राजधानी का डीएवी पीजी कॉलेज साल भर होने वाले हंगामों और लड़ाई झगड़ों केलिए जाना जाता है। हर हंगामे के बाद कॉलेज प्रशासन के पास एक ही जवाब होता है कि आरोपियों की पहचान नहीं हो पाई। तर्क वाजिब भी लगता है, क्योंकि कॉलेज के 35 हजार स्टूडेंट में से चंद स्टूडेंट्स की पहचान करना काफी मुश्किल है। इसी प्रॉब्लम को देखते हुए कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने कॉलेज कैंपस में शुरूआती दौर में छह सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना बनाई थी। इस योजना को स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन से पहले धरातल पर लाने का दावा भी कॉलेज प्रशासन ने किया था। लेकिन, लगभग दो महीने बीत जाने के बाद भी कोई खास काम नहीं हो पाया और कॉलेज आज भी तीसरी आंख के इतंजार में हैं।

पीसफुल एनवॉयरमेंट बनाने में होते मददगार
यह सभी कैमरे कॉलेज के अलग-अलग हिस्सों में लगाए जाने थे। इनमें एक कैमरा मेन गेट और एक कैमरे को प्रिंसिपल ऑफिस के नीचे लगाया जाना तय था, बाकी चार कैमरों को कॉरिडोर्स और ऐसे स्थानों पर लगाया जाना था, जहां ज्यादा आवाजाही है। कैमरों के लगने एक सीधा फायदा घटनाओं पर सीधे नजर रखने का था। इसके अलावा यह कैमरे बाहरी तत्वों पर भी नजर रखने का काम करते। हमेशा सर्विलांस की नजर में रहने के डर से स्टूडेंट्स भी मर्यादाओं का उल्लंघन करने से बचते। कुल मिलाकर लड़कियों से छेड़छाड़, आपसी गुटबाजी, हंगामे और झगड़े जैसी घटना को अंजाम देने से पहले इन कैमरों की नजर में आने का डर रहता। लिहाजा रोज के बवाल और हंगामे काफी हद खत्म हो जाते।

अब क्या है योजना
कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि पिछले दिनों इलेक्शन और एडमिशन प्रॉसेस के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, लेकिन अब सभी प्रक्रियाएं पूरी की जा चुकी हैं। कॉलेज अक्टूबर के लास्ट वीक तक सभी व्यवस्थाओं को सुचारू करने और लंबित प्रस्तावों को पूरा करने की प्रक्रिया को स्टार्ट करने की बात कह रहा है।

सेशन स्टार्टिंग में जिन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्हें 21 दिन के कोर्स के लिए बाहर जाना पड़ा और इसके बाद इलेक्शन के कारण यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई थी। अक्टूबर लास्ट तक इनको लगाने की प्रक्रिया स्टार्ट कर दी जाएगी।
- डा। देवेंद्र कुमार भसीन, प्रिंसिपल, डीएवी पीजी कॉलेज

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