हादसे के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में कारोबार कर रहे लोग सुरक्षा कारणों के चलते कश्मीर चले गए हैं।

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इनसेट

उभरकर आया दर्द

एक वो कश्मीरी हैं तो सेना और सुरक्षाबलों पर पत्थर और गोलियां बरसाते हैं। एक ये कश्मीरी हैं जो दो जून की रोटी के लिए घर-बार छोड़कर हजारों मील दूर कारोबार कर रहे हैं। बातचीत के दौरान इनके चेहरों से दर्द झलका। घाटी के हालात इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि आम इंसान का जीना दूभर हो गया है। सोमवार को 5 अलगाववादियों की सुरक्षा हटाने के सरकार के फैसले को प्रयागराज में रह रहे कश्मीरियों ने सराहनीय कदम बताया।

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पहले बहुत डर लगा, अनहोनी की आशंका से दिन और मुश्किल से कट रह थे पर अब कोई दिक्कत नहीं है। मेले के चलते वैरायटी और ऑर्डर फिलहाल रोक रखा है।

-आरिफ हुसैन, अनंतनाग

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पुलवामा की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह की घटनाएं आम कश्मीरी को देशवासियों से अलग-थलग कर देती हैं। प्रयागराज की धरती को बार-बार शुक्रिया।

-सुएब, अनंतनाग

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प्रयागराज बहुत अच्छा शहर है। यहां के रहने वाले लोग बहुत अच्छे हैं। नहीं तो हर जगह छिटपुट वारदातें देखने को मिली हैं।

-शौकत, अनंतनाग

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हमें मालूम चला तो पैरों के तले से जमीन सरक गई। मैं प्रयागराज कुंभ मेले में आए सभी श्रद्धालुओं को धन्यवाद देता हूं।

-रियाज अहमद, कुपवाड़ा

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देश के जवानों पर हुए अटैक के बाद हर कश्मीरी कटघरे में खड़ा होता नजर आ रहा है। हालांकि हमें प्रयागराज में लोगों का बेहद प्यार मिला।

-शब्बीर, कुपवाड़ा