दीना पाठक
दुनिया को अलविदा कह चुकीं एक्ट्रेस दीना पाठक 1970 और 1980 के दशक में कला और व्यावसायिक फिल्मों की पसंदीदा मां रहीं. इन्होंने फिल्मों में मां और दादी मां तक की भूमिकाएं निभाईं. ऐसा लगता है कि जैसे इन्हीं से ही फिल्मों में दादी मां की भूमिका का चलन निकल पड़ा. फिल्म 'गोलमाल' में अमोल पालेकर की मिडिल एज की मां और फिल्म 'खूबसूरत' में तो अपने सख्त किरदार से इन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया.  

निरूपा रॉय
निरूपा रॉय को हिंदी फिल्म जगत में 'The Queen of Misery' (दुखों की रानी) के नाम से भी जाना जाता था. 1970 से इन्होंने हिंदी फिल्मों में मां की भूमिका निभानी शुरू की. अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की मां के रूप में निभाए गए किरदारों के जरिए इन्होंने एक गरीब दुखी मां का बेहद सफल तरीके के साथ चित्रण किया गया. 1975 में फिल्म 'दीवार' में बोला गया उनका डायलॉग 'मुझे खरीदने की कोशिश मत करना...' आज भी लोगों की जुबान पर उसी समय की तरह ताजा है.   

फरीदा जलाल
फरीदा जलाल ने हिंदी फिल्मों में कभी बेहद भावुक, तो कभी मजाकिया व हंसमुख मां का किरदार भी निभाया. उनके ऐसे किरदारों का उदाहरण है फिल्म 'राजा हिंदुस्तानी', 'कुछ-कुछ होता है', 'दिल तो पागल है', 'कहो न...प्यार है', 'कभी खुशी-कभी गम' और 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में उनकी भूमिका. इनके लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी दिया गया. फरीदा को 1990 के हिट टीवी सीरियल 'देख भाई देख' में सुहासिनी के किरदार के लिए भी जाना जाता है.

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नूतन
'नूतन' का नाम बॉलीवुड की आदर्श मां का पर्यायवाची बन गया. 1980 के दशक की फिल्मों में इन्होंने अपने किरदारों को दिल से जिया. इस समय की इनकी खास फिल्मों में से थीं 'मेरी जंग' (1985), 'नाम' (1986) और कर्मा (1986). फिल्म 'मेरी जंग' के लिए इन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी दिया गया.   

रीमा लागू
मराठी और हिंदी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं की छाप छोड़ने वाली यह एक्ट्रेस फिल्म 'कयामत से कयामत तक' (1988) में जूही चावला की मां बनकर अपने किरदार में सामने आईं. इसके बाद उन्हें फिल्म 'मैंने प्यार किया' (1989 की हिट मूवी) में सलमान खान की मां के रूप में भी दर्शक आज तक याद करते हैं. रीमा लागू को फिल्मों के अलावा कई कॉमिक टेलीविजन सीरीज को लेकर भी याद किया जाता है. 'श्रीमान श्रीमती' और 'तू-तू मैं-मैं' में उनकी जबरदस्त एक्टिंग के दर्शक आज भी फैन हैं.    

राखी
राखी ने जहां अपने कॅरियर की शुरुआती दौर में अमिताभ बच्चन की एक्ट्रेस बनकर काम किया, वहीं समय गुजरने के बाद इन्होंने 'लावारिस' (1981) और 'शक्ति' (1982) जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन की मां का भी किरदार निभाया. 1980 और 1990 में इन्होंने हिंदी फिल्मों में कई दमदार भूमिकाएं निभाईं. कभी विलेन की बीवी बनकर, तो कभी आदर्शों से भरी नारी के रूप में. फिल्म 'राम-लखन' (1989), 'बाजीगर' (1993), 'खलनायक' (1993), 'करन अर्जुन' (1995) में इनके आदर्श में डूबी मां के किरदार दर्शकों को आज भी याद हैं और हमेशा याद रहेंगे.

