उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित सेमिनार में जीएसटी पर हुई चर्चा

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी बेस है जीएसटी, नए कानून को लागू होने में अधिवक्ताओं का है महत्वपूर्ण रोल

ALLAHABAD: अप्रैल 2017 से पूरे देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानि जीएसटी लागू करने की केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। लेकिन इसे लेकर व्यापारी डरे हुए हैं। उनमें उहा-पोह की स्थिति है। क्योंकि अभी जीएसटी का मजबूत प्रारूप सामने नहीं है। जीएसटी का प्रारूप क्या होगा? व्यापारियों को क्या करना होगा? किस तरह के भ्रम की स्थिति है? क्या वाकई में जीएसटी व्यापारी विरोधी है? इन्हीं सवालों पर चर्चा के लिए रविवार को उत्तर प्रदेश टैक्स बार एसोसिएशन की ओर से टैगोर टाउन स्थित बंशी भवन में प्रांतीय स्तर के सेमिनार का आयोजन किया गया।

अधिवक्ताओं का है महत्वपूर्ण रोल

सेमिनार का उद्घाटन न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी, विधि आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति रविंद्र सिंह, चेयरमैन अधिकरण वाणिज्य कर दयाशंकर त्रिपाठी, अधिवक्ता भरत अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने कहा कि जीएसटी देश का पहला ऐसा कानून होगा, जो काफी बहस व चर्चा के बाद लागू होगा। इस नए कानून के लागू होने से पहले अधिवक्ताओं को इसके बारे में अधिक से अधिक स्टडी करने की जरूरत है। क्योंकि नए कानून के लागू होने के बाद अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। व्यापारियों को सही जानकारी देनी होगी। जीएसटी एक्ट टोटली इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी पर बेस है। एक बाद इनफार्मेशन के बाद चेजिंग नहीं हो पाएगा, इसलिए सभी को एलर्ट होना होगा। जीएसटी को लेकर डर की स्थिति बनी हुई है, ऑनेस्ट टेक्स पेयर को फायदा होगा। हाईकोर्ट के अधिवक्ता रिषी राज कपूर ने बताया कि जीएसटी वैट का सुधरा हुआ रूप है। जीएसटी लागू होने के बाद रिटर्न कई मोड में दाखिल होंगे, तब कहीं रिटर्न फाइनल होगा।

जीएसटी लगने के बाद चार तरीके से होगा असेसमेंट

1. सेल्फ असेसमेंट

व्यापारियों को सेल्फ असेसमेंट का अधिकार होगा। इतना आईटीसी यानी इनपुट टैक्स क्रेडिट किया है, उतना पे करना होगा।

2. प्रोविजनल असेसमेंट

सेंट्रल एक्साइज के प्राविधान के मुताबिक असेसमेंट होगा। अगर व्यापारी अपने माल का टैक्स नहीं लगा पाते हैं तो।

3. स्क्रूटनी ऑफ रिटर्न

व्यापारी द्वारा रिटर्न का प्रॉसेस करने पर विभाग चेक करेगा। गड़बड़ी पर इंफार्म किया जाएगा। जांच में गल्ती मिलने पर 30 दिन में असेसमेंट होगा।

4. असेसमेंट ऑफ अन रजिस्टर्ड

जो व्यापारी अभी तक व्यापारिक तौर पर रजिस्टर्ड नहीं है, इसका मतलब ये नहीं कि वे जीएसटी के दायरे में नहीं आएंगे। पांच साल के अंदर अथॉरिटी असेसमेंट के थ्रू उन्हें जीएसटी के दायरे में ला सकती है।

रिटर्न एक ही पर तीन पार्ट में

वाराणसी से आए जीएसटी मेंटर संजय पाठक ने कहा कि अभी जीएसटी क्लीयर नहीं हुआ है, हम सबके सामने जो है, वह मॉडल जीएसटी है। ताकि जीएसटी के कांसेप्ट को समझा जा सके। कुछ लोग कह रहे हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद तीन रिटर्न भरना होगा, जबकि ऐसा नहीं है। रिटर्न तो एक ही होगा, लेकिन तीन पार्ट में। रिटर्न पोर्टल पर इलेक्ट्रानिक मोड में भरना होगा। कोई मेन्युअल रिपोर्ट नहीं होगा।

