-हेलमेट व सीटबेल्ट न पहनने से सबसे ज्यादा लोग गंवाते हैं जान
-कोहरा भी ढाता है कहर, रफ्तार के बाद हादसे की सबसे बड़ी वजह
LUCKNOW: आज के वक्त में अगर इंसान की जिंदगी में कोई चीज सर्वाधिक अहमियत रखती है तो वह है समय। इसे कम करने के लिये तमाम कोशिशें जारी हैं। इंटरनेट की कम या ज्यादा स्पीड तो इंसान को महज थोड़ी बेचैनी या मानसिक खुशी देती है। पर, सड़क पर अपनाई गई लापरवाही भरी रफ्तार प्राण पखेरू ही उड़ा देती है। चाहे वह एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो या फिर हाइवे का अपग्रेडेशन। विकास की अंधी दौड़ में बरती जाने वाली लापरवाही अब इंसानी जीवन पर भारी पड़ रही है। यही वजह है कि हर साल रफ्तार और लापरवाही का कॉकटेल 20 हजार मौतों का सबब बन रहा है। हेलमेट न लगाने और बिना सीट बेल्ट पहने ड्राइविंग इनमें सबसे बड़े कारण हैं। वहीं, कोहरा हादसों की दूसरी सबसे बड़ी वजह बनकर सामने आ खड़ा हुआ है।
हेलमेट न पहनने से गई जानें
वर्ष 2016- 3818
वर्ष 2017- 4406
सीट बेल्ट न पहनने से गई जानें
वर्ष 2016- 2741
वर्ष 2017- 2897
कोहरे के कारण हादसे, मौतें व घायल
वर्ष हादसे मौतें घायल
2016 3664 2160 2933
2017 6414 3374 4397
इन योजनाओं से लग सकती है लगाम
-ई-चालान सर्विस
-इंटीग्रेटेड ट्रैफिक सिस्टम
-स्मार्ट सिटी सर्विलांस सिस्टम
इन जिलों में होना है लागू
-लखनऊ
-गाजियाबाद
-गौतमबुद्धनगर
-कानपुर
-वाराणसी
-फैजाबाद
-प्रयागराज
-आगरा
-मथुरा
-गोरखपुर
-मेरठ
प्रदेश में ट्रैफिककर्मियों के पद और उपलब्धता
कुल स्वीकृत पद: 5077
उपलब्ध स्टाफ: 3259
कमी: 1818
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70.5 हजार को संभालने के लिये 1 ट्रैफिककर्मी
प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था की बदहाली के लिये स्टाफ की कमी सर्वाधिक जिम्मेदार है। दरअसल, नियम तोड़ने वालों को रोकने, टोकने या फिर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिये उपलब्ध स्टाफ की संख्या सुनकर आप दांतों तले अंगुली दबा लेंगे। फिलवक्त प्रदेश की आबादी 23 करोड़ के करीब है। जबकि, कुल 3259 ट्रैफिककर्मी ही उपलब्ध हैं। ऐसे में अगर आबादी को ट्रैफिककर्मियों की संख्या से भाग दें तो पता चलता है कि 70 हजार 573 लोगों को संभालने के लिये महज एक ट्रैफिककर्मी ही मौजूद है। ऐसे में नियमों का पालन किस तरह से हो रहा होगा, इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं।
बाक्स
आबादी और उपलब्धता
प्रदेश की आबादी- 23 करोड़
कुल ट्रैफिककर्मी- 3259
एक कर्मी पर भार- 70,573 लोगों का
इन हाइवे पर सबसे ज्यादा एक्सीडेंट
-आगरा-नोएडा यमुना एक्सप्रेस वे
-लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे
-लखनऊ-दिल्ली वाया इटावा, मथुरा हाइवे
-लखनऊ-गोरखपुर वाया फैजाबाद, बस्ती हाइवे
-लखनऊ-वाराणसी वाया सुल्तानपुर हाइवे
-लखनऊ-बहराइच हाइवे
प्रदेश की सड़कों पर हर साल बढ़ जाते हैं वाहन
वर्ष वाहन
2013- 1.70 करोड़
2014- 1.91 करोड़
2015- 2.16 करोड़
2016- 2.39 करोड़
2017- 2.53 करोड़