दो दर्जन से अधिक बंगले

कैंट और आर्मी एरिया में करीब दो दर्जन से अधिक बंगले हैं, जो पूरी तरह से वीरान पड़े हुए हैं। जिनकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है। खास बात तो ये है कि इनमें से अधिकतर में काफी सालों से झांक कर तक नहीं देखा है। उगी हुई झाडिय़ां टूटी, खंडहर इमारतों में दिन में भी काफी डर लगता है। यहां तक कि आसपास के रहने वाले लोग भी वहां जाने में काफी घबराते हैं। जिनके बारे में न तो कैंट बोर्ड ने सोचा और न ही आर्मी लैंड और बंगलों का हिसाब किताब करने वाली संस्था डिफेंस एसटेट ऑफिस ने।

अपराधियों के पनाहगार

ये वीरान और सुनसान बंगले अपराधियों एवं असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बनते जा रहे हैं। कई बार ऐसे बंगलों में संदिग्ध लोगों भी देखा गया है, जिसके कारण लोगों को काफी परेशानी भी उठानी पड़ी है। वहीं कोई भी वारदात करने के बाद इन बंगलों में छिपना और कुछ दिन गुजारना फरार हो जाना काफी आसान है। ऐसा कई बार हो भी चुका है। ये बंगले इतने घने हैं कि इनमें अपने आपको को गुप्त रखना काफी आसान काम है। किसी को भी यकीन नहीं होगा कि यहां इंसान भी रह सकते हैं।

शक्ति मिल बनने का डर

कैंट बोर्ड को अब ये डर सताने लगा है कि कहीं ये बंगले 'शक्ति मिलÓ का रूप न धर लें। मुंबई गैंगरेप कांड के बाद सामने आई 'शक्ति मिलÓ के बारे में यही कहा गया था कि ये मिल काफी सालों से बंद और पूरी तरह से वीरान पड़ी हुई थी। जहां किसी का भी आना जाना नहीं था। मामला सामने आने के बाद पता चला कि वहां पिछले दो सालों से लड़कियों के साथ बलात्कार को अंजाम दिया जा रहा था। जिसके कारण कैंट बोर्ड को लगा कि जल्द से जल्द इन बंगलों के बारे में सोचा जाना काफी जरूरी है।

किए जाएंगे चिह्नित लगेंगे बोर्ड

इसके लिए कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने अपने एंड से काम करना शुरू भी कर दिया है। कैंट बोर्ड अधिकारियों की माने तो उन तमाम बंगलों को चिह्नित किए जाएंगे जो वीरान और जंगल का रूप धारण कर चुके हैं। जिसके बार वहां 'नो एंट्रीÓ, 'ये आम रास्ता नहीं हैÓ, 'इस बंगले में जाना मना हैÓ आदि बोर्ड लगाए जाएंगे। ताकि आम लोगों के अलावा असामाजिक तत्व के लोगों को भी संकेत मिल जाएं कि जो भी इन बंगलों में जाएगा वो कैंट बोर्ड के नजरों में होगा।

कैंट एरिया के प्रमुख भुतहा बंगले

छावनी में ऐसे कई बंगला नुमा जंगल हैं, जिनसे छावनी ही नहीं यहां रहने वाली पब्लिक के लिए भी बड़ा खतरा है। बंगला नंबर 71 टेलीफोन एक्सचेंज के पास, बंगला नंबर 205, 297, 298, 299, क्लीमेंट स्ट्रीट के पास हजारी का प्याऊ, बीआई लाइन स्थित बंगला नंबर 33, 34, 35 है, जो निकट भविष्य में काफी बड़ा खतरा बन सकते हैं। अगर इनकी एंट्री पर रोक नहीं की गई तो कैंट बोर्ड के अलावा आम जनता के लिए भी बड़ा खतरा बन सकते हैं।

'कैंट में ऐसे बंगलों को चिह्नित किया जा रहा है जो पूरी तरह से खंडहर और वीरान हो चुके हैं। उनके बाहर भी इस तरह के बोर्ड लगाएं जाएंगे। वैसे भी ये बंगले किसी शक्ति मिल से कम नहीं है। इन बंगलों में मुंबई गैंगरेप जैसी घटनाएं न हों। इसलिए ऐसा किया जा रहा है.'

- डॉ। डीएन यादव, सीईओ, कैंट बोर्ड

इस भूत बंगले में लग गया No entry board