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kanpur : लोकसभा चुनाव के शंखनाद के बाद प्रत्याशियों और नेताओं ने जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने का काम शुरू कर दिया है. यूथ को सीढ़ी बना कर उनके परिजनों का दिल जीतने जैसे सपने को पूरा करने के लिए प्रत्याशी होली के पर्व को भी भुनाने से बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसे में यूथ को जागरूक होकर बिना किसी भेदभाव के सच्ची और अच्छी सरकार चुननी होगी. यूथ के चुनावी मुद्दे को समझने के लिए ट्यूजडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी पहुंचा किदवईनगर सॉफ्टजेन कोचिंग इंस्टीट्यूट, जहां यूथ ने बड़े ही बेबाकी से अपनी बात कही.

लोकल नेता होगा पहली पसंद
कीर्ति सिंह, हरिओम मिश्रा व भूमिका अवस्थी ने कहा कि उनकी प्राथमिकता ऐसे नेता को वोट देने की है, जो शहर की समस्याएं दूर करने के साथ देश की राजनीति में भी योगदान करें. देश व शहर के विकास के लिए पब्लिक ऐसे ही नेता को वोट दे. अगर बात ईमानदारी की होगी तो वर्तमान सरकार पूर्व की घोटालेबाज सरकारों की तरह नहीं है. देश को दमदार प्रधानमंत्री ही चाहिए जो दुश्मन देशों को आंख दिखा सके. घपले-घोटाले करने वाले नेता इस समय बिलबिला रहे हैं, लेकिन वे भी जान रहे हैं कि अब उनकी 'दुकान' नहीं चल पाएगी. यूथ यह भी बोले कि हमको सिर्फ एमपी ही नहीं बल्कि एक मजबूत इरादे वाली सरकार भी चुनना है.

दुश्मन देश को आंख दिखाने वाला..
जया, प्राची व आभा ने कहा नेशनल सिक्यूरिटी का मुद्दा मेन है. देश की सेवा में अपनी जान तक न्यौछावर कर देने वाले जवानों के साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए. सेना का हौसला बुलंद करने वाली गवर्नमेंट चाहिए. ऐसे नेताओं की यूथ को कोई जरूरत नहीं है जो देश की सेना के शौर्य पर सवाल उठाते है. उरी और पुलवामा में आतंकी हमले के बाद इस बार गवर्नमेंट ने जैसा एक्शन लिया है, ऐसे ही एक्शन के लिए आगे भी तैयार रहना चाहिए. अगर कोई गाल पर एक तमाचा मारे तो जमाना है कि तुरंत उसके दोनों गालों पर थप्पड़ जड़ दिया जाए. इससे वो दोबारा ऐसी गलती न कर सके.

डेवलपमेंट की आढ़ ने न हो करप्शन
यूथ में अपनी बात को सबके सामने रखने को लेकर काफी जोश था. इस बीच कार्तिकेय, शाश्वत व करन ने कहा कि पूर्व की सरकारों के नेता अपनी जेब भरते रहे हैं. डेवलपमेंट सिर्फ कागजों पर होता था और उसकी आड़ में करप्शन फलता फूलता था. अब माहौल बदल चुका है. कर्मचारियों से लेकर अधिकारी भी अब समझ चुके हैं कि वह भी किसी दिन पकड़े जा सकते हैं. अधिकतर सेवाएं ऑनलाइन होने से करप्शन खत्म होने की दिशा में देश चल चुका है. वेद, अमन व मयंक ने कहा कि करप्शन करने वाले अब सावधान हो जाए वक्त बदल गया है.

 

स्टार्टअप योजना युवाअों को भायी
चित्रांश, सरफराज व आयुष ने कहा कि हम सब मेहनत से पढ़ाई लिखाई करते हैं सिर्फ इसलिए कि हमें अच्छी जॉब्स मिल सकें. हम यूथ का भला सोचने वाले की गवर्नमेंट चाहते हैं. वर्तमान सरकार का स्टार्टअप योजना भी युवाओं को बहुत पसंद आ रही है. तमाम लोगों ने स्टार्टअप के जरिए खुद को ही मजबूत नहीं किया बल्कि कई लोगों को नौकरी भी दी है. उन्होंने कहा कि गवर्नमेंट को यूथ के लिए ऐसी अन्य योजनाओं को और लांच करना चाहिए. हालांकि कुछ यूथ यह भी बोले कि हर व्यक्ति रोजगार नहीं कर सकता है, उन्हें नौकरी ही रास आती है. ऐसे में नौकरी के नए रास्ते भी गवर्नमेंट को खोलने चाहिए.

