LUCKNOW:

यूपी में हुए एनआरएचएम घोटाले से पहली बार किसी सरकार ने सबक लेते हुए दवाओं और उपकरणों की खरीद प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करने की कवायद शुरू की है। राजस्थान और तामिलनाडु की तर्ज पर अब यूपी सरकार दवाओं और उपकरणों की खरीद के लिए सेंट्रली परचेज सिस्टम लागू करेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट ने यूपी मेडिकल सप्लाइज कारपोरेशन (यूपीएमएससी) के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। राज्य सरकार एक साल के भीतर कॉरपोरेशन का गठन करने जा रही है जिसके बाद स्थानीय स्तर पर होने वाली दवाओं की लोकल परचेज पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी।

 

लोकल परचेज में भ्रष्टाचार

स्वास्थ्य मंत्री एवं राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि लोकल परचेस में भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा शिकायतें हैं। कॉरपोरेशन के गठन के बाद दवाओं और उपकरणों की सेंट्रली परचेज करने के बाद उन्हें मंडल मुख्यालयों में भेजा जाएगा, जहां से वे जिलों को आवश्यकतानुसार उपलब्ध करा दी जाएंगी। इसके साथ ही दवाओं और उपकरणों की खरीद के लिए सीएमओ को दिए जाने वाले करीब 80 फीसदी बजट को भी बंद कर दिया जाएगा। तय हुआ कि कारपोरेशन का मुखिया आईएएस अधिकारी को बनाया जाएगा जो बतौर एमडी खरीद प्रक्रिया को पूरा कराएगा। फिलहाल कॉरपोरेशन का गठन होने तक पुराने तौर-तरीकों से ही दवाओं और उपकरणों की खरीद जारी रहेगी। मालूम हो कि वर्तमान में रेट कांट्रैक्ट और सीएमएसडी के तहत टेंडर करा के खरीद होती है।

 

लोकल परचेस में भ्रष्टाचार की सबसे ज्यादा शिकायतें हैं। कॉरपोरेशन के गठन के बाद दवाओं और उपकरणों की सेंट्रली परचेज करने के बाद उन्हें मंडल मुख्यालयों में भेजा जाएगा, जहां से वे जिलों को आवश्यकतानुसार उपलब्ध करा दी जाएंगी।

 

सिद्धार्थनाथ सिंह, प्रवक्ता , राज्य सरकार

 

- 800 करोड़ की दवाओं की खरीद सालाना

- 500 करोड़ राज्य सरकार को करने होते र्ह खर्च

- 300 करोड़ नेशनल हेल्थ मिशन कराता है उपलब्ध

- 400 करोड़ रुपये के उपकरणों की खरीद होती है हर साल

- 1200 करोड़ रुपये सालाना बजट दवा और उपकरण खरीद का