अगले साल 4 से 31 जनवरी 2019 तक शहर में फिर से स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होना है। इसके लिए निगम के अधिकारी अभी टॉप-10 रैंक में आने का दावा कर रहे हैं। लेकिन हालत यह है कि नगर निगम अभी कूड़ा निस्तारण को लेकर भी कोई प्लानिंग नहीं बना पाया है। पहले गावड़ी और अब लोहियानगर में कूड़ा डालने को लेकर ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। जाहिर है कि कूड़ा निस्तारण निगम के लिए सबसे बड़ी मुसीबत है।

कूड़ा निस्तारण की प्लानिंग न होने से फिर स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ सकता है मेरठ

4 जनवरी 2018 से 10 मार्च तक हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में मेरठ को मिली थी 339वीं रैंक

ओडीएफ और डोर टू डोर के भरोसे निगम

Meerut। साल 2019 के स्वच्छ सर्वेक्षण की दौड़ में एक बार फिर मेरठ नगर निगम अपनी आधी अधूरी तैयारियों के साथ शामिल हो रहा है। निगम को इस बार उम्मीद है कि इस बार पूरी तैयारियों के साथ पिछली साल की कमियों को दूर कर स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छी रैंक हासिल करेगा, लेकिन निगम की तैयारियों पर गौर करें तो शहर की सबसे बड़ी कूड़े की समस्या निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में बड़ा झटका दे सकती है। निगम अपनी भरपूर कोशिश के बाद भी शहर के कूडे़ का निस्तारण नही खोज पा रहा है। ऐसे में तीन माह बाद शुरू होने वाले इस स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम कैसे अच्छे नंबर प्राप्त करेगा इस पर खुद निगम अधिकारियों को भी संशय है।

टॉप 10 की कवायद

इस साल चार जनवरी से 10 मार्च तक हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 में मेरठ को 339वीं रैंक मिली थी। सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल रहे 4023 शहरों की रैकिंग रिपोर्ट जारी की थी। इसमें मेरठ नगर निगम पश्चिमी उ.प्र। में काफी पीछे रह गया था। इस स्वच्छता सर्वेक्षण के चार प्रमुख बिंदुओं- कूड़ा निस्तारण, शौचायल निर्माण, सीवर व्यवस्था और पेयजल आपूर्ति को 50 प्रतिशत भी मेरठ नगर निगम पूरा नही कर पाया था। जिस कारण से रैंक में पिछड़ गया था। अभी तक इन चारों में से तीन प्रमुख बिंदुओं की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में मेरठ नगर निगम के लिए टॉप टेन रैंक तो दूर टॉप 100 में भी पहुंच पाना मुश्किल साबित होगा।

ओडीएफ के सहारे सुधार

स्वच्छता सर्वेक्षण के चार प्रमुख बिंदुओं पर होने वाली रैकिंग में केवल शौचायल निर्माण यानि ओडीएफ में मेरठ नगर निगम शप प्रतिशत अंक मिल सकते हैं। इस साल 2 अक्टूबर को मेरठ नगर निगम ओडीएफ घोषित हो रहा है। इसके अलावा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था को निगम ने गत माह शुरू किया है लेकिन वह भी अभी तक केवल 20 वार्डो तक सीमित है। ऐसे में केवल इन दो बिंदुओं से स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंक में कुछ सुधार संभव है।

कूड़ा बनेगा मुसीबत

इस साल शुरुआत से नगर निगम के लिए मुसीबत बना शहर का कूड़ा साल 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर भारी पड़ सकता है। मंगतपुरम, गावड़ी के बाद लोहियानगर में निगम ने कूडे़ का पहाड़ तो खड़ा कर दिया लेकिन इस कूड़ेके निस्तारण का प्लान लखनऊ में अटका हुआ है। अब यदि दिसंबर माह तक निगम ने निस्तारण का कोई प्लांट तैयार कर लिया तो शहर को सफाई में अच्छी रैंक मिल सकती है।

हम पूरे प्रयास में है कि शहर इस बार चारों प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतर सके और जनता खुलकर अपने शहर को वोट दे। इसके लिए ओडीएफ और डोर टू डोर हम शुरू कर चुके हैं। कूड़ा निस्तारण प्लांट भी जल्द शुरू हो जाएगा।

मनोज त्रिपाठी, लेखाधिकारी निगम