जाति धर्म के नाम पर न हो बंटवारा
दीपांश, आयुष व दिव्यांश सिंह ने कहा कि हमें कंट्री का डेवलपमेंट करने वाली गवर्नमेंट चाहिए. चुनाव में लुभावनी बातें कर जो नेता वोट मांग रहे हैं ऐसे नेताओं को यूथ कतई नहीं देगा. कृष्णा, हर्षिता व आनंद ने कहा कि प्रदेश की पुलिस व्यवस्था और उनकी कार्यशैली अब बदल रही है. हमें ऐसी ही पुलिस चाहिए जो गुण्डे बदमाशों को जेल में ठूंस दे. पुलिस के मुद्दे पर कई अन्य यूथ बोले कि पुलिस को अभी नए संसाधनों से लैस करने की जरूरत है. अब जमाना बदल रहा है उसी के साथ पुलिस भी हाईटेक होना चाहिए.

मिलेनियल्स वर्जन-

- आज का यूथ बहुत समझदार है. वह समझ चुका है कि देश किन हाथों में सुरक्षित रहेगा. देश की सेना पर जो लोग सवाल उठाते है उससे यूथ यह समझ गया है कि वह अगर ये लोग सत्ता पाएंगे तो तय है कि वह दुश्मन देश को गले ही लगाएंगे, ऐसे नेताओं को यूथ का वोट कतई नहीं मिलेगा.

- हेल्थ, डेवलपमेंट और एजूकेशन के क्षेत्र में वर्तमान गवर्नमेंट ने काफी काम किया है. आयुष्मान जैसी योजनाओं ने तमाम गरीबों के लिए अच्छे इलाज के रास्ते खोल दिए हैं, इस गवर्नमेंट में बहुत से चेंजमेंट नजर आते हैं. आज हम व‌र्ल्ड में पॉवरफुल कंट्री की लिस्ट में चुने जाते हैं, जो हमारे लिए गर्व की बात है.

- भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सख्त कदम उठाने वाली गवर्नमेंट चाहिए. यह गवर्नमेंट इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन कई बार ऊपर बैठे लोग ईमानदारी दिखाते हैं. लेकिन, नीचे बैठे लोग करप्शन से बाज नहीं आते हैं. ऐसे कर्मचारी-अधिकारी की जगह सरकारी कुर्सी नहीं बल्कि जेल होनी चाहिए.

कड़क मुद्दा
शिक्षा का स्तर पहले से सुधर रहा है. नकल माफियाओं पर लगाम कसी है. यह बात नकल माफियाओं को नागंवार गुजर रही है. समय आ चुका है कि हम सब इस मुद्दे को लेकर सख्ती के साथ निपटें. मतलब अगर कभी हमारा ही बच्चा यह बताए कि कॉलेज या स्कूल में नकल कराई जा रही है, तो हमें इसका विरोध करना चाहिए. इस तरह के बदलाव अब कंट्री में देखने को मिल रहा है. इस सरकार ने देश में उच्च शिक्षा के साधन में बढ़ोत्तरी की है. इससे यूथ को पढ़ने के लिए अब विदेश की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा.

मेरी बात-
स्वच्छता अभियान जैसे अभियान से लोगों में सिविक सेंस कुछ हद तक डेवलप होने लगा है. हमारे यूथ गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा लेकर पॉजिटिव सोच के साथ हर क्षेत्र में उतर रहे हैं. पुरानी सोच की यहां कोई जगह नहीं है. हम टैलेंटेड हैं तो खुद ब खुद अपने हिस्से का काम और दाम तलाश लेंगे. लेकिन, जिनके पास काबलियत ही नहीं है, वो सिर्फ अनइम्प्लॉयमेंट को मुद्दा बनाते हुए रोना रोते हैं. टेलैंटेड को नौकरी, रोजगार सब मिल रहा है.

राजनीति अपनी जगह है और देश भक्ति अपनी जगह. यह बात नेताओं और प्रत्याशियों को याद रखनी चाहिए. हाल ही में किसी नेता ने जवानों के शौर्य पर फिर से सवाल खड़ा किया है, जो उनकी औछी मानसिकता को दर्शाता है. ऐसे लोगों के साथ जनता अपना इंसाफ जरूर करेगी. वोट दिखावे पर नहीं काम पर जाएगा. ऐसी पार्टी को कतई नहीं चुनेंगे जिसके नेता देश की सेना पर सवाल उठाने वाले सुबूत गैंग के सदस्य बन गए हैं.

राघव वर्जन
मुझे बचपन में यह बताया गया था कि बेटा कचरा डस्टबिन में ही डालना है. सड़क क्रॉस करते वक्त लाइट्स का ध्यान रखना है और अपनी किसी हरकत से दूसरों के लिए समस्या खड़ी नहीं करनी है. लेकिन, इसके बाद लोग अपने बच्चों को यह शिक्षा देना भूल सा गए हैं. इसी रीजन से आज का यूथ सारे रूल्स अपने अनुसार ही बना रहा है. रिजल्ट आए दिन होने वाले दर्दनाक हादसों के रूप में देखने को मिलता है. काश हम अपनों के माइंड में सिविक सेंस जगा सकें.