दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा बीट्स ऑफ डांस एकेडमी में हुआ मिलेनियल्स स्पीक का आयोजन

युवा बोले, देश के विकास के लिए पढ़े-लिखे नेता की है आवश्यकता

इंट्रो. जब तक देश का नेता पढ़ा-लिखा नहीं होगा तब तक वह देश के विकास में एजुकेशन की वैल्यू को नहीं समझ सकता. किसी भी देश नागरिक तभी तरक्की कर सकता है जब उस देश में शिक्षा का स्तर बेहतर हो. मगर भ्रष्टाचार ने शिक्षा को भी नहीं छोड़ा है. शिक्षा का बाजारीकरण ही देश को लाखों कोशिशों के बावजूद भी आगे नहीं बढ़ने देगा. कठोर नीतियां बननी चाहिए जिससे शिक्षा को बिजनेस बनने से रोका जा सके. हर किसी समान शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए. देश में लड़कियों के लिए तो फ्री शिक्षा का इंतजाम होना चाहिए क्योंकि शिक्षित लड़की दो घरों को शिक्षित करती है. कुछ इस तरह के विचारों के साथ ही बीट्स ऑफ डांस एकेडमी में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा आयोजित मिलेनियल्स स्पीक कार्यक्रम की शुरुआत हुई. कार्यक्रम में एजुकेशन के अलावा किसान, सुरक्षा, स्किल डवलपमेंट जैसे विभिन्न मुद्दों पर युवाओं ने खुलकर विचार रखे.

Meerut. मिलेनियल्स स्पीक कार्यक्रम में नीतू ने कहा कि एजुकेशन के बिना व्यक्ति की समझ आम आदमी की समझ से कनेक्ट हो पाना लगभग नामुमकिन है. एक स्थिर और गतिशील समाज की नीव शिक्षा के आधार पर रखी जा सकती है. आज राजनीति में देश और पढ़े-लिखे देशवासियों को हैंडल करने जिम्मा एक क्रिमिनल और बिना पढ़ा-लिखे नेता के हाथ में है. ऐसा नेता कैसे समाज में विकास की बयार को राह दे सकता है. बात को आगे बढ़ाते हुए पूनम ने कहा कि सही बात है. जब तक हमारे समाज का नेता पढ़ा-लिखा नहीं होगा, तब तक न तो वास्तविक रूप में समाज का विकास हो सकता है और न ही इस बारे सोचा ही जा सकता है. बाशुवी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर नेता के क्रप्ट होने के परिणामस्वरूप देश में सरकार बदल जाती हैं तो पेपरलीक मामले में क्यों नहीं. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि शिक्षा की तरफ किसी सरकार का ध्यान ही नहीं है. विपक्ष भी कभी सरकार को शिक्षा के मुद्दे पर नहीं घेरता है. दूसरा देश में शिक्षा का क्या फायदा जब केवल वेकेंसी निकले और रिजल्ट पर जांच बैठ जाए या सरकारी नौकरी के एग्जाम को सरकार बदलने की वजह से रद कर दिया जाए.

एजुकेशन का स्तर सुधरे

जूही ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हम लोगों में से ही पढ़-लिखकर लोग शिक्षक बनकर बेसिक एजुकेशन जैसे विभागों में आते हैं और अपने दायित्व को नहीं निभाते. ऐसे शिक्षकों पर लगाम लगाने वाली सरकार चाहिए. ज्यादातर सरकारी टीचर्स बाहर ट्रांसफर होने पर वहां महीने में सिर्फ एक-आध बार ही हाजिरी लगाने जाते हैं और बीएसए से सेटिंग कर पूरे महीने की तनख्वाह पाते हैं. आज शिक्षा महज औपचारिकता बनकर रह गई है. किसी भी एग्जाम में सेटिंग या सोर्स होने पर नौकरी मिल जाती है तो शिक्षा का स्तर क्यों सुधारेगा और कौन सुधारेगा.

रोजगार की व्यवस्था हो

इशा ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार की व्यवस्था के लिए सरकार को एक स्कीम लानी चाहिए. जिसमें पढ़ाई पूरी करने के बाद युवाओं को उनके बौद्धिक स्तर पर अच्छी कंपनियों में रोजगार की गारंटी मिले. इससे एक तो बेरोजगारी में कमी आएगी दूसरा देश में हर हाथ को काम मिलने का ख्वाब भी पूरा हो जाएगा. शिक्षा से नंबर सिस्टम खत्म होना चाहिए ताकि युवाओं को उनके स्किल के आधार पर आंका जा सके.

ये मुद्दे भी रहे चर्चा के बिंदू

रोजगार नहीं मिल रहा यूथ खाली भटक रहा है.

बेसिक से लेकर हायर एजुकेशन तक में विभागों में सरकारी शिक्षक ईमानदारी से नहीं करते ड्यूटी.

टेक्नोलॉजी ऑफ एजुकेशन पर बेहतर कार्य होना चाहिए.

