112 डॉक्टर्स के पद खाली मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में
50 से 75 मरीजों पर औसतन एक डॉक्टर
Meerut। डॉक्टर्स को लोग भगवान मानते हैं और हर रोज हजारों मरीज स्वस्थ होने की उम्मीद लगाए इनके पास इलाज कराने पहुंचते हैं। हालांकि अस्पतालों में डॉक्टर्स की भारी कमी के चलते ढेरों मरीज बिना इलाज ही वापस लौट जाते हैं। शहर के जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में मिलाकर लगभग 112 डॉक्टर्स के पद खाली पड़े हैं।
यह है स्थिति
जिला अस्पताल
54 पद जिला अस्पताल में डॉक्टर्स के हैं।
28 डॉक्टर्स ही उपलब्ध है।
26 डॉक्टर्स की कमी है।
यह है कमी
3 - सर्जरी,
2 - बेहोशी
2 - रेडियोलोजिस्ट,
1 - ऑर्थोपेडिक
2 - टीबी व चेस्ट स्पेशलिस्ट,
2 - ईएनटी,
1 - डेंटल
1 - यूरोलोजिस्ट,
1 - न्यूरो सर्जन,
1 - न्यूरो फिजिशियन,
1 - कार्डियोलिस्ट,
1 - नेफ्रोलॉजिस्ट,
1 - ब्लड बैंक
9 - डॉक्टर्स आईसीयू के लिए चाहिए।
1500 - मरीज रोजाना आते हैं जिला अस्पताल
मेडिकल कॉलेज
172 पद मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, लेक्चरर के हैं। ये शिक्षा व चिकित्सा का कार्य करते हैं।
43 पद खाली पड़े हुए हैं।
एक असिस्टेंट प्रोफेसर की कमी फार्मेसी में हैं।
एक-एक पद मेडिसन में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली है।
एक-एक पद रेडियोथेरेपी में एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली हैं।
एक एसोसिएट प्रोफेसर व 2 असिस्टेंट प्रोफेसर रेडियोडायोग्नोसिस में चाहिए।
एक-एक पद ऐनेसथिसिया के प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली हैं।
एक-एक पद ह्यूमन मेटाबॉलिज्म में एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली हैं।
एक पद ईएनटी में व एक पद एसोसिएट प्रोफेसर का खाली है।
1 पद गायनी में एसोसिएट प्रोफेसर का खाली है।
1 पद फार्माकोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर का खाली है।
3500 मरीज आते हैं रोजाना मेडिकल कॉलेज में
महिला जिला अस्पताल
24 पद डॉक्टर्स के हैं।
10 डॉक्टर्स ही उपलब्ध है।
15 में से 4 गायनी डॉक्टर्स महिला रोग विशेषज्ञ हैं।
रोजाना करीब 300 मरीज आते हैं।
सीएचसी-पीएसची में कम डॉक्टर
182 डॉक्टर्स के पद स्वास्थ्य विभाग के तहत सीएचसी, पीएचसी व अर्बन हेल्थ सेंटर पर हैं।
28 डॉक्टर्स यहां कम हैं।
154 पद ही भरे हुए हैं।
12 सर्जन चाहिए सिर्फ एक ही सर्जन है।
फिजिशयन और रेडियोलॉजिस्ट एक भी नहीं हैं।
अधर में अटकी योजनाएं
जिला अस्पताल में नई इमरजेंसी अभी शुरू नहीं हो सकी। एमआईआर का प्रोजेक्ट की योजना चालू नहीं हुई हैं। सर्जरी की सुविधा भी नहीं हैं। ऑक्सीजन प्लांट से सभी यूनिट में सप्लाई होने की योजना विस्तार नहीं ले पाई हैं।
मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट पूरी तरह काम नहीं कर रहा हैं। फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं बना। ई-हॉस्पिटल नहीं बन पाया, लेजर तकनीक से आंखों का इलाज शुरू नहीं हुआ, डिजिटल एक्स-रे भी अटका हुआ हैं।
महिला अस्पताल में ई-हॉस्पिटल सेवा शुरु नहीं हो पाई। कंगारू यूनिट का लाभ नहीं मिल पाया।
17 खाली पदों के लिए डॉक्टर्स की भर्ती हुई थी लेकिन किसी ने भी ज्वाइन नहीं किया है, जितने डॉक्टर्स उपलब्ध हैं, उनसे ही व्यवस्था चलाई जा रही है।
डॉ। आरसी गुप्ता, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज
ऑर्थो के एक डॉक्टर हमें मिले हैं। कुछ पदों पर रिटायर्ड डॉक्टर्स से बात चल रही है। शासन को स्थाई व्यवस्था के लिए लिख रहे हैं।
डॉ। पीके बंसल, एसआईसी, ि1जला अस्पताल
नार्मल डिलीवरी के अलावा यहां लिगेशन व सीजेरियन भी होते हैं। 4 डॉक्टर्स ही उपलब्ध हैं, जिसमें एक ओपीडी में बैठती हैं। समस्या काफी ज्यादा है।
डॉ। मनीषा वर्मा, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल