PATNA: जेल में भले ही कैदी बंद हो, लेकिन उनकी लेखनी को अब जेल से बाहर स्वच्छंद उड़ान भरने का मौका मिलेगा। गृह (कारा) विभाग की ओर से कैदियों को यह सुनहरा अवसर दिया जा रहा है। विभाग जल्द ही एक मासिक पत्रिका का प्रकाशन करने जा रहा है, जिसमें कैदियों की कविताएं, कहानियां, स्तंभ, आलेख और आपबीती को स्थान मिलेगा। साथ ही वहां पदस्थापित अधिकारियों और कर्मियों के लेखनी को भी पत्रिका में जगह दी जाएगी।

देश का पहला राज्य होगा बिहार

देश में कैदियों को यह सुविधा देने वाला बिहार पहला राज्य होगा। अन्य राज्यों में पत्रिकाओं का प्रकाशन तो होता है, लेकिन ऐसी पत्रिका में कैदियों की रचनाओं को शामिल नहीं किया जाता है। विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जेल आईजी ने इस प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। इस पत्रिका में रचनाएं लिखने वाले कैदियों को पारिश्रमिक भी दी जाएगी।

कैदियों के गुणों को लाएंगे सामने

पत्रिका के माध्यम से जेलों में बंद कैदियों के गुणों को दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया जाएगा। इस पत्रिका में जेल अधिकारियों व कर्मियों की भी उतनी ही भागीदारी होगी, जितनी कैदियों की। कैदी जहां अपनी बात लिख सकेंगे, वहीं जेल अधिकारी भी जेल के अंदर काम करने का अनुभव लिखेंगे। पत्रिका में बाहरी दुनिया के प्रासंगिक लेख भी रहेंगे।

पिछले एक दशक में बिहार के जेलों में कई तरह के प्रयोग किए गए हैं। इसी के तहत पत्रिका में कैदियों की रचनाओं को शामिल किया जाएगा। कैदियों को पारिश्रमिक भी दी जाएगी।

- आनंद किशोर, जेल आईजी