जीएसटी आर-1

हर महीने की दस तारीख तक रजिस्टर्ड व्यापारियों को आउट वर्ड सप्लाई की डिटेल देनी होगी। वो भी आनलाइन। बायर टू बायर डिटेल। यही नहीं ढाई लाख से उपर की इनवाइस डिटेल भी देनी होगी। हर महीने की दस तारीख के बाद रजिस्टर्ड टैक्स पर्सन को पता चल जाएगा कि दुनिया भर के व्यापारियों किन व्यापारियों ने उनके टिन नंबर का इस्तेमाल किया।

जीएसटी आर-2

जीएसटी आर-2 की डेट हर महीने की पंद्रह तारीख होगी। में देखना है कि कोई गलत जानकारी तो नहीं है, अगर है तो उसे सुधारें अगर नहीं है तो उसे ओके कर दें।

जीएसटी आर 3

हर महीने की 20 तारीख तक फाइनल करना होगा। जिसमें फाइनल रिटर्न दाखिल करना होगा।

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तीन जीएसटी क्यों?

गाजियाबाद से आए अधिवक्ता मुकुल गुप्ता ने कहा कि पूरे देश में एक टैक्स यानी जीएसटी की बात तो ठीक है। लेकिन जीएसटी में ये तीन जीएसटी यानी सीजीएसटी, एसजीएसटी और आईजीएसटी का फार्मूला क्यों? सिंगल जीएसटी क्यों नहीं? मल्टीपल टैक्स खत्म करने की बात कही जा रही है। वहीं मैन्यूफैक्चरिंग पर सर्विस टैक्स आज भी एडजस्टेबल नहीं है। सरकार ऐसा सॉल्यूशन निकाले जिससे भारत एक सूत्र में बंध जाए।

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एसजीएसटी और सीजीएसटी में मर्ज होगा स्टॉक

टैक्स कंसल्टेंट विक्रम चावला ने कहा कि संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल 2017 से जीएसटी पूरे देश में लागू हो जाएगा। जिसको लेकर चिंता जताई जा रही है कि ओपनिंग इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्या होगा? ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वैट आईटीसी एसजीएसटी में और एक्साइज सीजीएसटी में कनवर्ट हो जाएगा। 31 मार्च का जो स्टॉक होगा, उस पर एक साल तक लिमिट मिलेगा। सेमिनार के बाद टैक्स बार एसोसिएशन का पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इस दौरान संयुक्त सचिव एनके अरोड़ा, शिव कुमार अरोड़ा आदि मौजूद रहे।

जीएसटी लागू होने के बाद बदलाव

सप्लायर और रिसिपियेंट दोनों के लिए रजिस्टर्ड होना जरूरी है।

दोनों को ही रिटर्न फाइल करना होगा।

रिटर्न वैलिड रिटर्न, लायबिल्टी सप्लाई पर पूरी जमा होनी चाहिए।

अगर आउटपुट टैक्स जमा नहीं होगा तो इनपुट टैक्स क्रेडिट वैलिड नहीं माना जाएगा।

इनपुट टैक्स क्रेडिट का यूटिलाइजेशन आउटपुट के लिए होगा।

20 लाख की इनपुट टैक्स क्रेडिट और आउटपुट 19 लाख का तो टैक्स जमा नहीं करना होगा।

जब इनवाइस मैच करेगी तो कोई दिक्कत नहीं होगी।

एकाउंटेंट रखने की जरूरत नहीं, बस सारी चीजें फाइल में सिस्टमैटिक करने की है जरूरत

जीएसटी लागू होने के बाद रजिस्टर्ड दुकानदार के कम्प्यूटर के विंडो पर तीन विंडो बन जाएंगे, जिसके थ्रू रिटर्न दाखिल होगा।

सभी व्यापारियों को कम्प्यूटर रखना अनिवार्य होगा।

यही नहीं स्मार्ट फोन से भी लोग रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। जिसके लिए आएगा एप।

डीलर और डिपार्टमेंट का इंटरफेस होगा कम

दिसंबर फ‌र्स्ट वीक तक आ जाएगा जीएसटी का डेमो सॉफ्टवेयर