- घंटाघर के पास के एरिया को छोड़कर शहर में कहीं नहीं सरकारी पार्किंग

- निजी पार्किंग भी गिनती के होने के कारण मजबूर होकर सड़कों पर खड़े हो जाते हैं वाहन

- सड़कों के किनारे वाहन खड़े हो जाने से अक्सर आ जाती है जाम की स्थिति

-सरकारी एजेंसियों के पास पार्किंग को लेकर कोई ठोस प्रोजेक्ट्स नहीं

DEHRADUN : राज्य गठन के क्भ् साल पूरे। राजधानी की आबादी क्ख् लाख तक पहुंची। विधानसभा-सचिवालय का विस्तार हुआ। ट्रैफिक से निजात पाने को तीन ओवर ब्रिज का काम जारी है। सड़कों की चौड़ाई के नाम पर चकराता रोड का कुछ हिस्सा भी चौड़ा हुआ। हालांकि शहर के बीचोंबीच स्थित कुछ मुख्य मार्गो पर अभी भी वाहन रेंगते हैं। लेकिन इतना कुछ होने के बाद भी शहर में लाखों आबादी पार्किंग की बाट जोह रह है। खासकर यह दिक्कत तब बढ़ जाती है, जब चारधाम यात्रा व टूरिस्ट सीजन शुरू हो जाता है। चंद दिनों बार चारधाम यात्रा शुरू हो रही है।

क्भ् साल में सिर्फ दो पार्किंग

किसी भी राज्य के लिए क्भ् साल काफी मायने रखते हैं। वह भी तब जब सरकारें मूलभूत सुविधाओं पर सबसे ज्यादा ध्यान देती हैं। लेकिन राजधानी दून हर रोज पार्किंग जैसी मूलभूत असुविधा से जूझ रहा है। रोजाना संकरी सड़कों पर वाहनों का बोझ बढ़ रहा है। पर, पार्किंग के नाम पर करीब क्ख् लाख आबादी वाले शहर में क्भ् सालों में केवल दो ही सरकारी पार्किंग बन पाए। नतीजतन, आम लोगों को अपने वाहन खड़े करने के लिए पसीना बहाना पड़ता है। हालत यह हो जाती है कि पार्किंग न देखकर लोगों को सड़कों के किनारे ही अपने वाहन खड़े करने पड़ते हैं। जिसके कारण सड़कों पर जाम जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। खासकर टूरिस्ट सीजन पर दून से निकलने वाले यात्रियों को सबसे बड़ी परेशानी झेलने पड़ती है। सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। फिलहाल सरकार के पास शहर में नए पार्किंग स्थल बनाने के ठोस प्रोजेक्ट्स भी नहीं हैं। हालांकि निगम व एमडीडीए कहता आ रहा है। लेकिन उनके कहे पर कुछ कहना भी जल्दबाजी जैसा होगा।

लगातार बढ़ रहा वाहनों का लोड

बिना मास्टर प्लान के बसी स्टेट कैपिटल में पहले से ही सड़कों की चौड़ाई काफी कम। वहीं बीते एक दशक में लगातार बढ़ता वाहनों का दबाव राजधानी में मुसीबत बनता जा रहा है। शहर के कई प्रमुख सड़कों पर आए दिन जाम अब आम बात हो गई है। शहर में जाम की समस्या शासन स्तर तक उठने के बाद भी इस तरफ अभी तक सरकारी मशीनरी फोकस करती नजर नहीं आ रही है।

बड़ी संख्या में कटते हैं चालान

राजधानी में सरकारी पार्किंग की भारी कमी है। इसकी तस्दीक इस बात से ही जो जा सकती है कि शहर में हर महीने हजारों की संख्या में नो पार्किंग वाहनों के चालान काटे जाते हैं। एसपी ट्रैफिक प्रदीप राय खुद मानते हैं कि शहर में नो पार्किंग में खड़े वाहनों का चालन करना ही इसका सॉल्यूशन नहीं है। अलग-अलग प्वॉइंट्स पर पार्किंग तैयार होनी जानी चाहिए।

कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स की पार्किंग छोटी

शहर में कई स्थानों पर कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स हैं। लेकिन इनमें पार्किंग स्पेस कम होने या उसका दूसरा यूज होने के कारण लोगों को ऐसे स्थानों पर भी सड़क किनारे ही वाहन पार्क करने पड़ते हैं।

तहसील चौक पार्किंग से मिलेगी राहत

उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्द तहसील चौक पर भी एक मल्टी लेवल पार्किंग होगी। यहां स्थित नगर निगम की जमीन पर मल्टीलेवल पार्किंग बनाने के लिए काम शुरू हो गया। वहीं एमडीडीए भी चकराता रोड और एस्लेहॉल पर मल्टी लेवल पार्किंग बनाने की तैयारी कर रहा है।

इन एरियाज में सरकारी पार्किंग की मांग

-घंटाघर से एस्लेहॉल के बीच

-एस्लेहाल से बहल चौक

-दिलाराम चौक

-जाखन

-घंटाघर से चकराता रोड

-जीएमएस रोड

-आढ़त बाजार

-धर्मपुर

-पटेलनगर से सहारनपुर चौक के बीच

- डीएम ऑफिस, कोर्ट कंपाउंड

- पि्रंस चौक से हरिद्वार रोड

- सर्वे चौक से सहस्रधारा रोड

फिलहाल ये हैं सरकारी पार्किंग

-एमडीडीए कॉम्पलेक्स घंटाघर

-राजीव कॉम्पलेक्स डिस्पेंसी रोड

'शहर के कई भीड़ वाले स्थानों पर नई मल्टीलेवल पार्किंग बनाने के तैयारी की जा रही है। इसके लिए तेजी से डॉक्यूमेंटेशन का काम भी चल रहा है। स्थिति स्पष्ट होते ही ग्राउंड लेवल पर काम शुरू हो जाएगा।

- बंशीधर तिवारी, सचिव, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण

शहर में सरकारी पार्किंग्स की कमी है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। इसी को देखते हुए तहसील चौक पर स्थित नगर निगम की जमीन पर मल्टीलेवल पार्किंग बनाए जाने की तैयारी चल रही है। नगर निगम अन्य स्थानों पर अपनी जमीन पर पार्किंग के लिए ध्यान दे रहा है।

- विनोद चमोली, मेयर, देहरादून।