-मानव-जानवरों के बीच उत्तराखंड में 15 सालों के दौरान जबरदस्त संघर्ष रहा

-इस संघर्ष के बीच डेढ़ दशक में 386 लोग मारे गए, 890 हुए घायल

-अकेले गुलदार से 241 लोगों की जानें गई, 401 बेकसूर लोग हुए घायल

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DEHRADUN : वनाच्छिदत प्रदेश कहे जाने वाले राज्य उत्तराखंड में मानव व जंगली जानवरों के जबरदस्त संघर्ष छिड़ा हुआ है। कारण जो भी रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि इन 15 सालों के दरम्यान राज्य में गुलदार, बाघ, भालू, जंगली सुअर व हाथियों से करीब 388 लोग मारे गए, 890 लोग घायल हुए। बदले में इस संघर्ष के बीच 1198 जंगली जानवर भी मौत के घाट उतरे। हालांकि, जंगली जानवरों की मौत में नैचुरल, दुर्घटना, अवैध शिकार भी शामिल है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में किस कदर मानव व जंगली जानवरों के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है।

मरने वालों की संख्या 388 तक

जब-जब राज्य के तमाम हिस्सों में आदमखोर के हमले होते हैं। अक्सर यह बात सामने आ जाती है कि आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है। कई तर्क सामने आते हैं, लेकिन जानकारों के मुताबिक असल सच्चाई यह है कि मनुष्य व जंगल के जानवरों के बीच यकीनन संघर्ष छिड़ा हुआ है। यह विषय जांच, खोज व पॉलिसी निर्धारण संबंधी हो सकता है, लेकिन मनुष्य व जंगल जानवरों के बीच छिड़ा वार युद्ध लगातार जारी है। आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि 15 सालों के दौरान तमाम जंगली जानवरों से 386 लोग मारे गए, 890 घायल हुए और 1198 बाघ, गुलदार व हाथी भी तमाम कारणों से मौत के घाट उतरे।

गुलदार से 242 मारे गए, 401 घायल

इतने सालों में अकेले गुलदार से 242 लोग मारे गए, 401 घायल हुए। बाघ से 16 लोग मारे गए, 23 घायल हुए। इसी प्रकार से 107 लोग हाथियों से मारे गए और 65 घायल हुए। भालू से 19 लोग मारे गए और 391 घायल हुए। जंगली सुअर से तीन लोग मारे गए और 10 घायल हुए। कुल मिलाकर जंगली जानवरों से मरने वालों की संख्या 388 पहुंची और घायलों की संख्या 890 तक पहुंची।

गुलदार के हमले में हताहत लोग

वर्ष--मृत--घायल

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बाघ की मौतों पर एक नजर

वर्ष--नैचुरल--दुर्घटना--अवैध शिकार--योग

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गुलदार की मौतों पर एक नजर

वर्ष--नैचुरल--दुर्घटना--अवैध शिकार--योग

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ख्0क्फ् सबसे खुशनसीब रहा

वर्षवार जंगली जानवरों से हताहत होने वाले लोगों के मरने की बात की जाए तो सबसे चौंकाने वाला साल ख्00म् रहा है, जब ब्फ् लोग जानवरों से मारे गए। इसके अगले साल ब्क् और ख्00क् में ब्ख् लोग मारे गए। सबसे खुशनसीब साल ख्0क्फ् रहा। जब केवल फ् लोग ही जंगली जानवरों के हमले में मारे गए। इस साल घायलों की संख्या भी महज पांच ही रही।