करीब भ्7 दिनों से गंगा बैराज के गांवों में दहशत का पर्याय बन चुके बाघ के ताजा पग मार्क फिर मिलने से पूरे एरिया में हड़कंप मच गया है। करीब दो महीने से वन विभाग, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक रहा शातिर बाघ जंगल में वापस आ गया है। रविवार देर रात और सोमवार को कन्हवापुर और शनिसराय गांव में उसके पैरों के ताजा निशान मिले हैं। इतना ही नहीं बड़ा मंगलपुर के राकेश का कहना है कि बाघ की दहाड़ भी सुनाई दी है। पूरे इलाके को टीम ने घेर कर दिन भर कांबिंग की मगर कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ वापस निकला तो था लेकिन शायद वो उस रास्ते को पहचान नहीं पाया और फिर गंगा बैराज के जंगल आ पहुंचा है।

वो यहीं है, कहीं नहीं गया

वैसे कई दिनों से गंगा बैराज के गांवों में रहने वाले लोग और वन विभाग के अधिकारी कयास लगा रहे थे कि वह इस इलाके को छोड़कर कहीं चला गया है। मगर कहानी में सोमवार को नया मोड़ तब आ गया जब उसके पैर के निशान फिर मिले हैं। दो हाथी व दो ट्रैक्टर समेत आधा दर्जन टीमों ने कांबिंग की। जंगल में एक पेड़ से बछिया बांधी गई। अधिकारी इंतजार कर रहे थे कि शिकार पर बाघ हमला करे और उसे ट्रैंकुलाइज करके पकड़ा जाए, लेकिन करीब पांच घंटे तक इंतजार करने के बाद भी बाघ वहां नहीं आया। जिसके बाद टीमों ने दूसरे एरिया का रुख किया लेकिन फिर भी बाघ उनके हाथ नहीं लगा। डब्ल्यूटीआई के सीनियर चिकित्सक डॉ। सौरभ सिंघई के मुताबिक ट्यूजडे को कॉम्बिंग की जाएगी। इस बार कोई चूक न हो इसके लिए सारी टीमें एक साथ एक दिशा में कॉम्बिंग करेंगी। इसके अलावा दूसरे एहतियात भी बरतें जा रहे हैं।

एक दर्जन गांव संकट में

भले ही अधिकारी इसे जल्द पकड़ने का दावा कर रहे हैं मगर जंगल के आसपास बसे एक दर्जन गांवों के लिए यह बाघ दहशत का दूसरा नाम बन चुका है। नत्थापुरवा, मंगलपुरवा, पहाड़ीपुर, कन्हवापुर, शंकरपुर, बुल्लीपुर व रामपुर के लाखों लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है आखिर कब पकड़ा जायेगा यह बाघ।

जिंदा पकड़ना बना चैलेंज

इस बाघ को जिंदा पकड़ना वन विभाग व वाइल्ड लाइफ की टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। चूंकि यह देश की धरोहर है और इसे जिंदा पकड़ने के लिए पूरा जोर लगाएगी।

बाघ के इसी जंगल में होने के प्रमाण के तौर पर फिर से पैरों के निशान मिले हैं। पूरे जंगल को घेर लिया गया है। कांबिंग की नई रणनीति बनाई जा रही है संभव है जल्द ही कामयाबी मिल जाएगी।

राम कुमार, प्रभागीय निदेशक, समाजिक वानिकी प्रभाग