मेहताब का इलाका

इसके आसपास भूसा मंडी, जली कोठी और मछेरान का इलाका है। जहां कितने इललीगल काम होते हैं। इस बात की जानकारी सभी को पुलिस रिकॉर्ड में मिल जाएगी। सिटी की फिजां कहां से बिगड़ती है। इस को बच्चा-बच्चा जानता है। यहां तक की पुलिस महकमा भी इस इलाके को सिटी का सबसे बड़ा संवेदनशील एरिया मानती है। इसके बावजूद भी आर्मी यहां सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं कायम करती है? क्या तोपखाना और कसेरूखेड़ा की तरह यहां की कोई खुफिया रिपोर्ट आर्मी ऑफिशियल को नहीं मिली है?

रैंप पार्क और उसके आसपास

करीब दो साल पहले औघडऩाथ रोड पर रैंप पार्क के सामने आर्मी कैंप लगा था। जहां से 108 यूनिट की तोप की पिन गायब हो गई थी। खैर वो बात दूसरी है कि वो मामला आर्मी अपने तरीके से हैंडल कर रही है। लेकिन आर्मी ऑफिशियल ने कभी इस बारे में नहीं सोचा कि रैंप पार्क में आने वाले लोग कहां से रहे हैं। उनसे आज तक आर्मी के किसी जवान के वेरीफिकेशन कार्ड नहीं मांगा। क्या आर्मी के लिए ये इलाका संवेदनशील नहीं है।

रामताल वाटिका और आसपास

22 डिवीजन हेडक्वार्टर के सामने रामताल वाटिका है, जो आर्मी क्वार्टर जमुनिया बाग से लगा हुआ है। जहां आर्मी के करीब 200 क्वार्टर्स हैं। कमांडर को क्वार्टर्स में रहने वाले लोगों के घरों में नाले का पानी दिखाई देता है। रामताल वाटिका में आने वाले लोग नहीं दिखाई देते हैं। जो कहां से आते हैं? कौन है कोई जानकारी नहीं है। इन लोगों के लिए न तो कोई पास है। और न ही इनकी चेकिंग होती है। ताज्जुब की बात तो ये है कि इंडियन ऑयल का बहुत बड़ा प्लांट है।

रेस कॉर्स और एमएच

बड़ी ताज्जुब की बात है आर्मी ऑफिशियल खटकाना गेट पर उन लोगों का पास चेक करेगा और पुलिस वेरीफिकेशन कार्ड चेक करेगा, जो तोपखाना मार्केट में शॉपिंग करने जा रहे हैं। नौकरी के लिए जा रहे हैं। लेकिन आज तक आर्मी ऑफिशियल ने रेस कॉर्स में जुआ खेलने आने वालों के लिए खुली छूट दी हुई है। न तो वहां किसी आई कार्ड चेक होता है, और न ही वहां के लोगों के बारे में उन्हें कोई जानकारी है। ये हाल तब है, जब मिलिट्री हॉस्पिटल बिल्कुल सामने है।

आर्मी इसे मानती है संवेदनशील

आर्मी ऑफिशियल की माने तो उनके लिए तोपखाना, कसेरूखेड़ा का इलाका है। जहां आर्मी के आम्र्स एम्युलेशन के साथ-साथ दो आर्मी हेडक्वाटर्स हैं, जिनकी सुरक्षा बेहद जरूरी है। आपको बता दें कि तोपखाना के पास कासमपुर इलाके में 90 फीसदी घरों में आर्मी के जवान किराएदार हैं। वहीं कसेरूखेड़ा में 50 फीसदी घरों में और तोपखाना में के 30 फीसदी घरों में आर्मी के जवान किराए पर रहते हैं।

'हमारे हिसाब से मेहताब और जलीकोठी के आसपास का इलाका सबसे संवेदनशील है। क्योंकि यहां सिटी का माहौल बिगडऩे में देर नहीं लगती है.'

- दीपक कुमार, एसएसपी

'आर्मी अपना काम कर रही है। व्यवस्था धीरे-धीरे ही लागू होगी। आज तोपखाना को सुरक्षित करना हमारा पहला मकसद है। बाकी चीजों को भी धीरे-धीरे देखा जाएगा.'

- कर्नल आरके शर्मा, एडम कमांडेंट, वेस्ट यूपी सब एरिया