कोई खास चेंज नहीं होता

इस स्टेज पर बॉडी में कोई खास चेंज नहीं होता है। पेट के निचले हिस्से में जब दर्द होता है तब पता चलता है। इस कन्सर्न पर सोसाइटी ऑफ आंकोलॉजी और बिहार आबस्ट्रीकल एंड गाइनोकॉलोजी सोसाइटी ने इससे जुड़े विभिन्न पक्षों पर अशोका होटल के आडिटोरियम में सेमिनार में चर्चा की। टाटा मेमोरियल हॉस्पीटल मुम्बई से आई डॉ। अमिता माहेश्वरी सेमिनार की स्पीकर थीं।

क्यों होती है यह बीमारी

बढ़ती उम्र के साथ इसकी पॉसिबिलिटी बढ़ती है। इनफर्टिलिटी या पहला बच्चा देर से होने, फैमिली हिस्ट्री होने आदि इसके प्रमुख कारण हैं। लेकिन आजकल खराब लाइफस्टाइल से फीमेल में इसके बढऩे का ट्रेंड देखा जा रहा है। अनहाइजेनिक एनवाएरमेंट में रहने, गर्भ निरोधक गोलियों के इक्सेसिव यूज और ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराने या कम करने वाले को भी खतरा हो सकता है।

अधिक उम्र ज्यादा रिस्क  

ओवेरियन कैंसर के अधिकांश केसेज अधिक एज की फीमेल्स में देखे जाते हैं। पटना एम्स के रेडियोथेरेपी डिपार्टमेंट की डॉ। प्रीतांजलि के मुताबिक बढ़ती उम्र के साथ इसकी संभावना बढ़ती है। ज्यादातर 50 से 65 साल की फीमेल्स में केसेज देखे गए हैं। इस एज में यह कैंसर डेवलप्ड स्टेज मेंं होता है। यह कुल केसेज का 70 पसेंट है। वहीं डॉ अमिता ने बताया कि पेट के लोअर पार्ट में और यूटरस में पेन इसका मुख्य लक्षण है।

क्या हो सकता है बचाव

सेमिनार में डॉक्टरों ने इसके डिटेक्शन पर भी जोर दिया। रेग्यूलर टेस्ट कराने और टेस्ट में ओवेरियन कैंसर होने की सूरत में तुरंत इलाज जरूरी है। हेल्दी और हाइजेनिक लाइफस्टाइल भी इसमें हेल्पफुल हो सकता है। कीमोथेरेपी और सर्जरी के एडवांस तकनीक जैसे एयरोस्कोपिक सर्जरी और रोबोटिक सर्जरी से इसके इलाज में एडवांसमेंट हुआ है।