- 72 दिन बाद भी एलबीएस फर्जीवाड़े का खुलासा नहीं कर पाई पुलिस
- 12 अहम सबूतों के बाद भी खुलासा न होना उठा रहा पुलिस की काबलियत पर सवाल
देहरादून। 72 दिन 12 पुख्ता सबूत, फिर भी गुनाहगार का पता नहीं। बात लालबहादुर शास्त्री आईएएस एकेडमी (एलबीएस) में फर्जी आईएएस अधिकारी पकड़े जाने के प्रकरण की हो रही है। जिसमें सारे सुबूतों की मौजूदगी के बावजूद पुलिस की अब तक की कार्रवाई उसे नाकारा साबित कर रही है। साथ ही मामले में एक के बाद एक जांच अधिकारी बदले जाने से भी पर्दे के पीछे 'हाईप्रोफाइल प्रेशर' की बात सामने आ रही है।
छह माह रही थी फर्जी आईएएस
मसूरी स्थित प्रतिष्ठित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक एकेडमी प्रबंधन ने 30 मार्च को फर्जी आईएएस अधिकारी रूबी चौधरी के खिलाफ मसूरी थाने में मुकदमा दर्ज करवाया गया था। रूबी पर छह माह से अधिक समय तक फर्जी तरीके से एलबीएस में रहने का आरोप था। पुलिस ने 3 अप्रैल को रूबी को नेहरू कॉलोनी एरिया से गिरफ्तार किया।
रूबी के आरोपों से मचा है हड़कंप
रूबी ने एकेडमी के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन पर 20 लाख रुपये की डील कर लाइब्रेरियन के पद पर नौकरी लगाने का झांसा देने का आरोप लगाते हुए 5 लाख रुपये दे दिए जाने की बात कही। इस आरोप से हाईप्रोफाइल हो गए मामले में गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने रूबी को रिमांड पर लेकर फर्जीवाड़े से संबंधित कई सबूत जुटाए।
पुलिस कार्रवाई भी संदिग्ध
मामले में एलबीएस प्रशासन के साथ पुलिस की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। क्योंकि कड़ी सुरक्षा वाले एकेडमी परिसर में बिना किसी अधिकारिक स्वीकृति के रूबी के लिए अंदर आना जाना आसान नहीं था, जो साफ दर्शाता है कि रूबी के साथ किसी अधिकारी की मिलीभगत जरूर है। इसके अलावा रूबी के पास से मिली लाइब्रेरी की किताबे और अन्य दस्तावेज भी एलबीएस प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा करती है।
ये हैं 12 अहम सूबत
- रूबी के पास से मिली एलबीएस लाइब्रेरी की दो दर्जन से अधिक किताबे
- रूबी के पास से मिला एसडीएम पद का फर्जी आईकार्ड
- रूबी द्वारा एलबीएस पहुंचे राष्ट्रपति के साथ प्रशिक्षु की ड्रेस में खिंचवाई की फोटो
- एलबीएस एकेडमी के सुरक्षा गार्ड देवी सिंह के बयान
- एकेडमी के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन के खिलाफ दिए गए रूबी के बयान
- प्रशिक्षु आईएएस की ड्रेस सिलने वाले मसूरी के टेलर के बयान
- रूबी के एकेडमी में ठहरने के दौरान सुरक्षा ड्यूटी में तैनात सेना के जवानों के बयान
- फेसबुक के आधार पर मिली रूबी के बारे में अहम जानकारी
- फोन कॉल के आधार पर रूबी और एकेडमी अधिकारियों का कॉल रिकॉर्ड
- रूबी और एकेडमी अधिकारियों की अधिकारियों की सांठगांठ को लेकर कब्जे में लिए गए दस्तावेज
- लखनऊ स्थित लोक सेवा आयोग के कार्यालय से कब्जे में लिए गए दस्तावेज
- दिल्ली में तैनात केंद्र सरकार के कुछ कर्मचारियों के बयान
ऐसे उठ रहे हैं सवाल
- पुलिस की कार्यप्रणाली पर सबसे अहम सवाल उसका मुकदमे में सिर्फ आईपीसी की धारा 420 दर्ज करना रहा।
- कानून के जानकारों का कहना है कि इस मुकदमे में आपराधिक षडयंत्र (120-बी) के अलावा अनाधिकृत तौर पर एकेडमी में रहने के आरोप में धारा 417 भी लगाया जाना अनिवार्य था।
- इसी कमजोर एफआईआर के चलते कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाते हुए रूबी को मामले में जमानत दे दी।
- रूबी की तरफ से पुलिस को दी गई एकेडमी के डिप्टी डायरेक्टर पर गंभीर आरोप वाली तहरीर पर अब तक मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना।
- खुद पुलिस की तरफ से संस्तुति के बावजूद स्टेट गर्वनमेंट का सीबीआई से जांच कराए जाने से इन्कार कर देना।
- तीन महीने के अंतराल में ही इस मामले में दो जांच अधिकारियों का एसआईटी की बागडोर छोड़ने के चलते तीसरे अधिकारी की नियुक्ति करने की नौबत आना।