- गोरखपुर-दिल्ली रूट पर सेफ नहीं ट्रेन पैसेंजर्स का लगेज

- चोरी होने पर जीआरपी झाड़ लेती है पल्ला, दिल्ली जाकर दर्ज हो पाता है केस

GORAKHPUR: गोरखपुर जंक्शन से नई दिल्ली जाने वाले मुसाफिर चोरों के निशाने पर हैं। गोरखपुर से होकर गुजरने वाली दिल्ली की ज्यादातर ट्रेंस में पैसेंजर्स का सामान चोरी होता है। रास्ते में होने वाली चोरियां जीआरपी के लिए सिरदर्द बन गई हैं। ट्रेन के लंबे सफर में चोरी गए सामानों की पेंडिंग फेहरिस्त कम करने के लिए दरोगा अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। यहां सामान चोरी होने पर पैसेंजर्स को नई दिल्ली पहुंचने पर एफआईआर दर्ज कराने को कह दिया जाता है। इसके बाद मामला सिर्फ यहां से वहां झूलता रहता है। जीआरपी के अधिकारियों का कहना है कि रेलवे में अपराध रोकने के लिए पेट्रोलिंग बढ़ाई गई है। ट्रेंस की नियमित जांच पड़ताल करा सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित किया जा रहा है। पुराने मामलों में पकड़े गए अपराधियों की निगरानी करके उनकी हरकतों पर नजर रखी जा रही है।

स्टेशन पहुंचते ही चोरी का खतरा

गोरखपुर जंक्शन से होकर विभिन्न जगहों तक रेलगाडि़यां जाती हैं। रेलवे से जुड़े लोगों का कहना है कि दिल्ली के लिए आधा दर्जन से अधिक ट्रेंस से पैसेंजर्स सफर करते हैं। गोरखपुर से दिल्ली जाने वाले रेलगाडि़यों में चोरों-उचक्कों, बदमाशों का बोलबाला है। गोरखपुर से चलकर दिल्ली जाने वाली ट्रेंस में अक्सर चोरी की वारदातें सामने आती हैं। यात्रा के दौरान सामान चोरी होने पर परेशान हाल पैसेंजर्स दिल्ली के आनंद विहार जंक्शन पर पहुंचकर केस दर्ज कराते हैं। केस दर्ज करने के बाद जीआरपी की मुश्किल और बढ़ जाती है। ट्रेन के लंबे ट्रैक पर हुई वारदात को पर्दाफाश में शामिल चोरों की तलाश में पसीने छूट जाते हैं। ज्यादातर मामलों में जीआरपी चोरों को पकड़ नहीं पाती है। पैसेंजर्स के सामान भी बरामद नहीं हो पाते हैं। इसलिए मामलों को वहां पर ट्रांसफर कर दिया जाता है जहां से यात्रा प्रारंभ हुई रहती है। रेल की पटरियों पर दो थाना क्षेत्रों के बीच पैसेंजर्स पिसकर रह जाते हैं। इसलिए मुकदमा दर्ज कराने के बाद भी यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ती है। जीआरपी के आंकड़ों पर गौर करें तो यात्रियों संग चोरी की अधिकांश घटनाएं दिल्ली रूट पर हुई हैं। एक साल के भीतर जीआरपी में चोरी से संबंधित 48 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि गोरखपुर जीआरपी में महज 19 केसेज दर्ज कराए गए हैं जिनको विवेचना के लिए दूसरी जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया है।

कहां से कहां तक कितनी वारदात

जून 2017-18 तक

गोरखपुर से दिल्ली 36

गोरखपुर से जम्मूतवी 06

गोरखपुर से भोपाल 01

गोरखपुर से अजमेर 02

इन धाराओं में दर्ज ज्यादातर वारदातें

धारा 380- संपति की अभिरक्षा के लिए उपयोग में आने वाले स्थान से चोरी।

धारा 379- किसी का कीमती सामान चोरी करना, चोरी का अपराध करना

धारा 356- हमला, बल प्रयोग करके किसी व्यक्ति द्वारा ले जाई जा रही संपति चुराने का प्रयास।

धारा 411- चोरी की संपति को अपने कब्जे में रखना, बेईमानी से प्राप्त करना, बरकरार रखना

क्या आती है प्रॉब्लम

- ट्रेन में चोरी होने पर एफआईआर दर्ज कराने की व्यवस्था है।

- विवेचना के लिए मामलों को संबंधित थाना क्षेत्र को ट्रांसफर किया जाता है।

- ट्रेन के सफर में जगह-जगह स्टॉपेज होने से चोरों का सुराग लगा पाना आसान नहीं होता है।

- जीआरपी के थाना प्रभारी अपने-अपने क्षेत्र में जांच पड़ताल करके कार्रवाई पूरी करते हैं।

- दूसरे प्रांत और जिलों के अभियुक्तों को अरेस्ट करने में पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।

- पुलिस के अलावा मुकदमा दर्ज कराने वाले पीडि़तों की लापरवाही से भी विवेचना पेंडिंग रह जाती है।

दिल्ली की प्रमुख ट्रेंस

हमसफर एक्सप्रेस

आम्रपाली एक्सप्रेस

सत्याग्रह एक्सप्रेस

संपर्कक्रांति एक्सप्रेस

गोरखधाम एक्सप्रेस

वैशाली एक्सप्रेस

सप्तक्रांति एक्सप्रेस

अवध आसाम एक्सप्रेस