ट्रैकिंग बन गया कोर्स

सिविल सर्विस क्वालिफाई करने वाले हर ऑफिसर के लिए तीन माह का फाउंडेशन कोर्ड अनिवार्य है। बिना इस ट्रेनिंग के आगे बढऩा संभव नहीं। लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी में होने वाली इस अहम ट्रेनिंग में यंग ऑफिसर्स को तरह-तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। चालीस वर्ष तक पीटीआई के पोस्ट पर बेहतरीन कार्य करने वाले सत्य सिंह राणा की ही देन हैैं कि ट्रैकिंग को एकेडमी ने कोर्स में शामिल कर लिया। एसएस राणा ने खुद एनआईएम(नेहरू इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनिंग) से कोर्स कंप्लीट किया। फस्र्ट इंटरनेशनल मीट गुलमर्ग 1973 में अपना परचम लहराने वाले राणा को ट्रैकिंग से विशेष लगाव है। इन्हीं की देन है कि एकेडमी में अब ट्रैकिंग को कोर्स के तौर पर शामिल कर लिया गया है।

Blood में बसी है एकेडमी

एसएस राणा ने बताते है कि एलबीएस एकेडमी उनके ब्लड में बस चुकी है। यही वजह है कि, अवकाश प्राप्त होने के बावजूद जब भी उन्हें एकेडमी में सर्विस देने के लिए बुलाया जाता है वे तैयार रहते हैैं। मिस्टर राणा बताते हैैं वर्ष 2004, 05 तक तो सिविल सर्विसेज की कंबाइंड फिजिकल ट्रेनिंग होती थी। बाद में बैच बनाए गए, जिसमें 280 से लेकर 300 तक ऑफिसर शामिल रहते हैैं। उन्होंने किन-किन ऑफिसर्स को फिजकली रूप से दक्ष बनाने का कार्य किया। इसकी ठीक-ठीक संख्या तो उन्हें याद नहीं। हां ये जरूर है कि, आज जब भी दिल्ली या देश के किसी भी हिस्से में बैठे ऑफिसर्स से उनकी मुलाकात होती है तो उन्हें पूरा सम्मान दिया जाता है।

Part time दे रहे है सर्विस

मूल रूप से जनपद टिहरी के थौलधार ब्लॉक के तिखोनी गांव निवासी सत्य सिंह राणा तीन वर्ष पहले एकेडमी से अवकाश प्राप्त कर चुके हैैं। अब एकेडमी में रेगुलर रहना नहीं होता फिर भी ख्रास मौकों पर इन्हें याद जरूर किया जाता है। बातचीत के दौरान एकेडमी के एक्स पीटीआई ने बताया यंग ऑफिसर्स के साथ बीता हर लम्हा उनके जेहन में आज भी ताजा रहता है। ट्रेनिंग देते समय इस बात का खास ध्यान रखना पड़ता था कि, कौन ऑफिसर किस क्षेत्र से आया है। उसे परिस्थिति के मुताबिक ढालने के बाद ही ट्रैकिंग पर ले जाया जाता था। आउटडोर एक्टिविटी को लेकर युवा अधिकारियों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता था। उन्होंने कहा भले ही वे एकेडमी से अवकाश प्राप्त कर चुके हैैं, लेकिन उनका लगाव और प्यार एकेडमी के प्रति आज भी वैसा ही है जैसा पहले था। इसलिए जब भी वहां से काल की जाती है वे हमेशा सेवा देने के लिए मौजूद रहते हैैं।

ऑफिसर्स को दिखाए स्टेट के ट्रैकिंग रूट

एकेडमी में नए आने वाले कई ऑफिसर पहाड़ की पृष्ठभूमि से वाकिफ नहीं होते थे। ऐसे में उन्हें ट्रैकिंग पर ले जाना चुनौती थी। पहले तो सभी को फिजिकली इस काबिल बनाया गया कि वे ट्रैकिंग रूट पर आने वाली हर दिक्कत को फेस कर सकें। इसके बाद सफर तय किया गया। आईपीएस ऑफिसर निलेश आनंद भरणे व मुख्तार मोहसिन बताते हैैं कि एसएस राणा के अंडर ट्रेनिंग कर काफी कुछ सीखने को मिला है। इस दौरान उनका बैच वैली ऑफ फ्लावर, रूपकुंड, गौमुख, हर की दून, वेदनी बुग्याल, हेमुकुंड साहिब ट्रैकिंग रूट पर गया। तीन मंथ की ट्रेनिंग में पीटीआई राणा ने एकेडमी में आने वाले हर ऑफिसर को पूरा समय दिया। आज उन्हें इस बात पर फर्क है कि लंबा समय बीतने के बावजूद ऑफिसर्स उनका सम्मान करते हैं।