- लोवर मिडिल क्लास परिवारों के बेटों- बेटियों ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में रचा इतिहास

- कोई ऑटो चालक तो कोई मजदूर का बेटा, हौसलों से जीता सफलता का मुकाम

कैंचियां क्या पर कतरेंगी हमारे, हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं.

राहत इंदौरी का यह शेर उन मेधावियों पर बिल्कुल सटीक साबित होता है जिन्होने अपनी मेहनत के बल पर सफलता का मुकाम हासिल किया. सफलता के इस सफर में कई मुश्किलें आई लेकिन हसरतों की उड़ान सारी मुश्किलों पर भारी पड़ गई. यूपी बोर्ड में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में कुछ ऐसे टॉपर्स हैं जिनके लिए गरीबी कमजोरी नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा बन गई.

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पिता चलाते हैं ऑटो

खालसा इंटर कॉलेज की प्रियंका को इंटरमीडिएट में पीसीएम में 77 प्रतिशत अंक मिले हैं. प्रियंका ने बताया कि पापा ऑटो चलाते हैं, वहीं, भाई बहनों की पढ़ाई के खर्च के कारण घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. बावजूद इसके, उसने अपनी मेहनत को ताकत बनाया. वहीं, हाईस्कूल में स्कूल की टॉपर स्टूडेंट फारिया को 72 फीसदी अंक मिले हैं. फारिया ने बताया कि उसके पापा भी ऑटो रिक्शा चलाते हैं. उसने बताया कि पापा की मेहनत से उसे प्रेरणा मिली है.

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पापा करते हैं मजदूरी

एसडी सदर ब्वॉयज के इंटरमीडिएट के स्टूडेंट हर्ष गौड़ ने पीसीएम से 73 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. उनके पिता सतीश मजदूर हैं और मां गृहणी हैं. हर्ष के मुताबिक वो साइकिल या पैदल ही स्कूल आते थे. उनका घर मलियाना में है.स्कूल के बाद वो अपने पापा मम्मी की घर में भी हेल्प करते थे. क्योंकि वह दो भाई दो बहनों में बड़े है. अब वो इंजीनियर बनना चाहते हैं.

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पापा के साथ लगाता है पंचर

एसडी सदर के इंटरमीडिएट के स्टूडेंट अभिषेक ने पीसीएम से 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है. वह मेरठ में ललापुरम के निवासी हैं. घर से उनका स्कूल 10 किमी दूर है. उनके पिता ईश्वर सिंह की पंचर की दुकान है. स्कूल के बाद वो अपने पापा की हेल्प करते थे. जिसके बाद शाम को पढ़ते थे. अभिषेक की टीचर बनने की चाहत है.

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पापा आईसीयू में थे भर्ती

दिगम्बर जैन में कॉमर्स की सेकेंड टॉपर दीक्षा ने 62 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं. दीक्षा के मुताबिक उनके एग्जाम टाइम में उनके पिता आईसीयू में भर्ती थे, इसलिए थोड़ा डिस्टर्ब हो गई थी, नम्बर कम आने का बहुत दुख है, लेकिन आगे मेहनत कर वो अकाउंट फील्ड में करियर बनाने की चाहत है.

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पार्ट टाइम जॉब के साथ पढ़ाई

- आरजी इंटर कॉलेज की छात्रा रिया तिवारी ने इंटरमीडिएट में 278 नंबर हासिल किए हैं. प्रिंसिपल रजनी शंखधर ने बताया कि रिया स्कूल में पढ़ाई के बाद एक हॉस्पिटल में पार्ट टाइम जॉब करती थी ताकि घर का खर्च चल सके. उनके पिता का देहांत हो चुका है. भविष्य में रिया सोशल वर्कर बनकर दूसरों की सेवा करना चाहती है.

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जनरेटर मैकेनिक हैं पिता

एसडी सदर 12वीं के टॉपर निखिल सोनकर ने 84.80 फीसदी अंक हासिल किए हैं. उनका जिले में छठवां स्थान है. सिविल लाइन नंगला बट्टू निवासी निखिल के पिता सुरेंद्र सोनकर जेनरेटर मैकेनिक हैं. उनकी मां रानी सोनकर भी काम करती हैं. परिवार में तीन भाई और एक बहन हैं. निखिल आईआईटी करना चाहते हैं. इसके लिए वह जेई मेंस भी दे चुके हैं. निखिल के 90 परसेंटाइल आए हैं. निखिल डिजिटल लर्निंग प्रोग्राम के तहत आईआईटी तैयारी में जुटे हैं. निखिल बताते हैं कि कोचिंग बहुत महंगी थी ऐसे में उन्होंने डिजिटल लर्निंग प्रोग्राम के जरिए ही तैयारी करना बेहतर समझा. निखिल ने रोजाना आठ से दस घंटे तक पढ़ाई की. निखिल सोनकर ने रिजल्ट आने से पांच दिन पहले ही वाट्सएप और फेसबुक पर अकाउंट खोला है.

पसंदीदा खेल- क्रिकेट, पसंदीदा नेता - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

सब्जेक्ट वाइस मा‌र्क्स

फिजिक्स - 94, अंग्रेजी - 82, हिंदी - 75, केमेस्ट्री - 82, मैथ - 92

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पापा हैं इलेक्ट्रिशियन

एसडी सदर इंटर कॉलेज के10वीं के टॉपर आशीष कुमार को 88.16 फीसदी मा‌र्क्स मिले हैं. उनका जिले में आठवां स्थान है. सरायकाजी हरवंश विहार निवासी आशीष के पापा अमित कुमार नंदन सिनेमा में इलेक्ट्रीशियन हैं. मम्मी मंजू देवी अस्पताल में काम करती हैं. आशीष स्कूल आने-जाने के लिए 12 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय करते हैं. वे 12वीं करने के बाद आईआईटी करना चाहते हैं. आशीष कहते हैं कि मम्म्ी-पापा केयोगदान से ही उनको कामयाबी मिल रही है. आशीष मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वह किसी सोशल साइट्स पर सक्रिय नहीं हैं.