अंजना मुमताज
अंजना मुमताज को ज्यादातर फिल्मों में एक कट्टर मां की भूमिका में देखा गया है. 1980 और 90 के दशक में बॉलीवुड फिल्मों को इनकी ममता का प्यार भरा आंचल मिला. 2007 में इनके बेटे रुसलन मुमताज ने फिल्म 'मेरा पहला-पहला प्यार' से इंडस्ट्री में एंट्री की.  

अचला सचदेवा
इस अनुभवी अभिनेत्री को 1965 की हिट फिल्म 'वक्त' में बलराज साहनी की पत्नी के भूमिका के रूप में आज भी याद किया जाता है. फिल्म का 'ऐ मेरी ज़ोहरा-ज़बी...' सरीखे हिट गाना इन्हीं के ऊपर फिल्माया गया है. अचला सचदेवा ने 1995 की हिट फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में काजोल की दादी मां की भूमिका भी निभाई.


ये हैं बॉलीवुड की वो मां,जो बन गईं ममता का पर्याय  

वहीदा रहमान
1950 की फिल्मों में लीड एक्ट्रेस के तौर पर वहीदा ने लाखों लोगों के दिलों पर राज किया. उसके बाद 1970 के शुरुआत में इनको मां या दादी मां की भूमिकाओं में ज्यादा देखा जाने लगा. ममता से भरे उनके इन किरदारों में भी दर्शकों ने इनको काफी पसंद किया. 'कुली' (1983), 'ओम जय जगदीश' (2002), 'रंग दे बसंती' (2006) सरीखी फिल्मों में मां की भूमिका में वहीदा ने लोगों का दिल जीत लिया.   

नर्गिस
नर्गिस ने ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में स्टार राज कपूर की हीरोइन के रूप में दर्शकों के दिलों पर खूब राज किया. उसके बाद इन्होंने 1957 में फिल्म 'मदर इंडिया' में क्रिटिकल मां की भूमिका निभाकर अपने समय की अन्य सभी फिल्मों की प्रसिद्धी के रिकॉर्ड तोड़ दिए.   

जया बच्चन
18 साल फिल्मों से गायब रहने के बाद, जया ने निर्देशक गोविंद निहलानी की फिल्म 'हजार चौरासी की मां' (1998) से बॉलीवुड में वापसी की. फिल्म में जया ने ऐसी दुखी मां की भूमिका निभाई है, जिसका बेटा पश्चिम बंगाल में नक्सलियों के हाथों मार दिया जाता है. इसके बाद इन्होंने 2002 में फिल्म 'फिजा' में मां की भूमिका अदा की. इस फिल्म के लिए इन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी दिया गया. जया ने करन जौहर की फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' में शाहरुख खान और रितिक रोशन की मां की भूमिका अदा की. इसके बाद इन्होंने करन जौहर की अगली फिल्म 'कल हो न हो' (2003) में भी मां की भूमिका निभाई. फिल्म में प्रीति जिंटा की मां जेनिफर के रूप में इन्हें अगला फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला.   

लीला चिटनिस
लीला चिटनिस को हिन्दी फिल्मी मां के मूलरूप को आदर्श मां के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिया गया. इन्होंने फिल्मों में कई बड़े स्टार्स की मां का किरदार निभाया. दिलीप कुमार इनमें से एक थे.  

ललिता पवार
ललिता पवार को ज्यादातर फिल्मों में शैतान मां की भूमिका में देखा गया. इनमें से कुछ फिल्मों में इनका बिगड़ा हुआ स्वभाव सतौले बच्चों के लिए नजर आया तो कुछ में सास के रूप में. इनका किरदार ही होता था जो फिल्मों को रोचक मोड़ देने में कामयाब होता था. इन कुछ यादगार फिल्मों में से खास हैं 'सौ दिन सास के', 'दाग', 'खानदान'.

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