- श्री श्वेतांबर मंदिर में पारणा महोत्सव का चौथा दिन

- अक्षय तृतीया पर वर्षीतप के तपस्वी आज करेंगे पारणा

हस्तिनापुर : श्री जैन श्वेतांबर मंदिर में आयोजित वर्षीतप पारणा महोत्सव में सोमवार को भगवान शांतिनाथ मंदिर से अष्टापद जी तक शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर धर्म लाभ अर्जित किया।

शोभायात्रा श्री श्वेतांबर मंदिर जी से प्रारंभ होकर अष्टापद जी पहुंची और वहां पर तपस्वियों ने मूलनायक श्री ऋषभदेव भगवान का अभिषेक कर श्री शांतिनाथ मंदिर में प्रक्षाल पूजन किया। पारणा एवं कल्याणक मंदिर में श्री आदीश्वर भगवान का प्रक्षाल पूजन के पश्चात पारणा हाल में तपस्वियों का तपस्या संबंधी विधि विधान किया गया। साधर्मी वात्सल्य बनने का सौभाग्य मेहता फूलीबाई, वरदीचंद, हुलासी बाई गजराज राजस्थान, सुशीला देवी, मुल्तान मल सिसौदिया मेहता सूरत, भवरी देवी माणक चंद जैन, विमल, अरूण, देवांश को प्राप्त हुआ । धर्मसभा में पन्यास प्रवर श्री देव गुप्त जी महाराज साहब, साध्वी श्री प्रगुणा जी महाराज ने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि हमें उस पवित्र भूमि के दर्शन हुए है कि जिसके रज कण स्पर्श मात्र से ही मनुष्य धन्य हो जाता है। सायंकाल में श्री शांतिनाथ मंदिर, पारणा मंदिर व अष्टापद जी मंदिर में श्रद्धालुओं ने भगवान की आरती मंगलदीप व भावना आरती कर पुण्य का संचय किया।

आज होगा पारणा

श्री जैन श्वेतांबर मंदिर के महामंत्री निर्मल कुमार जैन, प्रबंधक तेजपाल सिंह ने बताया कि मंदिर में वर्षीतप के तपस्वी पहुंच चुके हैं और मंगलवार को अक्षय तृतीया के दिन वरघोड़ा यात्रा में शामिल होने के पश्चात इक्षु रस से पारणा करेंगे। महोत्सव में लगभग 400 तपस्वी पारणा करेंगे और उनके परिजन एवं अन्य श्रद्धालु भी मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे।

हस्तिनापुर की पहचान हो गई अक्षय

जैन धर्म के लिए यह धरती महान तीर्थ है। वर्ष भर में वैसे तो कई बार तृतीया आती हैं, परंतु इस माह की तृतीय का जैन धर्म में विशेष महत्व है और हस्तिनापुर से इस तिथि का विशेष संबंध है। आज ही के दिन जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने निराहार तपस्या के पश्चात प्रथम बार यहीं पर आहार किया था और उसी दिन से हस्तिनापुर ही अक्षय की भांति ही अमिट पहचान हो गई।

यहीं निकलती है वरघोड़ा यात्रा

हस्तिनापुर में अक्षय तृतीया के दिन पारणा करने का अलग महत्व है। गुजरात से आए संघ के तपस्वियों ने बताया कि वह अपने पूरे परिवार के साथ यहां पहुंचे हैं और पिछले दो वर्षो से वर्षीतप का पारणा इस स्थान पर कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे यहां पारणा करने के लिए इसलिए पहुंचते है कि भगवान ऋषभदेव के पारणे का मूल स्थल है और अक्षय तृतीया के दिन वरघोड़ा यात्रा निकाली जाती है जिसमें सभी तपस्वी शामिल होते है और यहां अतिथियों के बहुमान जैसा कार्यक्रम भी किया जाता है।

फोटो परिचय

मावा 19 : शोभायात्रा में शामित श्रद्धालु

मावा 20 : भगवान की शोभायात्रा में उपस्थित श्रद्धालु।