-मेला एरिया में साल के पहले दिन अलाव के नाम पर खानापूर्ति भी नहीं

-मेला प्रशासन ने सौ स्थानों पर अलाव जलाने की बनाई थी योजना

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ALLAHABAD: माघ मेले में पहुंचे श्रद्धालुओं का ठंड ने पहले ही दिन जबर्दस्त इम्तिहान लिया। उस पर सितम यह रहा कि मेले में अलाव जलाने का दावा पूरी तरह से फुस्स रहा। ऐसे में संगम की रेती पर दूरदराज के क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु ठिठुरते नजर आए। गौरतलब है कि मेला प्रशासन ने पांच सेक्टर के सौ स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था का दावा तो किया था लेकिन यह हकीकत में कहीं नजर नहीं आया। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक में इक्का-दुक्का स्थानों को छोड़ दें तो कहीं भी अलाव जलता नहीं दिखा।

फोर्ट रोड चौराहे पर अलाव नहीं

सुभाष चौराहे से लेकर मधवापुर सब्जी मंडी तक अलाव के नाम पर कुछ नहीं दिखाई दिया। इसके आगे मेला क्षेत्र फोर्ट रोड चौराहे से शुरू हुआ। चौराहे पर पुलिस वाले ट्रैफिक को नियंत्रित करते दिखे। उसके आगे ट्रैफिक पुलिस लाइंस चौराहे पर पुलिस वाले ठिठुरते रहे लेकिन अलाव नहीं दिखाई दिया। ठंड इस कदर रही कि पुलिस वाले हाथ में जेब डाले किसी तरह ठंड से पार पाने की कोशिश में नजर आए।

प्रशासन कार्यालय में ठिठुरते नजर आए

रिजर्व पुलिस लाइंस में बड़ी संख्या में पुलिस के जवान अपनी ड्यूटी का ऑर्डर लेने के लिए शिविर के बाहर खड़े हुए थे। यहां भी अलाव की कोई व्यवस्था नहीं दिखी। पुलिस लाइंस से आगे बढ़ने पर करीब पांच सौ मीटर जाने के बाद जगदीश रैंप मार्ग चौराहा पर सन्नाटा था। अलाव न होने की वजह से श्रद्धालु संगम अपर मार्ग व खाक चौक कोतवाली तक चक्कर लगाते हुए दिखे। इस दौरान सिर्फ संगम लोअर मार्ग चौराहे पर ही अलाव जलता हुआ दिखाई दिया। वहां एक पुलिसकर्मी के अलावा तीन-चार लोग बैठकर ठिठुरन दूर कर रहे थे।

चार सेक्टर में सन्नाटा

पिछले साल की भांति इस बार भी मेला खाक चौक, त्रिवेणी मार्ग, काली मार्ग, गंगोत्री-शिवाला व ओल्ड जीटी रोड सेक्टर में बांटा गया है। खाक चौक के एक स्थान को छोड़कर कहीं अलाव नहीं दिखा। अन्य चार सेक्टर में भी अलाव की व्यवस्था नजर नहीं आई।

इधर-उधर भटकने में बीता दिन

मेला प्रशासन ने इस बार सौ स्थानों पर अलाव जलाने की योजना बनाई थी। मंगलवार को पहला प्रमुख स्नान पर्व पौष पूर्णिमा की वजह से मेला क्षेत्र में 31 दिसम्बर की रात में भी हजारों श्रद्धालु अपने पुरोहितों व महात्माओं के शिविर में पहुंच भी गए। लेकिन साल के पहले दिन श्रद्धालुओं को अलाव की तलाश में एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक ठिठुरते हुए भटकते रहे।

कॉलिंग

पांच वर्ष से मेले में आ रहा हूं। इस बार बहुत सुना था कि बेहतरीन सुविधा दी जाएगी लेकिन कुछ दिख नहीं रहा है। इतनी ठंड में तो अलाव की व्यवस्था पहले से ही होनी चाहिए थी।

-अमरनाथ मिश्रा, कोरांव

दस वर्षो से मेले में अलाव की ऐसी ही व्यवस्था होती है। मेला समाप्त हो जाता है लेकिन कभी पता नहीं लग पाया कि मेला प्रशासन ने कहां पर अलाव की व्यवस्था की है।

-राजमणि दास, कुंडा

हम लोग अपनी व्यवस्था न करें तो भटकना ही पड़ेगा। साल के अंतिम दिन मेला में पहुंचा तो ठंड कहर ढा रही थी। घूमकर बहुत जगहों पर देखा लेकिन अलाव नहीं मिला।

-नारायण गुरु, बादशाहपुर

अलाव तो कभी मेला में दिखाई नहीं दिया। ठंड इतनी ज्यादा है फिर भी त्रिवेणी मार्ग में कहीं भी दूर-दूर तक अलाव नहीं दिखा। लकड़ी भी नहीं दिखी कि खुद खरीदकर ठंड को कम किया जाए।

-रघुनाथ सिंह, पट्टी

ऑफिशियल स्टैंड

इस बारे में बात करने के लिए जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने मेला अधिकारी राजीव कुमार राय को फोन किया तो उनका फोन नहीं उठा। उन्हें मैसेज भी डाला गया, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।