प्रयागराज एक्सप्रेस में सफर कर रही थी इलाहाबाद की फैमिली

टुंडला स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही हुआ हादसा, नही मिली इमरजेंसी हेल्प

ALLAHABAD: अपनी बेहतरीन सर्विस की दुहाई देने वाली रेलवे के दावे उस समय हवा होते दिखाई दिए जब एक महिला यात्री जख्मी हालत में कराहती रही और उसे मौके पर इमरजेंसी में इलाज नही मिला। मजबूरी में परिजनों को यात्रा को बीच में रोककर उसे नोयडा के निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। जानकारी के मुताबिक सिटी के साउथ मलाका एरिया के रहने वाले मोनू खान अपनी वाइफ शगुफ्ता और पांच साल के बेटे अरहन के साथ प्रयागराज एक्सप्रेस से शुक्रवार रात दिल्ली जा रहे थे। टुंडला स्टेशन पर हुए एक हादसे ने परिवार को हिलाकर रख दिया।

अपर बर्थ से गिरने पर लगी चोट

मोनू ने बताया कि टुंडला स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही वाइफ शगुफ्ता वाशरूम जाने के लिए अपर बर्थ से नीचे उतरी। यह लोग स्लापर कोच एस-6 में सवार थे। पैर फिसलने से वह कोच की फर्श पर गिर पड़ी और लोहा लगने से सिर पर गंभीर चोट आ गई। जिससे जबरदस्त ब्लीडिंग होने लगी। मौके पर टीटीई और जीआरपी के जवान भी मौजूद थे। परिजनों ने उनसे इमरजेंसी में इलाज की मदद मांगी लेकिन नही मिली। किसी तरह से चादर फाड़कर शगुफ्ता के सिर बांधा गया, जिससे उसकी ब्लीडिंग थमी। परिजनों ने यहां तक कहा कि अलीगढ़ जंक्शन पर डॉक्टरी सेवा मुहैया करा दी जाए लेकिन यहां भी सुनवाई नही हुई। इस बीच मरीज की हालत गंभीर होती चली गई।

रिश्तेदार को फोन करके बुलाया

बताया जाता है कि जब ट्रेन या किसी स्टेशन पर इलाज नही मिला तो मोनू ने गाजियाबाद में सफर खत्म करने का फैसला किया और स्टेशन पर वह वाइफ और बेटे को लेकर उतर गए। यहां से उन्होंने नोयडा में रहने वाले एक रिश्तेदार को फोन किया। जिन्होंने तत्काल पहुंचकर इस फैमिली की मदद करते हुए नोयडा के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया। मोनू का कहना है कि एक वीआईपी ट्रेन के यात्री को कम से कम इलाज तो मिलना ही चाहिए। अगर वह गाजियाबाद में नही उतरते तो वाइफ की जान भी जा सकती थी। उसके सिर पर दस टांके आए हैं और अभी भी हालत स्थिर नही हो सकी है।