- पहले साइट पर नहीं मिल रहा था लिंक, मिला तो भी परेशानी

- डिटेल अपलोड में विभाग की बड़ी खामियां, गलती पर गलती

- खामियों को दूर करने के संशोधन कर डायट भेज रहे फॉर्म

- पहले फॉर्म ऑफलाइन भरवाए, फिर ऑनलाइन, अब भी समस्या

- ऑफलाइन वाले फॉर्मो की डिटेल डाली गई है ऑनलाइन पर

- विभाग ने किया है बड़ा लोचा, पुराने फॉर्म पर चल रही है भर्ती

- दोबारा ऑनलाइन फॉर्म भरने वालों ने किए थे करोड़ों रुपए खर्च

- इसके बावजूद इनको नौकरी की लाइन से हटा दिया गया है

Meerut: लोगों ने लाखों खर्च करके बीएड किया। फिर टीचिंग एलिजिबिलिटी टेस्ट पास किया। तत्कालीन सरकार ने टीचर्स भर्ती प्रकिया शुरू की। नौकरियां निकाली और उसके लिए फॉर्म भरवाए। दूसरी सरकार आई और उसने पहली सरकार के कायदे कानून को रद्द किया और अपनी भर्ती निकाली। इसके बाद से इन भर्तियों पर ग्रहण लग रहा था। अब जाकर इन भर्तियों से रोक हटी और व्यवस्था शुरू हुई। इसके बाद भी समस्याएं कम नहीं हुई। कैंडीडेट्स पहले भी लुटे और अब भी लुट रहे हैं। इसके बावजूद समस्याओं से जूझ रहे हैं। पहले इंटरनेट पर अब डाक घरों में जमघट लगा है।

भर्ती का सीन

ख्0क्क् में तत्कालीन बसपा सरकार ने प्राइमरी टीचर्स की भर्तियां निकाली थीं। जो टीईटी मेरिट बेस पर होनी थीं। इसके बाद सरकार बदली और सपा सरकार ने ख्0क्ख् में 7ख् हजार भर्तियां निकालीं। जो शैक्षिक मेरिट के आधार पर शुरू की गई। तभी से इन भर्तियों पर अड़चनें चली आ रही थीं। कभी हाईकोर्ट तो कभी सुप्रीम कोर्ट में इन भर्तियों का मामला घूम रहा था। अब जाकर इन भर्तियों से रोक हटी और बीएड टीईटी पास कैंडीडेट्स के चेहरे मानो खिल उठे।

डिग्री से शुरुआत

भर्तियां निकलते ही कैंडीडेट्स ने यूनिवर्सिटी से अपनी प्रोविजन डिग्रीयां बनवाई थी, जो छह महीने के लिए ही वेलिड थी। इन भर्तियों पर लंबी रोक के कारण इन प्रोविजनल डिग्रियों का समय खत्म हो गया। इसके बाद उच्च प्राइमरी में ख्9 हजार भर्तियां निकलीं। फिर दस हजार भर्तियां निकलीं। भर्तियां निकलने के साथ ही कैंडीडेट्स ने प्रोविजनल डिग्रियां बनवाई। जब-जब भर्तियां निकलीं तब-तब डिग्रियां बनवाने के लिए यूनिवर्सिटी में भीड़ लगी। लोगों ने अपनी तीन से चार बार डिग्रियां बनवाई। यहां भी समस्या कम नहीं थीं।

वैकेंसी का सीन

प्राइमरी में 7ख् हजार वैकेंसी के लिए म्8 लाख आवेदन किए गए थे। वहीं ख्9 हजार जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के लिए वैकेंसी निकाली गई थीं, जिसके लिए क्9 लाख आवेदन किए गए। फिलहाल 7ख् हजार और ख्9 हजार दोनों के लिए सीटें भरने की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें जूनियर के लिए काउंसलिंग चल रही है, जबकि प्राइमरी के लिए क्भ् जुलाई के बाद काउंसलिंग प्रक्रिया चलेगी। इसके लिए पहले इन कैंडीडेट्स को अपने संशोधन कराने हैं।

