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LUCKNOW: जिन एंबुलेंस को मरीजों की सेवा के नाम पर रजिस्टर्ड कराया गया था, वह यात्रियों को ढोते हुए मिलीं। इन एंबुलेंस से मरीजों को नहीं इनके संचालकों का 'स्वास्थय लाभ' हो रहा था। राजधानी के साथ ही प्रदेश के विभिन्न शहरों में एंबुलेंस में यात्रियों को ढोए जाने का मामला पकड़ में आने से परिवहन विभाग के अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए। आनन-फानन में इस पर बैठक बुलाई गई और एंबुलेंस के लिए नई नियमावली तैयार किए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई। ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल में एंबुलेंस के लिए रजिस्ट्रेशन अब आसान नहीं होगा। इन्हें एंबुलेंस के नाम पर रोड टैक्स में छूट भी नहीं मिलेगी।
हॉस्पिटल से वैन को करा लेते थे अटैच
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीजों की सेवा के नाम पर यात्रियों को ढोने का 'खेल' प्रदेश भर में चल रहा है। वैन संचालक किसी हॉस्पिटल में अपनी वैन को अटैच दिखाकर उसमें यात्रियों को ढोने में जुटे थे। इस बात की शिकायत परिवहन मंत्री मंत्री से लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों से की गई। इस मामले की जांच सड़क सुरक्षा सेल के अधिकारियों को सौंपी गई। विभाग के इंचार्ज ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश भर में तैनात आरटीओ और एआरटीओ को ऐसे वाहनों की जांच तीन महीने में करने के निर्देश दिए। जब इसकी जांच की रिपोर्ट सामने आई तो अधिकारियों के पैरों तले जमीन निकल गई। अधिकांश शहरों में एंबुलेंस में यात्रियों को ढोए जाने का मामला सामने आया।
नर्सिग होम को कराना होगा रजिस्ट्रेशन
ऐसे में परिवहन विभाग अब प्रदेश में प्राइवेट एंबुलेंस को मिलने वाली छूट खत्म करने जा रहा है। परिवहन निगम अब सरकारी एंबुलेंस के अलावा सिर्फ उन्हीं नर्सिग होम को रजिस्ट्रेशन की छूट मिलेगी, जहां पर प्रसूताओं का इलाज होगा। इन नर्सिग होम को भी गाडि़यों का रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर कराना होगा। ऐसे में इन नर्सिग होम में संचाचिलत होने वाली वैन यदि यात्री ढोते हुए मिली तो मोटा जुर्माना नर्सिग होम से वसूला जाएगा।
प्रदेश के अधिकांश जिलों में इस तरह की एंबुलेंस सामने आई है जिनमें यात्रियों को ढोए जा रहे थे। इनका चालान किया गया है। आगे से ऐसा न हो इसके लिए नियम और शर्तो को नए सिरे तैयार किया जाएगा। प्राइवेट हॉस्पिटल में तो रोड टैक्स दी जाने वाली छूट को खत्म किए जाने की भी तैयारी है।
गंगाफल, अपर परिवहन आयुक्त, सड़क सुरक्षा सेल, उप्र। परिवहन विभाग
इन शहरों में
पकड़ी गई एम्बुलेंस और रजिस्टर्ड एंबुलेंस के आंकड़े
वाराणसी 36, 387
गोरखपुर 37, 221
लखनऊ 17, 328
कानपुर 32, 280
इलाहाबाद 24, 322
आगरा 45, 123
मेरठ 34, 555
अलीगढ़ 22, 437
सहारनपुर 42, 432
बाराबंकी 23, 126
फैजाबाद 39, 224
ऐसे चल रहा था खेल
यात्रियों को ढोने वाली एंबुलेंस के संचालक खुद किसी हॉस्पिटल से अपने वाहन को रजिस्टर्ड करा लेते थे। लेकिन वह हॉस्पिटल में मरीजों को ढोने के बजाय यात्रियों को ढोने में जुटे हैं। जब इन वाहनों की जांच की गई तो इनमें हॉस्पिटल साफ बच गए। अधिकांश हॉस्पिटल के लोगों ने बताया कि संबंधित वाहन का अनुबंध किया गया था। कहीं यह अनुबंध छह महीने का था तो कहीं साल भर का। अनुबंध खत्म किए जाने की दशा में हॉस्पिटल के ऊपर कोई एक्शन नहीं लिया जा सकता है।
यह होता है फायदा
एंबुलेंस में रजिस्टर्ड वाहनों का रोड टैक्स में पूरी तरह से छूट रहती है। जबकि कॉमार्शियल वाहनों को हर तिमाही रोड टैक्स वसूला जाता है। यह रोड टैक्स 15 हजार से अधिक होता है। ऐसे में एंबुलेंस के नाम पर रजिस्ट्रेशन करने वालों की ना तो चेकिंग होती है और ना ही उनसे रोड टैक्स वसूला जाता है।