लड़कों ने गार्जियन की ही पिटाई कर दी

थर्सडे को वाणिज्य महाविद्यालय के एक स्टूडेंट की छेड़खानी का जब उसके गार्जियन ने प्रोटेस्ट किया, तो इकबाल हॉस्टल के लड़कों ने गार्जियन की ही पिटाई कर दी और मामला एक बार फिर पुलिस स्टेशन तक पहुंच गया। पिछले संडे को पीयू के कंप्यूटर सेंटर इंचार्ज डॉ। के पी सिंह को अरेस्ट किया गया, तो दूसरी ओर मंडे को पीयू के प्रोक्टेर डॉ। कृतेश्वर प्रसाद ने पीयू के प्रेजेंट सिनारियो से नाराजगी जताते हुए इस्तीफा दे दिया। ये तो हैं पीयू से रिलेटेड हालिया इंसिडेंट जो कि पीयू के रेपुटेशन से जुड़े हैं। आइए उन बातों को एक साथ जानते हैं, जिनके कारण पीयू के स्टूडेंट्स को लगातार प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ रही है।

एडमिशन प्रोसेस जारी है

न्यू एकेडमिक सेशन के दो महीने लगभग पूरे हो चुके हैं, पर अब तक पीयू में एडमिशन प्रोसेस तक पूरा नहीं हुआ है। पीजी के रेगुलर कोर्सेस में एडमिशन प्रोसेस जहां कुछ दिनों पहले ही शुरू हुआ है, वहीं यूजी लेवल में भी क्लासेस तो शुरू हो गए हैं, लेकिन साथ-साथ कोटा सीटों पर एडमिशन प्रोसेस भी चल रहा है। पीडब्लूसी छोड़कर न्यू सेशन में बीएड की पढ़ाई शुरू होना तो दूर, अभी तक एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट तक नहीं आया है।

समय पर नहीं निकलता रिजल्ट

प्री-पीएचडी टेस्ट (पीआरटी) के लिए अप्लाई करने की लास्ट डेट 23 अगस्त तक थी, लेकिन पीयू को अप्लीकेशन की लास्ट डेट बढ़ाकर 7 सितंबर करनी पड़ी। इसकी एक वजह यह भी थी कि पीजी लेवल पर 4 सब्जेक्ट्स के रिजल्ट तब तक पब्लिश नहीं हुए थे। गौरतलब है कि पीआरटी टेस्ट के लिए पीजी पासआऊट स्टूडेंट्स ही अप्लाई कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि रिजल्ट पब्लिश नहीं हाने के कारण हाल के दिनों में सिर्फ पीआरटी अप्लीकेशन की ही डेट बढ़ाई गई है। इसके पहले पीजी रेगुलर कोर्सेस के अप्लीकेशन कोर्स के फॉर्मफिल-अपडेट भी ऐसे ही रीजंस से बढ़ाई गई थी। लेट से रिजल्ट निकलने के साथ-साथ स्टूडेंट्स अक्सर रिजल्ट पब्लिकेशन में गड़बड़ी के कारण भी शिकायत करते हैं। पिछले दिनों पटना वीमेंस कॉलेज और पीजी जर्नलिज्म डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स ने रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन भी किया था।

नहीं है एजुकेशनल एनवायरनमेंट

वीमेंस कॉलेजेज की बात छोड़ दें, तो पीयू के बाकी कॉलेजेज और यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट्स में हेल्दी एजुकेशनल एनवायरनमेंट का अभाव है। कभी रैगिंग तो कभी छेड़छाड़ या कभी और किसी इश्यू पर मारपीट की घटनाएं सामने आती रहती हैं। इस कारण अक्सर कैंपस में पुलिस को बुलाना पड़ता है। कुछेक मौकों पर तो पीयू ऑफिशियल्स कॉलेज और यूनिवर्सिटी कैंपस में पुलिस स्टेशन खोलने की डिमांड तक कर चुके हैं। इतना ही नहीं, हाल के दिनों में फॉर्म फिलअप के समय पीयू के नन-टीचिंग स्टाफ्स और स्टूडेंट्स के बीच भी मारपीट की घटनाएं हुई हैं। इन सब कारणों से पीयू के ज्यादातर कॉलेजेज और पीजी डिपार्टमेंट्स में पढ़ाई का माहौल ही नहीं बन पा रहा है और बिना इसके कोई भी यूनिवर्सिटी सेंटर ऑफ एक्सेलेंस नहीं बन सकता है।

