गवर्नमेंट के फरमान के बाद से इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर एक ही स्टार लगाते हैं। अब, जब दोनों एक ही जैसे दिखते हैं, तो इनमें फर्क पहचानेगा कौन? इसी पहचान की लड़ाई तब से चली आ रही है। इस संबंध में डीजीपी से लेकर सीएम तक को लेटर लिखा जा चुका है, पर अब तक कुछ हुआ नहीं.पुलिस यूनिफॉर्म में स्टार्स को लेकर पिछले 19 सालों से वार चल रहा है। यह वार पुलिस एसोसिएशन और पुलिस हेडक्वार्टर के बीच है। दरअसल, गवर्नमेंट ने इंस्पेक्टर और एएसआई को एक ही स्टार लगाने की अनुमति दी है। ऐसे में इंस्पेक्टर्स को कई बार पहचानने में लोग धोखा भी खा जाते हैं। नतीजन सब इंस्पेक्टर को लोग कई बार कुर्सी दे देते हैें, तो इंस्पेक्टर को कोई नहीं पूछता। इन्हीं दलीलों के आधार पर बिहार पुलिस एसोसिएशन ने कई बार डीजीपी को लिखा है, साथ ही सीएम से भी मिलकर अपनी शिकायत दर्ज करवायी है। कुछ समय पहले फिर से डीजीपी नीलमणि को लेटर लिखा गया है।

फर्क करना है मुश्किल

स्टार को लेकर वार का कारण सिर्फ यही है कि आम पब्लिक जिसे स्टार्स की बहुत जानकारी नहीं, वे फर्क नहीं कर पाते। ऐसे में वे एएसआई और इंस्पेक्टर को एक ही रैंक का समझ लेते हैं। इससे अलग कि जब भी कोई सब इंस्पेक्टर दो स्टार के साथ उनके सामने आते हैं, तो वे उसे ही इंस्पेक्टर से ऊपर का ऑफिसर समझ लेते हैं। वैसे पहले बिहार पुलिस के इंस्पेक्टर भी पहले तीन स्टार लगाते थे, लेकिन 24 जून 1999 के बाद से इनके तीन स्टार हटाकर वन स्टार कर दिया गया. 

DSP से फंस सकता है मामला

अगर इंस्पेक्टर्स की मांग पूरी हो जाती है और उन्हें तीन स्टार लगाने की इजाजत मिल जाती है, तब पेंच डीएसपी रैंक के ऑफिसर्स से फंस सकता है। क्योंकि फिलहाल वे तीन स्टार लगाते हैं। बिहार पुलिस एसोसियेशन के स्टेट प्रेसिडेंट मृत्युंजय कुमार सिंह का कहना है कि तीन स्टार के साथ डीएसपी को बीपीएस लिखा होता है। इंस्पेक्टर रैंक में तीन स्टार के साथ बीपी लिखा रहेगा। इससे फर्क स्पष्ट देखा जा सकता है।

कई बार लिखा गया लेटर

पुलिस एसोसिएशन की ओर से डीजीपी को कई बार इस संबंध में लेटर लिखा गया है। 16 मार्च 11 को भी इस संबंध में लेटर लिखा गया है। इससे पहले 8 नवम्बर 10 को, 11 दिसम्बर 09 को भी प्रिसिंपल सेक्रेटरी होम को पुलिस एसोसिएशन की ओर से लिखा गया है। लेकिन अबतक कोई कार्रवाई इस दिशा में नहीं होने से एसोसिएशन आगे रणनीति तय करने की हिदायत जरूर दे रहा। पुलिस एसोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी अभिनंदन यादव ने कहा कि कई बार मांग की गयी है, लेकिन अबतक कोई कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

गजटेड होकर भी नन गजटेड

इंस्पेक्टर के पद को पहले से ही गजटेड रैंक में रखा गया था। इसका जिक्र 1948 से ही गजट में शामिल है। जब बिहार के चीफ सेक्रेटरी एलपी सिंह हुआ करते थे। लेकिन इसके बाद भी अबतक इंस्पेक्टर को नन गजटेड ही सरकार मानती है। इसके लिए काफी दिनों से लड़ाई चल रही है, लेकिन कोई फायदा नहीं हो सका है। हर बार पुलिस एसोसिएशन इस बात को उठाता है, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है।