RANCHI : जेल मोड़ के पास स्थित आदिवासी हॉस्टल के पीजी ब्लॉक के कॉमन रूम में सोमवार की रात जब स्टूडेंट्स भोजन कर रहे थे तो छत टूटकर गिर गई। गनीमत है कि उस वक्त वहां कोई स्टूडेंट नहीं था, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। इस घटना के बाद स्टूडेंट्स ने उस लोर का घेरा बना दिया है और दरवाजे पर लिख दिया है कि यहां आना मना है। हालत यह है कि स्टूडेंट्स छत पर नहीं जा रहे हैं। उन्हें आशंका है कि यह छत कभी भी ढह सकती है।

जर्जर हो चुकी है बिल्डिंग

दरअसल इस हॉस्टल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है, पर इसकी मरमत को लेकर कल्याण विभाग चुप्पी साधे हुए है। इस जर्जर बिल्डिंग में करीब छह सौ स्टूडेंट्स जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं। किसी अनहोनी को लेकर इनकी हर रात दहशत में गुजरती है। हॉस्टल की बदहाली को लेकर स्टूडेंट्स कई बार शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हालत है कि दिन-प्रतिदिन हॉस्टल और जर्जर होती जा रही है।

हेलमेट पहनकर स्टूडेंट्स करते हैं पढ़ाई

कल्याण विभाग की ओर से 1980 में आदिवासी हॉस्टल बनवाया गया था। हॉस्टल के पीजी लॉक में 60 कमरें हैं, जिसमें 150 स्टूडेंट्स रहते हैं। इनमें ऐसे कमरे हैं जिसकी छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। ऐसे में इन कमरों में रहनेवाले स्टूडेंट्स हेलमेट पहनकर पढ़ाई करते हैं। स्टूडेंट सोनू करमाली ने बताया कि कमरे के अलावा टॉयलेट कीभी कंडीशन अच्छी नहीं है।

स्टूडेंट्स ने कहा

दो साल पहले हॉस्टल की मरमत हुई थी, पर बारिश होती है तो छत से पानी टपकने लगता है। सोमवार को छत का प्लास्टर गिर गया। हम तो दहशत में रात गुजारते हैं।

सोनू करमाली

हॉस्टल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है। छत तो गिरा ही, खिड़की का छज्जा भी टूटकर लटका हुआ है। खिड़की से हाथ बाहर निकालने में भी डर लगता है। किसी तरह का हादसा नहीं हो, इसलिए खिड़की बंद रखते हैं।

दुर्गा उरांव

हॉस्टल में जान हथेली पर रखकर रहे हैं। कमरे जर्जर हो चुके हैं। टॉयलेट भी बदहाल है। लेकिन इसे देखनेवाला कोई नहीं है। यहां हादसा हो जाए तो कौन जिमेवारी लेगा ?

ज्ञान सिंह मुंडा

सोमवार को हॉस्टल की छत के गिर जाने से यहां रहने में डर लग रहा है। अभी तो सिर्फ छत का एक पार्ट गिरा है। कभी भी यहां बड़ी घटना हो सकती है।

शैलेंद्र

कई बार इसके लिए कंप्लेन ाी किया गया लेकिन कोई देाने वाला नहीं है। हम लोगो को सबसे अधिक टेंशन बरसात में होती है।

रूमेश मुंडा