कैसे हो बिन टीचर्स पढ़ाई

पीयू में गवर्नमेंट की रेशनालाइजेशन प्रोसेस के बाद टीचर्स के 200 (लगभग एक तिहाई) से अधिक पोस्ट कई सालों से खाली हैं। ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि पीयू में कोर्स कैसे पूरे होते होंगे और स्टूडेंट्स को किस तरह की क्वालिटी एजुकेशन मिल पाती होगी। खैर यह सही है कि टीचर्स की बहाली यूनिवर्सिटी लेवल पर नहीं की जा सकती और इस कमी के लिए स्टेट गवर्नमेंट जिम्मेवार है। पिछले साल पीयू ने टीचर्स की कमी को पूरा करने के लिए एडहॉक टीचर्स की बहाली की योजना बनाई थी, पर यह भी अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई है।

और भी हैं कई प्रॉब्लम्स

इन मेजर प्रॉब्लम्स के साथ पीयू में और भी कई छोटी-बड़ी प्रॉब्लम्स हैं, जिनके कारण स्टूडेंट्स को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साइंस प्रैक्टिकल के लिए कॉलेजेज के लैब बदहाल स्थिति में हैं, तो वोकेशनल कोर्सेस के लिए जरूर टेक्नीकल फैसिलिटीज का भी अभाव है। ज्यादातर हॉस्टल में स्टूडेंट्स को बेसिक फैसिलिटीज नहीं अवलेवल हो पा रही है, तो यूनिवर्सिटीज का इंफ्रास्ट्रक्चर लेवल पर डेवलपमेंट लगभग रुक सा गया है। सेंट्रल लाइब्रेरी की बिजली कटी हुई है। रस्मी तौर पर जॉब फेयर तो लगता है, पर रेगुलर बेसिस पर काम करने वाला प्लेसमेंट सेल है ही नहीं। इन सब छोटी-बड़ी प्रॉब्लम्स को जब तक दूर नहीं कर लिया जाता, तक तक पीयू में एकेडमिक माहौल ही सुधरने की गुंजाइश कम है।

VC Says

पीयू में अभी जो प्रॉब्लम्स दिख रही है, वह कोई अचानक सामने नहीं आई है। सालों से जमी प्रॉब्लम्स तो कुछ महीनों में दूर भी नहीं की जा सकती। एडमिशन प्रोसेस की बात करें, तो पीजी लेवल पर इंटोड्यूस किए गए नए समेस्टर सिस्टम के पेचों को दूर होने में लगे समय के कारण यह प्रोसेस लेट हुई है। एडमिनिस्ट्रेटिव और एकेडमिक कमियों की बात करें, तो वर्क लोड बहुत ज्यादा है और वर्किंग हैंड कम। सालों से टीचिंग और नन-टीचिंग स्टाफ्स की बहाली नहीं हुई है और आए दिन कोई-न-कोई रिटायर भी होता जा रहा है। जहां तक स्टूडेंट्स द्वारा आए दिन किए जाने वाले हंगामों का सवाल है, तो इस पर काबू पाना उतना आसान नहीं है, क्योंकि हर यूथ पर नजर रखना मुमकिन नहीं है। साथ ही यह सोसायटी के मोरल वैल्यूज में आई कमी को भी रिफ्लेक्ट करता है। हालांकि इसके  बावजूद हम कोशिश कर रहे हैं पीयू का ग्लोरियस पास्ट फिर से वापस लाया जाए और हमें इसमें सक्सेस भी मिल रही है।

डा। एके सिन्हा, वीसी, पीयू

National News inextlive from India News Desk