Lucknow: कागज के चंद टुकड़ों के लालच में इंसान को हैवान बनते देर नहीं लगती। इसी का एक नमूना तब सामने आया जब लालची ससुराल वालों ने दहेज की मांग न पूरी होने पर अपनी बहू के  हाथ-पैरों की नसें काट डालीं। केवल आठ महीनों की मैरिड लाइफ में जुल्मों की इंतहा झेल चुकी भुक्तभोगी युवती का इलाज ऐशबाग स्थित एक निजी नर्सिंग होम में चल रहा है। वहीं, पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन तीन दिन बीत जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
गणेशगंज निवासी एडवोकेट दिनेश श्रीवास्तव ने अपनी बेटी क्र(मल्टीनेशनल दवा कंपनी में डायटीशियन) डॉ। पारुल हेम श्रीवास्तव की शादी अलीगंज के आलोक नगर निवासी अमित सक्सेना के साथ 18 नवंबर 2011 को की थी। दिनेश श्रीवास्तव ने बताया कि शादी से पहले अमित के पिता अरविंद सक्सेना ने बताया था कि उनका बेटा गुडग़ांव में एक मल्टीनेशनल दवा कंपनी में एरिया मैनेजर है, लेकिन जब उनकी बेटी ससुराल पहुंची तो पता चला कि अमित किसी कंपनी में एरिया मैनेजर नहीं बल्कि उसकी जानकीपुरम स्थित एलयू न्यू कैंपस के पास केमिस्ट शॉप है.
यह इन्फॉर्मेशन मिलने पर दिनेश श्रीवास्तव ने अरविन्द सक्सेना से संपर्क किया और उनसे सफाई मांगी। दिनेश के मुताबिक, अरविन्द ने बताया कि दरअसल गुडग़ांव में उनका भांजा नौकरी करता है। उन्होंने इसे ही नियति मान हालात से समझौता कर लिया और बेटी को समझा-बुझा कर शान्त करा दिया।
एक सप्ताह बाद ही शुरू हो गया जुल्म
पारुल ने बताया कि उसे अपनी नई जिंदगी शुरु किये एक सप्ताह ही बीता था कि ससुर अरविन्द सक्सेना ने उसे मायके से 20 हजार रुपये लाने का फरमान सुना दिया। पारुल ने यह बात अपने पिता दिनेश श्रीवास्तव को बताई तो उन्होंने फौरन यह रकम अरविन्द को पहुंचा दी। रकम मिलने पर अरविन्द और उसके फैमिली मेंबर्स के मुंह में खून लग चुका था, इसलिये उसे और रकम लाने के लिये प्रताडि़त किया जाने लगा.
मारपीट को पारुल अपनी नियति मान सहती रही। इसी बीच एक जनवरी को अरविन्द सक्सेना, सास ममता, देवर सुमित ने पारुल की जमकर पिटाई की और उसे पिता से एक लाख रुपये और बाइक लाने को कहा। उन लोगों ने इस मांग के पूरा होने पर अन्य कोई मांग न करने का वायदा किया। पारुल ने यह मांग पूरा करने में असमर्थता जताई तो आरोप है कि उन लोगों ने उसकी पिटाई जारी रखी.
इसी बीच 16 जनवरी को पारुल को उसकी सास व ससुर ने चेतावनी दी कि या तो वह रकम व बाइक को लेकर आये अथवा अपनी नौकरी छोड़ दे और घरेलू काम करे। इस धमकी से खौफजदा पारुल ऑफिस से सीधे अपने मायके चली गई और पिता को पूरी आपबीती सुनाई। दिनेश ने उसकी सास व ससुर को फोन किया तो उन्होंने पारुल को फौरन वापस भेजने या फिर अंजाम भुगतने की धमकी दी।
पुलिस को अप्लीकेशन देने पर कर ली सुलह
यह सुनते ही पारुल ने एक अप्लीकेशन डीआईजी लखनऊ को दे दी। डीआईजी ने लोकल पुलिस को जांच के ऑर्डर दे दिये। इसकी भनक लगते ही अरविन्द सक्सेना और ममता ने पारुल से संपर्क किया और उसे आगे न प्रताडि़त न करने का वायदा करते हुए उससे पुलिस को सुलह होने की अप्लीकेशन दिलवा दी और उसे वापस लेकर ससुराल चले गये.
