-नशे के लिए प्रतिबंधित पेन किलर का बड़ी मात्रा में हो रहा इस्तेमाल
-शहर में रोजाना धड़ल्ले से बिक रहे प्रतिबंधित 70 हजार कैप्सूल
मोहित शर्मा
Meerut। हिमाचल की टीम द्वारा मेरठ के गंगानगर से पकड़ी गई प्रतिबंधित दवा की खेप ने जहां ड्रग डिपार्टमेंट की कलई खोल दी है, वहीं प्रतिबंधित दवा की शहर में बिक्री को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पिछले चार सालों से प्रतिबंधित चल रही इस पेन किलर का जहां मेरठ में धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं इसका मासिक कारोबार भी एक करोड़ तक पहुंच गया है।
पेन किलर का नशे में यूज
दरअसल, स्पार्माप्रोक्सीवान पेन किलर कैप्सूल पेट दर्द के लिए यूज किया जाता है। पिछले कुछ सालों में इसका इस्तेमाल नशाखोरी के लिए होता रहा है, लिहाजा इसके सरकार ने कैप्सूल की खुली बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद इसके इस पेन किलर की न केवल खुली बिक्री हो रही है, बल्कि नशाखोरी के लिए इसके इस्तेमाल भी धड़ल्ले से किया जा रहा है।
एक करोड़ का कारोबार
स्पार्माप्रोक्सीवान नाम की इस प्रतिबंधित पेन किलर दवा का इस्तेमाल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेरठ में इसका मासिक कारोबार एक करोड़ से अधिक का है। जिसके हिसाब से इस दवा की साढ़े तीन लाख रुपए की रोजाना सेल होती है। 144 कैप्सूल वाले इस कैप्सूल वाले डिब्बे की थोक कीमत 570 रुपए है, जबकि रिटेल में यह 690 रुपए में सेल किया जाता है। जिसके हिसाब से एक कैप्सूल की रिटेल कीमत 4.80 रुपए है।
वेस्ट यूपी में भारी खपत
दवा कारोबार से जुड़े एक्सपर्ट की मानें तो पंजाब, हरियाणा व उत्तराखंड समेत वेस्ट यूपी के जनपदों में स्पार्माप्रोक्सीवान की भारी खपत है। नशाखौरी से जुड़े अधिकांश लोग खासकर युवा वर्ग इस पेन किलर की नशे में पड़ चुका है। यही वजह है कि इस प्रतिबंधित दवा का कारोबार यूपी समेत पड़ोसी राज्यों में भी गहरी जड़े जमा चुका है।
धीमा नशा है 'स्पार्माप्रोक्सीवान'
डॉ। तनुराज सिरोही ने बताया कि स्पार्माप्रोक्सीवान का नशे के रूप में गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एक धीमा नशा है, जिसका इस्तेमाल लंबे समय तक नशे में रहने के लिए नशेड़ी लोग करते हैं। उन्होंने बताया कि अधिकांश देखने में आया है कि ड्राइवर्स आदि तरह के लोग इस दवा का नेश के लिए अधिक इस्तेमाल करते हैं।
फैक्ट फीगर
-जपनद में दवा की थोक दुकानें --1600
-जपनद में दवा की रिटेल दुकानें --1700
-दवा का थोक कारोबार - 2 करोड़
-दवा का रिटेल कारोबार - 2.5 करोड़
बरतें सावधानी -
-दवाई खरीदने के बाद बिल जरूर लें
-बिल से ही लाइसेंस हॉल्डर का पता चलेगा
-बिल लेने से गलत कामों पर पूर्ण रोक लग सकेगी
-सरकार को भी बिल के माध्यम से टैक्स मिल सकेगा
हिमाचल की टीम ने खोली पोल
शनिवार को हिमाचल प्रदेश की टीम ने गंगानगर में छापेमारी कर एक मेडिकल स्टोर से इस प्रतिबंधित दवा के 3500 कैप्सूलों की खेप पकड़ी थी। ये दवाइयां यहां से हिमाचल में सप्लाई की जा रही है। जिसके सूचना पर टीम ने छापा मारकर न केवल दवा की खेप पकड़ी, बल्कि स्टोर के स्वामी विपिन जौहरी को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई।
स्पार्माप्रोक्सीवान पेट के दर्द की दवाई है। यह प्रतिबंधित दवा है, जो केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रप्शन पर ही दी जा सकती है। इस दवा का नशाखौरी के लिए बड़ी मात्रा में मिसयूज किया जाता है।
-डॉ। तनुराज सिरोही, अध्यक्ष आईएमए
दवाई खरीदते समय बिल अवश्य लेना चाहिए। इससे जहां सारी नकली दवाओं के रूप में की जा रही धांधली पकड़ में आ जाएगी, वहीं सरकार को भी लाभ होगा।
-रजनीश कौशल, महामंत्री केमिस्ट एंड ड्रग एसोसिएशन