- मेयो मेडिकल कॉलेज के 2012 बैच के 150 स्टूडेंट्स का मामला

- फाइनल ईयर में कॉलेज को मान्यता न मिलने के कारण नहीं हो पा रहा परमानेंट रजिस्ट्रेशन

<- मेयो मेडिकल कॉलेज के ख्0क्ख् बैच के क्भ्0 स्टूडेंट्स का मामला

- फाइनल ईयर में कॉलेज को मान्यता न मिलने के कारण नहीं हो पा रहा परमानेंट रजिस्ट्रेशन

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW :

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LUCKNOW : मेयो मेडिकल कॉलेज और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआई) की लापरवाही के कारण ख्0क्ख् बैच के क्भ्0 एमबीबीएस स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में अटक गया है। मेयो की लापरवाही के कारण उसे इस वर्ष एमसीआई से मान्यता नहीं मिली। जिस पर यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने स्टूडेंट्स को परमानेंट रजिस्ट्रेशन देने से इनकार कर दिया है। बिना परमानेंट रजिस्ट्रेशन के ये डॉक्टर प्रैक्टिस भी नहीं कर सकते हैं और पीजी में एडमिशन लेने में भी कठिनाई आ रही है। इसको लेकर छात्र छात्राओं न प्रेसीडेंट, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, चीफ जस्टिस, स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन को पत्र भेजकर करियर बचाने की गुहार लगाई है।

मेयो मेडिकल कॉलेज की बड़ी लापरवाही

स्टूडेंट्स के साथ हो रहे अन्याय में मेयो मेडिकल कॉलेज की बड़ी लापरवाही सामने आई है। कॉलेज को मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इंडिया ने ख्0क्ख् से एमबीबीएस कोर्स की अनुमति दी थी। नियमत: पहले पांच वर्ष हर साल एमसीआई की टीम कॉलेज का निरीक्षण करने के बाद उस वर्ष के बैच के एडमिशन की मान्यता देती है, लेकिन पिछले वर्ष से फैकल्टी की कमी, फर्जी मरीज सहित कई आपत्तियां लगाते हुए एमसीआई ने एमबीबीएस के लिए मान्यता नहीं दी। एमसीआई की टीम बार बार कॉलेज में इंस्पेक्शन के लिए आई लेकिन कॉलेज ने आपत्तियों/कमियों को दूर नहीं किया। जिसके कारण एमबीबीएस कोर्स को एमसीआई से मान्यता नहीं मिल सकी। इसका खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है।

ख्0क्ख् बैच का है मामला

बाराबंकी स्थित मेयो मेडिकल कॉलेज को ख्0क्ख् में पहली बार एमबीबीएस कोर्स चलाने की अनुमति मिली थी। जिसके बाद बाकायदा यूपी सीमैट एंट्रेंस एग्जाम के बाद क्भ्0 छात्र छात्राओं ने कॉलेज में एडमिशन लिया था। पिछले वर्ष कोर्स पूरा होने पर सभी स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने सभी को प्रोवीजनल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी दिया। इसके बाद सभी छात्र छात्राएं इंटर्नशिप के लिए एलिजिबल हो गए। लेकिन साल भर बाद जब परमानेंट रजिस्ट्रेशन का नंबर आया तो सभी को मना कर दिया गया.पूरे मामले में मेडिकल कॉउंसिल अॅाफ इंडिया और यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी पर भी उंगलियां उठ रही हैं।

बिना मान्यता रजिस्ट्रेशन नहीं

छात्र छात्राओं के अनुसार फ्क् मार्च को उनकी इंटर्नशिप पूरी हो गई। इसके बाद यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी में रजिस्ट्रेशन के लिए गए तो कहा गया कि कॉलेज को फाइनल ईयर की मान्यता नहीं है। इसलिए वे रजिस्ट्रेशन नहीं दे सकते। बता दें कि डॉक्टर्स को एमबीबीएस करने के बाद यूपी मेडिकल फैकल्टी में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। परमानेंट रजिस्ट्रेशन नंबर मिलने के बाद ही वे मरीजों का इलाज कर सकते है और आगे की पढ़ाई कर सकते हैं। स्टूडेंट्स का भी आरोप है कि मान्यता नहीं थी तो यूपी स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने एडमिशन की अनुमति कैसे दे दी। फिर पिछले वर्ष प्रोविजनल सर्टिफिकेट भी दे दिया। अब परमानेंट रजिस्ट्रेशन कराने की भी उनकी जिम्मेदारी है, जिसकी गलती है उस पर कार्रवाई की जाए।

आईएमए और यूपी डीए से मांगी मदद

छात्र छात्राओं ने गुरुवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) लखनऊ के प्रेसीडेंट डॉ। सूर्यकांत और उत्तर प्रदेश डॉक्टर्स एसोसिएशन (यूपीडीए) के प्रेसीडेंट डॉ। नीरज कुमार मिश्रा से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई। दोनों ने छात्र छात्राओं को पूरी मदद का आश्वासन दिया है।

मेयो मेडिकल कॉलेज को अभी मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया से स्थाई मान्यता नहीं मिली है। जिसके कारण स्टूडेंट्स का परमानेंट रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। जैसे ही केंद्र से अनुमति मिलती है सभी का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। उन्हें प्रोविजनल सर्टिफिकेट दे दिया गया था। एमसीआई से रिकग्नीशन मिलते ही परमानेंट रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। स्टूडेंट्स की पूरी मदद की जाएगी।

- डॉ। राजेश जैन, रजिस्ट्रार, यूपी मेडिकल फैकल्टी

चार साल तक एमसीआई हमें रिकग्नीशन देती रही और पांचवे साल नहीं दिया। एमसीआई और मंत्रालय की जिद के कारण ही मान्यता नहीं हो पा रही है। पिछले साल हमारे क्म् डॉक्टर्स को अमान्य कर दिया इसलिए कि वे कैंपस में नहीं रहते उनका पता लखनऊ का है। इस वर्ष दोबारा एमसीआई के इंस्पेक्शन में वही डॉक्टर मान्य हो गए। कुछ फैकल्टी दूसरे कॉलेज में थी तो पढ़ाने के लिए एलिजिबल थी और मेयो में आए तो वह एलिजिबल नहीं है। इसके कारण हमने कोर्ट में केस किया है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे।

- मधुलिका सिंह, वाइस चेयरमैन, मेयो मेडिकल कॉलेज

स्टूडेंट्स का प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन है तो उनका परमानेंट भी होना चाहिए। मामले की जांच कराएंगे। स्टूडेंट्स के करियर के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।

- डॉ। केके गुप्ता, डीजीएमई