पढ़ाई के साथ ही मिलने चाहिए रोजगार के अवसर.

शहरों के नाम बदलने पर भी हुई गरम चर्चा.

नेताओं की सोच उनके बैकग्राउंड पर निर्भर करती है.

आतंकवाद का सफाया करना बेहद जरुरी है.

महिला सुरक्षा को लेकर होने चाहिए बड़े फैसले.

किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिले.

हर सरकार में पिस रहा है केवल मीडिल क्लास.

धर्म को लेकर होने वाले विवादों व भेदभाव को खत्म करने वाली सरकार चाहिए.

बच्चे, बुर्जुग व महिलाओं को समाज सुरक्षा मिलनी चाहिए.

सड़कों का सुधार व जाम से चाहिए निजात.

कड़क मुद्दा

सबसे कड़क मुद्दा धर्म को लेकर भेदभाव का रहा. जिस पर समीर खुर्शीद ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता आज कोई किसी को किराए पर घर देने से पहले या नौकरी पर रखने से पहले उसकी जात पर गौर क्यों करता है. मेरे हिसाब से ये सभी भेदभाव राजनीति के चलते ही हो रहे हैं. अगर हम जातिवाद की बात से ऊपर उठकर इंसानियत की बात करें तो कोई ऐसा नहीं है जो समाज व देश के विकास को रोक सके. समाज तभी बदलेगा जब हमारी सोच बदलेगी, धर्म पर राजनीति खत्म होगी. समीर ने कहा धर्म में क्या रखा है, अगर आपकी सोच अच्छी है तो आप किसी भी धर्म के हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

मेरी बात

मेरे हिसाब से मौजूदा सरकार बहुत कुछ बेहतर कर रही है, आगे भी उम्मीदें है कि सबकुछ बेहतर होने वाला है. मेरी केवल यही मांग है कि सरकार को सफाई के मुद्दे पर भी ध्यान देना होगा. हां मैं मानती हूं कि सफाई का ठेका केवल सरकार न नहीं उठा रखा बल्कि ये हमारी भी जिम्मेदारी है. सफाई कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी तय होनी चाहिए, जिससे वो अपनी भूमिका का सही-सही निवर्हन करें. मुझे जमीनी हकीकत पर स्वच्छता अभियान चलाने वाली सरकार चाहिए, न कि केवल हवा-हवाई वादे करने वाली. इसके अलावा एजुकेशन के स्तर को सुधारने के लिए शिक्षकों को जागरुक करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही हायर एजुकेशन में पढ़ाई के साथ ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए, मेरा वोट उसी सरकार को जाएगा, जो युवाओं के लिए बेहतर प्रयास करेगी.

अर्शी

यूथ के बारे में सोचने वाली और महिलाओं की सुरक्षा व उनके हितों के लिए कड़क व शीघ्र कदम उठाने वाली सरकार चाहिए, इसके साथ ही मुझे वो सरकार चाहिए जो समाज में सही को सही और गलत को गलत बताए. देश में संविदान के कानून का कड़ाई से पालन कराने वाली सरकार ही युवाओं की पसंद है.

जूही

एम्प्लॉयमेंट एवं एजुकेशन के मुद्दे पर काम करने वाली सरकार चाहिए. इसको केवल वहीं समझ सकता है जो खुद पढ़ा-लिखा हो.

नीतू

केवल वादे करने वाली सरकार नहीं चाहिए, क्योंकि हर सरकार पहले वादे करती है फिर गायब हो जाती है.

पूनम

मैं तो केवल उसे वोट करुंगा जो जमीनी हकीकत पर देश की सुरक्षा पर काम करेगा, इसके साथ ही युवाओं की सोचेगा.

बाशुवी

पेपरलीक करने वाली, क्रप्शन से प्यार करने वाली और बेरोजगारी बढ़ाने वाली सरकार नहीं चाहिए.

इशा

मीडिल क्लास के हित में जमीनी हकीकत पर काम करने वाली सरकार चाहिए, सभी सरकारों के बीच मीडिल क्लास ही पिस रहा है.

मीनू

एजुकेटेड, ईमानदार व पढ़ा-लिखा नेता चाहिए. ऐसा नेता ही देश की नब्ज पकड़ सकता है.

विधि

बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है, पढ़े-लिखे योग्य लोग केवल पांच से दस हजार की नौकरी कर रहे हैं.

साक्षी

मेरे हिसाब से सड़कों पर जाम, पॉल्यूशन, सुरक्षा व क्रप्शन यहीं मुद्दे हैं जिनको लेकर मैं इस बार वोटिंग करने वाली हूं.

भावना

मेरे हिसाब से अभी तक सरकार ने कोई भी ऐसी विकेंसी नहीं निकाली जो हमारे पेशे से संबंधित हो.

डॉ. नम्रता

किसी भी मुद्दे पर जातिवाद नहीं इंसानियत और बराबरी की बात करने वाली सरकार चाहिए

समीर खुर्शीद