रेलवे ने किया खुलासा

रेल विभाग ने कनफर्म टिकटों की बिक्री में लगे दलालों के एक बड़े समूह का खुलासा किया है. यह गिरोह सुबह आठ बजते ही एक मिनट के अंदर 4000 कन्फर्म टिकट खरीद लेता थे. इसके बाद इन टिकटों को जरूरतमंदों को भारी कीमत पर बेचा जाता था. गौरतलब है कि यह सारा गोरखधंधा सिर्फ 8 बजे से 8:01 के बीच ही हो जाता है. इसके बाद सामान्य लोग टिकट बुक कराते रहते थे और लोगों को वेटिंग का टिकट मिलता था. शुरु-शुरु में रेलवे को इस गोरखधंधे की भनक नहीं लगी. लेकिन कई लगातार शिकायतों के बाद रेल मंत्रालय ने मामले की जांच के आदेश दिए.

कैसे होती थी टिकटों की चोरी

रेलवे ने जांच में पाया कि कुछ दलाल कन्फर्म टिकट बुक करने से एक दिन पहले कम चर्चित ट्रेनों के कन्फर्म टिकट बुक करा लेते थे. ज्ञात हो कि रेलवे ने अंतिम मिनट पर यात्रा की डिटेल्स भरने की सुविधा दे रखी है. ऐसे में यह दलाल रेलवे की सुविधा का दुरुपयोग करते हुए कम चर्चित ट्रेनों के टिकटों में डिमांडिंग ट्रेनों की डिटेल्स भरकर टिकट बुक करा लेते थे. आईआरसीटीसी के फॉर्म में यात्री की डिटेल्स पहले से भरी होने की वजह से पूरी बुकिंग प्रक्रिया में सिर्फ कुछ सेकेंड्स लगते थे.

फिर रेलवे ने किया उपाय

इस जांच के सामने आने के बाद रेलवे ने इस सुविधा को सिस्टम शुरु होने के कुछ घंटों तक डिसेबल करना शुरु कर दिया है. रेलवे बोर्ड ट्रैफिक मेंबर अजय शुक्ला कहते हैं, 'दलाल एक दिन पहले ही अग्रिम टिकट बुक कर लेते थे और अगले दिन टिकट के डिटेल्स को बदल देते थे. बुकिंग क्लर्क को सिर्फ अन्य पीएनआर जेनरेट करना होता था क्योंकि एक दिन पहले ही डिटेल्स सिस्टम में फीड हो जाते थे. टिकट के डिटेल्स को बदलने में कुछ सेकंड्स ही लगते थे. हमने अब इस सुविधा को सिस्टम खुलने के पहले घंटे के लिए डिसेबल कर दिया है.'

अब सुधरी है स्थिति

रेलवे द्वारा सिस्टम शुरु होने के पहले कुछ घंटों तक डिटेल्स चेंज किए जाने की सुविधा डिसेबल करने से बुकिंग में बदलाव दिखाई दे रहे हैं. अब पहले मिनट में 4000 ट्रांजेक्शन नहीं होते हैं.  शुक्ला कहते हैं, 'हमारा मानना है कि ये यात्रियों द्वारा किए जाने वाले सही ट्रांजैक्शन हैं.'

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