लिंक से लेकर संशोधन

काउंसलिंग से पहले कैंडीडेट्स को अपने फॉर्म में होने वाली गड़बड़ी को दूर करना है। इसके लिए संशोधन फॉर्म इंटरनेट की साइट से डाउनलोड करके डायट पर जमा करने हैं। अपनी जानकारी के लिए लोगों को इंटरनेट पर दिन और रात गुजारनी पड़ी। इसके बावजूद यूपी बेसिक की साइट का लिंक ही नहीं मिल रहा था। किसी तरह लिंक मिला और कैंडीडेट्स के फॉर्म में गड़बडि़यां नजर आने लगीं। सरकार की देखें तो पहले ऑफलाइन फॉर्म भरवाए और पैसे बटोरे गए। इसके बाद ऑनलाइन फॉर्म भरे गए, जिसमें कैंडीडेट्स के लिए दो सौ और पांच सौ रुपए प्रत्येक फॉर्म की फीस रखी गई।

अब ये है समस्या

कैंडीडेट्स को प्रत्येक गड़बड़ी के लिए दो रुपए का ड्राफ्ट बनवाकर संबंधित जिले के डायट पर भेजना है, ताकि उनके फॉर्म में गड़बड़ी को सही किया जा सके और काउंसलिंग के दौरान कोई समस्या न आए। खास बात ये कि पहले सरकार ने फीडि़ंग में ही हजारों स्टूडेंट्स के फॉर्म में भरी गई एंट्री नाम, पता, जन्म तिथि, एड्रेस और मां-बाप के नाम में भी गड़बड़ी कर दी। इसके बाद अब इन सभी स्टूडेंट्स से इसके लिए दो सौ रुपए बटोरे जा रहे हैं। साथ ही प्रत्येक डायट के लिए अलग-अलग फॉर्म भेजने हैं।

लगी है लाइन

कैंडीडेट्स द्वारा भरे गए फॉर्म की डिटेल फीडिंग में गड़बड़ी के बाद एक बार फिर कैंडीडेट्स को समस्या से जूझना पड़ रहा है। कैंडीडेट्स एक साथ कई डायट पर फॉर्म संशोधन के लिए भेज रहे हैं। इसके लिए उनको डाक खानों में अपने संशोधन फॉर्म पोस्ट करने हैं, जिसके लिए लंबी लाइन लगी है। पंद्रह जुलाई से इनकी काउंसलिंग शुरू होने वाली है। इसके चलते समस्या और भी विकट है। क्योंकि सभी संशोधन काउंसलिंग से पहले कराने होंगे। इससे कैंडीडेट्स के सामने एक बड़ी समस्या आ खड़ी हुई है।

बस एक बार नौकरी मिल जाए

- कई बार तो डिग्री बन गई और अब फॉर्म में गड़बड़ी सही करवाने के लिए फॉर्म भरकर जिलों के डायट पर भेज रहे हैं। इस नौकरी ने तो सबको पकाकर रख दिया है। पहले डिग्री के लिए अब संशोधन के लिए लाइन में लगे हैं।

- रिंकू, कैंडीडेट्स

- इन नौकरियों का इंतजार करते-करते लोग थक गए हैं। अब मौका मिला है तो उसमें भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। हजारों कैंडीडेट्स की फीडिंग में गड़बड़ी है। जिसके लिए फिर से पैसे देने पड़ रहे हैं। साथ ही लाइन में लगकर फिर फॉर्म भेजने हैं।

- सविता, कैंडीडेट्स

- बस एक बार नौकरी मिल जाए। भले ही कुछ इसके लिए कुछ भी करना पड़े। पहले डिग्री बनाने में समस्या झेली। इसके बाद इंटरनेट पर साइट नहीं खुल रही थी। अब संशोधन के लिए फॉर्म भेजने में दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं।

- सुशील, कैंडीडेट्स

- इस नौकरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा है। कभी कोई अड़चन आ जाती थी कभी कोई, अब जाकर भर्तियां शुरू हुई हैं। अब संशोधन के लिए जूझना पड़ रहा है। बस नौकरी मिल जाए। सब समस्याएं दूर हो जाएंगी।

- सुविता, कैंडीडेट्स