पुलवामा की घटना से आक्रोश में है पूरा देश, लीडर रोड के व्यापारियों ने चुनावी मुद्दे पर रखी अपनी राय

बेरोजगारी दूर करने वाली सरकार को मिलेगी प्राथमिकता, मिलाजुला रहा सरकार का कार्यकाल

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PRAYAGRAJ: लोकसभा चुनाव नजदीक है और इस बार यूथ बेसब्री से अपनी पसंद की पार्टी और नेता की तकदीर लिखने का इंतजार कर रहा है। क्योंकि आज का यूथ अब भटका हुआ नहीं है। उसके मुद्दे और विचार दोनों क्लीयर हैं। जनरल इलेक्शन 2019 का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या होगा? इस सवाल के साथ दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने लीडर रोड स्थित सुजान सिंह काम्प्लेक्स में युवा दवा व्यापारियों से बातचीत की। इसमें व्यापारियों ने व्यापार की समस्याओं, जीएसटी की खामियों के साथ ही तमाम मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन निष्कर्ष ये रहा कि देश की सुरक्षा सर्वोपरि है।

सभी मुद्दे अब हो गए पीछे

युवा व्यापारियों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश का मिजाज बदल दिया है। अब तक हावी रहे मुद्दे और समस्याओं को पीछे छोड़ कर देश की सुरक्षा का मामला सर्वोपरि हो गया है। अब अगर सरकार देश के दुश्मनों को करारा जवाब देती है, जवानों की मौत का बदला लेती है तो फिर परिणाम कुछ और ही होगा।

शहीदों के परिजनों के बारे में सोचें

व्यापारी आलोक जैन ने कहा कि इस समय न्यूज चैनलों पर पुलवामा हमले से जुड़ी ही खबरें आ रही हैं। ये लोगों को हिला कर रख दे रही हैं। पुलवामा हमले में जो जवान शहीद हुए हैं, उनमें एक जवान का चार दिन पहले ही बेटा पैदा हुआ था। उसने घर पर फोन कर बस यही पूछा था कि बेटा रोता तो नहीं है। इसके कुछ ही घंटों में दुनिया से विदा हो गया। सोचिए उस परिवार पर क्या बीत रही होगी। जब देश की बात आएगी तो हम दवा व्यापारी एकजुट हैं। जब भी जरूरत पड़ेगी, दुकानों के शटर बंद कर सड़क पर आ जाएंगे। प्रधानमंत्री को अब सीधे एक्शन लेकर आतंकवादी कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक नहीं बल्कि हमला कर देना चाहिए। कोई भी सरकार आए, उसे हमले को जारी रखना चाहिए।

जीएसटी में खामियां बहुत हैं

जीएसटी के तहत सरकार ने सब कुछ आनलाइन कर दिया है। 24 घंटे के अंदर ई-वे बिल जेनरेट होना चाहिए। जबकि स्थिति ये है कि लाइट गायब रहती है। सर्वर काम नहीं करता है। ऐसे में व्यापारी क्या करें। किस ट्रक नंबर से माल भेजा जा रहा है, यह बताना आवश्यक कर दिया गया है, जो पॉॅसिबल नहीं है। कुल मिला कर जीएसटी का सरलीकरण होना चाहिए।

कुंभ में सफाई रिसर्च का मुद्दा

इतना बड़ा कुंभ हो गया। शहर और मेला क्षेत्र में कहीं गंदगी का ढेर नहीं दिखा। लाखों-करोड़ों लोग आए और चले गए। शहर कुछ घंटों में ही स्वच्छ हो गया। पहली बार हमने सरकारी अधिकारियों को भी सड़क पर उतर कर काम करते देखा। पांच करोड़ की भीड़ मौनी अमावस्या पर आई और चली गई। कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। ये रिसर्च का मुद्दा है कि दो करोड़ लोग 24 घंटे एक एरिया में रहते हैं, नित्य क्रिया करते हैं। इसके बाद भी कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। कहीं गंदगी नहीं हुई।

दवा पर पांच तरह के टैक्स नहीं लगने चाहिए। पिछली सरकार में लाइफ सेविंग ड्रग्स पर टैक्स नहीं था। इस सरकार ने पांच प्रतिशत टैक्स लगाया है, इसे खत्म कर देना चाहिए। कैंसर व सीवियर बीमारियों की दवाइयों पर भी टैक्स लगाया गया है।

तरंग अग्रवाल

युवाओं को अब भाषण नहीं, बल्कि नौकरी चाहिए, जिससे वे समाज में सम्मान के साथ जी सकें। पढ़ाई लिखाई के बाद अगर उसे पकौड़ी बेचनी पड़ी तो यह सिस्टम गलत है।

मुदित अग्रवाल

भ्रष्टाचार का मुद्दा हमेशा से उठता रहा है। इस पर पूरी तरह से अंकुश अब तक नहीं लग सका है। इससे हर कोई परेशान है चाहे वह व्यापारी हो या फिर आम नागरिक। भ्रष्टाचार का खात्मा हो, ऐसा कोई उपाय हो।

इस्लाम अहमद

जिस समय श्रीलंका में लिट्ठे हावी था, उस समय उसे समाप्त करने के लिए वहां की गवर्नमेंट ने सबसे पहले उसे शरण देने वालों को मारा। उसी तरह भारत में भी आतंकवादियों को शरण देने वालों का खात्मा करना चाहिए।

आलोक जैन

जीएसटी टैक्स की बात करती है, जबकि दवा व्यापारियों के लिए पहले ड्रग रूल है, इसके बाद जीएसटी। दवा पर सिंगल टैक्स होना चाहिए। ताकि दवा व्यापारी व्यापार कर सकें।

