RANCHI : कुंदरी और शरीफा से अब कैंसर का इलाज होगा। इन दोनों में प्रचुर मात्रा में कैंसररोधी तत्व पाए जाने के प्रमाण मिले हैं। सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने में कुंदरी-शरीफा असरदार हथियार बन सकता है। रांची यूनिवर्सिटी के बायो टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के फैकल्टी मेंबर डॉ अमित पटनायक के रिसर्च से यह बात सामने आई है। उन्होंने यहां पाए जाने वाले पांच पौधों पर सर्वाइकल कैंसर का सीहा एंड हीला टेस्ट किया था। इस टेस्ट में पता चला कि कुंदरी व शरीफा की पत्तियों में जो कंपोनेट्स हैं, वह सर्वाइकल कैंसर के इलाज में काफी कारगर साबित हो सकता है। डॉ अमित पटनायक के इस रिसर्च वर्क में बॉटनी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ एके श्रीवास्तव और डॉ हनुमान प्रसाद शर्मा का भी अहम सहयोग रहा।

पांच पौधों पर टेस्ट

रांची यूनिवर्सिटी के बॉटनी डिपार्टमेंट की ओर से पांच पौधों का टेस्ट हैदराबाद की एक लैब में कराया था। इसमें बेंग साग, खपरा साग, शरीफा, सोलोनम निग्रम और कुंदरी की पत्तियां शामिल थी। टेस्ट में पता चला कि इन सभी पौधों में सर्वाइकल कैंसररोधी तत्व मौजूद हैं, लेकिन कुंदरी व शरीफा में इसकी मात्रा अन्य पौधों ने कहीं ज्यादा है।

लैब से टेस्ट को ओके

हैदराबाद स्थित जीवीके बायोज लैब में इन पौधों पर टेस्ट कराया गया था। सर्वाइकल कैंसर के लिए उपयुक्त सीहा एंड लीहा पर इप पौधों की पत्तियों से तैयार विशेष पदार्थ को बारी बारी से टेस्ट किया गया। सर्वाइकल कैंसर के सेल लाइंस पर टेस्ट के बाद पता चला कि शरीफा और कुंदरी के पत्तों में सर्वाइकल कैंसर रोधी तत्व सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में इसका इस्तेमाल सर्वाइकल कैंसर के लिए बनाई जाने वाली मेडिसीन में हो सकता है।

फल -तना पर भी होगा रिसर्च

डॉ अमित पटनायक ने बताया कि कुंदरी और शरीफा की पत्तियों के बाद अब इसके तना और जड़ पर भी रिसर्च किया जाएगा। इन सभी पौधों के सिंगल सिंगल कंपोनेंट्स खोजे जाएंगे। इनमें कौन- कौन सा ऐसा केमिकल है, जिससे सर्वाइकल कैंसर का ट्रीटमेंट हो सकती है की खोज की जाएगी।

होड़ोपैथी टेक्निक का किया गया इस्तेमाल

झारखंड में जड़ी -बूटियों के माध्यम से इलाज करने वाली तकनीक होड़ोपैथी के नाम से जानी जाती है। इसी टेक्निक से बेंग साग, खपरा साग, शरीफा, सोलोनम निग्रम और कुंदरी की पत्तियां पर परीक्षण कर इसके कंपोनेंट्स को जाना गया। इसी परीक्षा में कुंदरी और शरीफा में कैंसररोधी तत्व पाए जाने की पुष्टि हुई।

क्या है सर्वाइकल कैंसर

महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा या सर्वाइकल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। सर्विक्स गर्भाशय का ही भाग है, जो विशेष प्रकार की मांसपेशियों से घिरा होता है। यह सतह की कोशिकाओं (सरफेश सेल्स) की एक पतली पर्त से ढका होता है। सरफेश सेल्स में ही गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर विकसित होता है। यह शुरू में प्रीकैंसरस सेल्स के रूप में विकसित होता है। कुछ सालों बाद प्रीकैंसरस सेल्स ऑरिजनल कैंसर कोशिकाओं में तब्दील हो जाती है।

झारखंड में हर साल कैंसर के 30 हजार नए मरीज

आंकड़ों पर नजर डाले तो झारखंड में कैंसर अपने पांव तेजी से पसार रहा है। हर साल यहां कैंसर के 30 हजार नए मरीज आ रहे हैं। महिलाओं में सर्वाइल कैंसर के लक्षण सबसे ज्यादा पाए गए हैं। इसके अलावा टोमैक कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, लंग्स कैंसर, ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या भी काफी है।