कुछ दिन तक सब ठीक चला लेकिन मार्च के पहले सप्ताह में पारुल पर फिर से अत्याचार शुरू हो गये और उससे जबरन नौकरी से इस्तीफा दिलवा दिया गया। पारुल ने बताया कि इस दौरान उसके पति ने उसे धमकी दी कि अगर वह नौकरी नहीं छोड़ेगी तो उसके पिता की अपने अपराधी साथियों से हत्या करवा देगा।
बचपन में ही गुजर गई थी मां
डेढ़ साल की उम्र में मां से बिछड़ चुकी पारुल पिता को खोने की बात से ही खौफजदा हो गई। उसने यह बात पिता दिनेश को नहीं बताई। फोन कॉल से मिली बेटी के घायल होने की सूचना पर
दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि बीती 10 जून की शाम सात बजे उनके मोबाइल पर अरविन्द सक्सेना का फोन आया और उन्होंने बताया कि उनकी बेटी पारुल डालीगंज स्थित केके हॉस्पिटल में भर्ती है। यह सुनते ही दिलीप बदहवासी की हालत में केके हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन काफी तलाश के बावजूद बेटी पारुल वहां नहीं मिली.
इस पर उनकी बहन सविता सीधे पारुल की ससुराल पहुंची जहां उसे पता चला कि पारुल रिंग रोड स्थित देवकी नर्सिंग होम में भर्ती है। उन्होंने दिलीप को फोन पर इसकी इन्फॉर्मेशन दी। जिसके बाद वे सब सीधे देवकी नर्सिंग होम पहुंचे।
आपबीती सुन दहल उठे फैमिली मेंबर्स
दिलीप व उनके फैमिली मेंबर्स जब वहां पहुंचे तो पारुल के हाथ व पैरों में टांके लग रहे थे। पिता को देखते ही पारुल फफक कर रो पड़ी। पिता दिलीप ने उसे दिलासा दिलाई और उससे इन घावों के पीछे की वजह पूछी। पारुल ने जो आपबीती सुनाई उसे सुनकर फैमिली मेंबर्स दहल उठे। उसने बताया कि शाम सात बजे वह अपने कमरे में पहुंची तो वहां पहले से मौजूद ससुर अरविंद सक्सेना ने उसका मुंह दबाकर उसे जमीन पर गिरा दिया.
सास ममता ने उसके दोनों हाथ पकड़ लिये और देवर ने दोनों पैर पकड़ लिये। इसके बाद पति अमित ने ब्लेड से उसके हाथों व पैरों में नसें काटना शुरू कर दिया। कुछ देर तक दर्द से चीखने के बाद पारुल अचेत हो गई। यह देख अरविंद व उसके फैमिली मेंबर्स डर गये और उन्होंने पुलिस केस में फंसने के डर से उसे इलाज के लिए देवकी नर्सिंग होम पहुंचा दिया।
एफआईआर दर्ज, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई
बेटी का प्राथमिक उपचार करने के बाद हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने उसे बलरामपुर हॉस्पिटल रेफर कर दिया। दिलीप पारुल को लेकर बलरामपुर हॉस्पिटल पहुंचे और वहां मौजूद डॉक्टर्स से मेडिकल रिपोर्ट की गुजारिश की। डॉक्टर्स ने बिना एफआईआर मेडिकल जांच करने से इनकार कर दिया.
जिसके बाद वह उसे लेकर अलीगंज थाने पहुंचे और करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद उनकी एफआईआर दर्ज हुई और महानगर स्थित सिविल हॉस्पिटल में उसका मेडिकल कराया गया। तीन दिन बीतने के बाद भी पुलिस ने एक भी आरोपी को अरेस्ट नहीं किया। उधर, दहशतजदा पारुल ऐशबाग के एक निजी नर्सिंग होम में अपना इलाज करा रही है.
Reprted By : Pankaj Awasthi