दो दिग्गज

देश के दो दिग्गज मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और भारत की दीवार राहुल द्रविड़ ने रविवार को चैंपियंस लीग के फाइनल मैच के बाद विदाई ली. द्रविड़ ने हर तरीके के क्रिकेट से संन्यास लिया जबकि सचिन अब सिर्फ टेस्ट मैचों में खेलेंगे. दोनों ही क्रिकेट की महानतम हस्तियों में शुमार हैं लेकिन एक की परछाई ने हमेशा ही दूसरे को ढके रखा.

द्रविड़ देश के सबसे बड़े क्रिकेटर

अगर सचिन भारत के पास नहीं होते तो शायद द्रविड़ देश के सबसे बड़े क्रिकेटर होते और प्रशंसकों का एक खेमा उन्हें सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर मानता भी है. सचिन और द्रविड़ दोनों ही व्यवहार में शालीन हैं लेकिन मास्टर-ब्लास्टर 24 गज की पट्टी में पहुंचकर विस्फोटक हो जाते हैं जबकि राहुल वहां भी कॉपी बुक शॉट खेलते हैं.यही उनकी खासियत थी और यही उनकी कमजोरी भी.

सचिन की शख्सियत रही हावी

जब द्रविड़ ने 1996 में इंग्लैंड के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेला तो सचिन पूरी तरह क्रिकेट में अपने पांव जमा चुके थे. सचिन इस साल नवंबर में अपने करियर के 24 साल पूरे कर लेंगे जबकि द्रविड़ ने लगभग 16 साल के करियर में ही क्रिकेट की इबारत लिखी. पूरे करियर के दौरान सचिन की शख्सियत उन पर हावी रही और यही कारण है कि उन्हें जितना सम्मान मिलना चाहिए था वह नहीं मिल सका.सिर्फ सचिन ही नहीं बाकी खिलाडिय़ों का ग्लैमर भी द्रविड़ पर हमेशा भारी पड़ा. मिस्टर कूल ने अपने पहले ही टेस्ट मैच में सातवें नंबर पर उतरते हुए 95 रनों की पारी खेली लेकिन सारा ग्लैमर लूटकर ले गए सौरव गांगुली. गांगुली ने इस मैच में शतक ठोंका.

द्रविड़ थे ज्यादा कामयाब

द्रविड़ ने मात्र 164 टेस्ट मैचों में 52.31 की औसत से 13288 रन बनाए हैं और वह सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टेस्ट बल्लेबाजों में तीसरे नंबर पर हैं. इस सूची में दूसरे पायदान पर मौजूद पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने द्रविड़ से सिर्फ 90 रन ही ज्यादा बनाए हैं और उन्होंने राहुल से चार मैच ज्यादा भी खेले हैं लेकिन विश्व क्रिकेट में पोंटिंग को द्रविड़ से ज्यादा अहमियत दी गई. विश्व के दिग्गज सचिन की तुलना के लिए रिकी पोंटिंग, ब्रायन लारा और जैक्स कैलिस का नाम लेते रहे लेकिन इन सबसे ज्यादा काबिल होने के बावजूद द्रविड़ को कभी इस जगह नहीं खड़ा किया गया.

गांगुली और लक्ष्मण ने भी छीना क्रेडिट

1999 विश्व कप के बीच में ही सचिन के पिता का निधन हुआ. वह भारत आए और फिर इंग्लैंड लौटकर उन्होंने केन्या के खिलाफ सैकड़ा जड़ा. उसी मैच में द्रविड़ ने भी शतक ठोंका लेकिन सचिन की भावनात्मक पारी के आगे राहुल की पारी खो गई. उसी विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ गांगुली ने 181 रन बनाए. गांगुली ने द्रविड़ के साथ मिलकर साझेदारी का विश्व रिकॉर्ड बनाया. द्रविड़ ने इस मैच में बेहतरीन शतक लगाया लेकिन एक बार फिर उनकी पारी गांगुली के आगे खो गई. यही नहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 में कोलकाता में वीवीएस लक्ष्मण ने द्रविड़ के साथ मिलकर फॉलोआन खेल रही टीम इंडिया को जीत दिलाई. इस मैच में द्रविड़ की 180 रन की पारी भी लक्ष्मण के 281 रनों के आगे खो गई.

हर फील्ड़ में द्रविड़ बेस्ट

भारत को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत दिलाने का श्रेय भी द्रविड़ को ही जाता है. यहीं नहीं राहुल ने कप्तानी ऐसे समय छोड़ी जब टीम 22 साल बाद इंग्लैंड को उसकी सरजमीं पर टेस्ट सीरीज हराकर आई थी. यह बेहतरीन क्रिकेटर टीम हित के लिए विकेटकीपर भी बना और ओपनर नहीं होने के बावजूद पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में सहवाग के साथ ओपनिंग भी की.

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