PRAYAGRAJ: संतान मां का नहीं अपितु परमात्मा का जीवांश है। दो नदियों का मेल जितना गहराता है वैसे ही दो आत्माओं पति-पत्नी का मिलन, दूसरा माता-पिता और संतान की आत्माओं का मिलन भी संगम की तरह आवश्यक है। संतान मां-बाप का नहीं बल्कि मां के द्वारा परमात्मा का जीवांश ही है। यह बातें श्रीराम कथा के मर्मज्ञ मोरारी बापू ने श्री निम्बार्क नगर सेक्टर-13 में चल रही श्रीरामकथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को बताई। मोरारी बापू ने बताया कि मन से तन का मिलन और मन से मन का मिलन ठीक वायु की तरह है जो सुगंधित हवा बिखेरते हुए आगे बढ़ती जाती है। वैसे ही मन-तन का मिलन कर जन्मों-जन्मों तक आगे बढ़ता जाता है।

चौपाई के शब्द प्रदान करते हैं ज्ञान

मोरारी बापू ने चौपाई के जरिए श्रीरामकथा की महिमा बताई। उन्होंने बताया कि भगवान राम व मां सीता, भक्त हनुमान व लवकुश ने तमाम सांसारिक जीवन जीने की कला को बखूबी दर्शाया है। एक-एक शब्द एक ज्ञान प्रदान करता है। साथ में धैर्य, संयम, संघर्ष व शालीनता का पाठ पढ़ाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भगवान राम के चरित्र से बहुत कुछ जानना व समझना जरूरी है। इसके लिए तन-मन से रामकथा का ज्यादा से ज्यादा श्रवण करना चाहिए।