वन कंट्री-वन टैक्स की बात तो फिर जीएसटी पर सेस कहां से आया

5, 12, 18 और 28 परसेंट की दर से ही लगाई जाए जीएसटी

लग्जरी आइटम के अलावा अन्य सामानों पर सेस का नहीं होना चाहिए प्राविधान

जल्द से जल्द जीएसटी की गाइड लाइन जारी करे सरकार

ALLAHABAD: नए फाइनेंशियल ईयर यानी अप्रैल 2017 में पूरे देश में जीएसटी लागू करने की तैयारी कर रही केंद्र सरकार की जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी की दरें निर्धारित कर दी हैं। इसके बाद व्यापारियों में टैक्स दर को लेकर कंफ्यूजन दूर हो गई है। व्यापारियों के साथ ही आम पब्लिक ने 50 प्रतिशत जरूरी चीजों पर कोई टैक्स न लगाए जाने और आम उपभोग की वस्तुओं पर पांच प्रतिशत टैक्स लगाने का स्वागत किया है। लग्जरी सामान पर 28 परसेंट टैक्स के साथ ही सेस के प्राविधान को लेकर व्यापारियों ने विरोध के साथ शंका भी जताई है। व्यापारियों का कहना है कि लग्जरी आइटम पर सरकार अधिक टैक्स लगाए, लेकिन टैक्स पर सेस के प्राविधान को खत्म किया जाए। कहीं ऐसा न हो कि जीएसटी लागू होने के कुछ साल बाद 5, 12 और 18 परसेंट के टैक्स पर सेस लगा दिया जाए। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के बाद आईनेक्स्ट ने शनिवार को व्यापारियों के साथ संवाद किया तो उसमें कुछ इसी तरह की बातें उठाई गई।

जीएसटी से कंट्रोल होगी महंगाई?

संवाद की शुरुआत करते हुए इलाहाबाद किराना कमेटी के उपाध्यक्ष पियुष अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी लागू होने पर जरूरी चीजों पर टैक्स न लगने से महंगाई कम होगी। अभी दलहन और तिलहन पर चार से पांच परसेंट टैक्स लगता है। जीएसटी में ये टैक्स फ्री हो जाएगा। अन्य आइटम भी 10 से 14 की बजाय 5 परसेंट टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। सरकार यह क्लीयर करे कि कौन से सामान पांच परसेंट, 12 और 18 परसेंट के दायरे में आएंगे।

कैसे करेंगे अवेयर

बिजनेसमैन आशुतोष गोयल ने कहा कि व्यापारियों को जीएसटी की जानकारी कैसे दी जाएगी। उन्हें अवेयर करने के लिए क्या किया जाएगा, सरकार को इस पर निर्णय लेना होगा। अभी तक इस ओर सरकार का ध्यान बिल्कुल नहीं है।

महंगी होगी चिकित्सा-शिक्षा

इलाहाबाद कैट के अध्यक्ष सुमित केसरवानी ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में 5, 12, 18 और 28 परसेंट टैक्स का जो प्राविधान किया गया है, उसमें सर्विस इंडस्ट्री को 18 परसेंट टैक्स के दायरे में लाने की बात कही गई है। ऐसा हुआ तो पूरे देश में चिकित्सा व शिक्षा सेवा महंगी हो जाएगी। ये दोनों सर्विस इंडस्ट्री में शामिल हैं। अबत तक 15 परसेंट सर्विस टैक्स लगता है। जीएसटी में 18 परसेंट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वन कंट्री, वन टैक्स के बीच सेस का प्राविधान क्यों?

क्या होगी वैट की सिक्योरिटी मनी?

कैट अध्यक्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश महेंद्र गोयल ने कहा कि जिन व्यापारियों ने सीएसटी नंबर के लिए हजारों रुपये सिक्योरिटी एमाउण्ट जमा की है उनका क्या होगा। फार्म 38 के थ्रू जो व्यापारी बाहर से सामान मंगाता है, उसके लिए सीएसटी नंबर अनिवार्य है। इसके लिए करीब 25 हजार रुपये सिक्योरिटी मनी जमा होती है। यूपी के 50 परसेंट व्यापारियों ने सीएसटी नंबर लिया है।

जीएसटी लागू होने का प्रॉसिजर क्या होगा? हम व्यापारियों को क्या-क्या बदलाव करना होगा? वर्तमान वित्तीय वर्ष के स्टॉक का क्या होगा? इन सब सवालों को लेकर व्यापारी कंफ्यूज हैं।

महेंद्र गोयल

अध्यक्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश कैट

व्यापारी जीएसटी के लिए तैयार हैं, क्योंकि व्यापारी भी यही चाहते हैं कि वे टैक्स जमा करें और आराम से बिजनेस करें। लेकिन सरकार को जीएसटी के प्राविधान थोड़े सरल करने चाहिए।

पियूष अग्रवाल

उपाध्यक्ष, इलाहाबाद किराना कमेटी

जीएसटी काउंसिल ने लग्जरी आइटम पर 28 परसेंट टैक्स लगाने के साथ ही सेस लगाने की बात कही है। सेस कितने समय के लिए लगाया जाएगा? इसे क्लीयर करना होगा।

आशुतोष गोयल

व्यापारी

जीएसटी में नियम कानून को काफी सख्त बनाया गया है। इसमें छूट का प्राविधान होना चाहिए। क्योंकि व्यापारी कोई अपराधी नहीं है। जीएसटी लागू होने के बाद कम से कम तीन साल की छूट तो अवश्य देनी चाहिए।

रतन अग्रवाल

व्यापारी

जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारी जो रिटर्न दाखिल करेगा सरकार उसी रिटर्न को फाइनल माने। आगे वाले की गलती की सजा, व्यापारी को न मिले। रिटर्न मैचिंग का नियम सरल होना चाहिए।

किशन केसरवानी

व्यापारी

जीएसटी काउंसिल ने खाने-पीने की 50 प्रतिशत चीजों को एक्जम्प्टेड और खाद्यान्न को 0 प्रतिशत किया है। एक्जम्प्टेड और 0 परसेंट टैक्स में क्या अंतर है, यह भी सरकार को क्लीयर करना होगा?

सुमित केसरवानी

अध्यक्ष, कैट इलाहाबाद

व्यापारियों की ये है मांग

जीएसटी में एक रिटर्न के साथ ही क्वाटर्ली रिटर्न का प्रावधान किया जाए।

रिटर्न में गलती होने पर सुधार के लिए 90 दिन की छूट दी जाए।

रिवाईज रिटर्न का प्रॉसेज हो

टैक्स वसूलने के साथ ही अन्य कमाण्ड सेंट्रल गवर्नमेंट के पास हों

वन कंट्री वन टैक्स के रूल में मंडी टैक्स को भी शामिल किया जाए