रिंकू जायसवाल

चुनाव नजदीक आते ही नेता साम, दाम, दंड भेद की नीति अपनाने लगते हैं। लुभावने वादे करने लगते हैं। जितना दिमाग इन चीजों पर लगाते हैं, उतना दिमाग यदि देश व समाज के विकास पर लगाएं तो नेता बनने से कोई नहीं रोक सकता है।

उमाकांत

स्मार्ट सिटी की बात करें तो शहर में बदलाव हुआ है। 40 साल की उम्र में हमने पहली बार इलाहाबाद में इतना बदलाव होते देखा है। ऐसी-ऐसी गलियों को रोड व रोड को चौराहा बनते देखा है, जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी।

आशुतोष गोयल

हम ऐसा राजनेता नहीं चाहते जो सिर्फ बात करे। हमें ऐसा भी नेता नहीं चाहिए, जो कुछ न बोले। हमें ऐसा नेता चाहिए, जो बोलने के साथ ही कुछ करके दिखाए। धरातल पर काम दिखाई दे।

निमिष

शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों अहम मुद्दे हैं। इन्हें अब तक की सरकारों ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया है। मोदी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर में कुछ काम किया है। शिक्षा में काम की जरूरत है।

राजीव शुक्ला

क्वालिटी ऑफ एजुकेशन सुधारें

सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थ केयर में बेहतरीन कार्य किया है। जो इलाज पहले एक लाख में होता था, उसे 17 हजार रुपये में कर दिया। इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काफी काम किया। अब एजुकेशन पर बेहतरीन कार्य करने की जरूरत है। क्योंकि क्वालिटी ऑफ एजुकेशन ही समाज के विकास का मुख्य आधार है। जिस दिन पूरा देश शिक्षित होगा, उस दिन साफ-सफाई के लिए लोगों को जागरुक नहीं करना पड़ेगा। क्वालिटी ऑफ एजुकेशन से 50 प्रतिशत से अधिक समस्याओं का समाधान हो जाएगा। एजुकेशन पर ध्यान दिया तो सब कुछ सही हो जाएगा।

छोटे व्यापारियों के बारे में सोचे

व्यापारियों के लिए सरकार ने अभी तक कोई खास निर्णय नहीं लिया है। बजट में व्यापारियों के लिए कुछ भी खास नहीं है। देश को मॉल के रूप में देखा जा रहा है, सरकार इसे भूल जाए। सबका साथ सबका विकास की बात सरकार करती है, लेकिन ध्यान केवल उपर वालों का रखा जा रहा है। छोटे व्यापारियों की बात ही नहीं सुनी जा रही है। एक तरफ कहा जा रहा है कि पकौड़ी बेचने वाला भी जॉब कर सकता है। तो फिर सरकार मल्टीनेशनल कंपनियों पर फोकस क्यों कर रही है। छोटे व्यापारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। व्यापारियों को सहूलियत मिलने पर ही वे आगे बढ़ पाएंगे। एजुकेशन सिस्टम में बदलाव तभी होगा, जब टीचरों की क्वालिटी सुधरेगी। इंग्लिश मीडियम स्कूलों की फीस सरकार को कंट्रोल करनी चाहिए। ताकि मेधावी गरीब बच्चा भी स्कूल में पढ़ सके।

मेरी बात

इम्प्लायमेंट है सबसे जरूरी

किसी भी देश या समाज की तरक्की के लिए सबसे ज्यादा जरूरी इम्प्लायमेंट है। अब वो चाहे नौकरी से मिले या बिजनेस से। इम्प्लायमेंट और इंडस्ट्री दोनों जरूरी है। गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में नौकरी पाना ही इम्प्लायमेंट नहीं है। स्मॉल इंडस्ट्री व अन्य कंपनियों में जॉब मिलना, बिजनेस भी इम्प्लायमेंट ही है। सरकार की नीतियों में अगर लचीलापन हो तो सेमी इंडस्ट्री पर काम हो सकता है। एक सेमी इंडस्ट्री भी लगती है तो उससे कम से कम आठ-दस परिवारों को नौकरी मिलती है। इससे रोजगार बढ़ता है, विकास बढ़ता है। इन डायरेक्ट वे में रोजगार बढ़ता है। इंडस्ट्री के बाहर अगर चाट-पकौड़ी की दुकान लगती है तो ये भी एक जॉब ही है। मोदी जी ने पकौड़ी की दुकान लगाने की बात की, इसे विपक्ष ने मुद्दा बनाया, लेकिन पकौड़ी बेचने का मतलब नीचा दिखाना नहीं, बल्कि बिजनेस का रास्ता ढूंढने से है। यानी अगर कहीं पकौड़ी की दुकान लगाने से भी अच्छी इनकम होती है तो फिर हर्ज ही क्या है।

रितेश शर्मा

दवा व्यापारी

कड़क मुद्दा

देश ही सुरक्षित नहीं तो फिर क्या?

2019 के चुनाव में इस बार देश की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा होगा। क्योंकि जब देश ही सुरक्षित नहीं रहेगा तो फिर व्यापारी, नौकरीपेशा या फिर पूंजीपति कैसे चैन से जी सकेंगे। पुलवामा में हुए हमले के बाद जब विपक्ष एकजुट हो गया है, सभी दल सरकार के साथ हैं तो फिर देश की जनता को भी एकजुट होना होगा। क्योंकि ये देश का मुद्दा है। यूथ अब गुस्से में है। वह जीएसटी, नोटबंदी के साथ ही अन्य मुद्दों को भूल चुका है।