157 में से 11 नलकूपों पर लगा ऑटो क्लोरिनेटर प्लांट

पानी की टंकियों में नहीं डाली जा रही क्लोरिन की गोलियां

बजट जारी, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हो सका काम

Meerut। नगर निगम की लापरवाही के चलते शहर की 70 प्रतिशत जनता गंदा पीने को मजबूर है। निगम द्वारा पेयजल की व्यवस्था के लिए बनाए गई पानी की टंकियां और नलकूप लोगों के घरों में गंदा पानी सप्लाई कर रहे हैं। पानी को साफ करने के लिए जरुरी क्लोरिन की गोलियां पानी की टंकियों में नहीं डाली जा रही हैं। नलकूपों में भी क्लोरिनेटर प्लांट का काम केवल फाइलों तक सीमित है। हालात यह हैं कि क्लोरिनेटर प्लांट के अभाव में पानी बिना शुद्ध किए घरों में सप्लाई किया जा रहा है।

मात्र 11 पर क्लोरिनेटर

निगम द्वारा शहर में करीब 157 नलकूपों पर ऑटोमेटिक क्लोरीनेटर प्लांट लगाए जाने की योजना गत डेढ़ साल से अधर में अटकी हुई है। हालत यह है कि अब तक 157 में से केवल 11 नलकूपों पर ही क्लोरीनेटर सिस्टम लगाया गया है। जबकि बाकि सभी नलकूपों से डायरेक्ट पानी सप्लाई हो रहा है।

बंद पड़ा प्लांट

11 नलकूपों पर लगे क्लोरिनेटर प्लांट में क्लोरिन की दवा डालकर पानी को शुद्ध किया जाना था। मगर लापरवाही का आलम ये है कि इन 11 में क्लोरिन दवा ही नहीं डाली जा रही हैं। जिस कारण से यह प्लांट दिखावा मात्र साबित हो रहे हैं। प्लांट न लगने के कारण शहर की जनता को दूषित पानी पीना पड़ रहा है। इस मामले में हाल में ही कार्यकारिणी बैठक में नगरायुक्त मनोज कुमार चौहान ने आदेश दिये थे, लेकिन अभी तक काम अधर में है।

ऑटोमेटिक क्लोरीनेटर प्लांट के लिए बजट जारी किया जा चुका है जल्द ही काम पूरा किया जाएगा।

मनोज चौहान, नगरायुक्त

इस प्लांट के लिए कई बार कार्यकारिणी बैठक में बात उठ चुकी है लेकिन केवल आदेश कागजों तक सीमित है।

अब्दुल गफ्फार, पार्षद

नल से आने वाला पानी केवल नहाने व बर्तन धोने योग्य है। बिना फिल्टर किए ये पानी पीने योग्य नहीं है।

जफर चौधरी

क्लोरीन की गोलियां तो दूर अगर पानी की टंकियों की नियमित रुप से सफाई हो जाए तो ही पानी काफी हद तक साफ हो जाएगा।

गुलशाद