हाल-ए-हॉस्टल
महारानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स हॉस्टल
1974 में हुआ था शिलान्यास
220 कमरे हैं कुल
450 छात्राएं रहती हैं
4 आउट सोर्सिग कर्मचारी हैं
2 कर्मचारी हैं
18 ब्लॉक सर्वेट्स हैं
6 महिला सिक्योरिटी गार्ड्स हैं।
2 सीसीटीवी कैमरे हैं।
10 जर्जर कमरे हैं।
2 मेस हैं।
5 आरओ हैं।
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- DDUGU के महारानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स हॉस्टल में एंट्री लेने वाले से कोई पूछने वाला नहीं
- टॉयलेट में दरवाजे नहीं, हॉस्टल में न सुप्रिटेंडेंट, न मैट्रन और न ही सफाई कर्मचारी की नियुक्ति
GORAKHPUR: डीडीयूजीयू के चार ब्वॉयज और एक गर्ल्स हॉस्टल की हालत से आपको रू-ब-रू कराने के बाद आज हम आपको ले चल रहे हैं उस हॉस्टल में, जो रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर है। नाम है- महारानी लक्ष्मीबाई गर्ल्स हॉस्टल लेकिन आप नाम पर न जाइए। हॉस्टल की सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है कि इसमें रहने वालीं छात्राएं घबराई रहती हैं। कभी भी कोई अंदर जाता है और बाहर आता है, तैनात सुरक्षाकर्मी कोई सवाल नहीं पूछतीं। बेधड़क लड़के भी अंदर चले जाते हैं। असुरक्षा के साथ ही हॉस्टल में तमाम असुविधाएं हैं। न कोई सुप्रिटेंडेंट है, न मैट्रन है और न ही कोई सफाई कर्मचारी। टॉयलेट में दरवाजे तक नहीं हैं। अव्यवस्था ऐसी कि व्यवस्था करने वाली वार्डेन खुद ही कहती हैं कि यदि अब भी सुधार नहीं हुआ तो वे अपना पद ही छोड़ देंगी।
गप्प लड़ाती नजर आई गार्ड्स
दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट रिपोर्टर शनिवार की दोपहर करीब 2 बजे महारानी लक्ष्मी बाई गर्ल्स हॉस्टल में पहुंचा। तीन महिला सुरक्षा गार्ड्स आपस में गप्प लड़ा रही थी। एक तरफ एक लड़का और लड़की बातचीत कर रहे थे। तभी एक लड़की हॉस्टल से निकली और रजिस्टर पर खुद ही कुछ लिखकर एक लड़के के साथ बाइक पर चली गई। वहां मौजूद किसी भी गार्ड्स ने कुछ न तो लड़कियों से और न ही लड़कों से ही कोई सवाल पूछा। बाद में लड़कियों ने भी बताया कि हॉस्टल में बेरोकटोक कोई भी आता-जाता है, गार्ड्स उन्हें नहीं रोकती, इस कारण वे असुरक्षित महसूस करती हैं। अभी रिपोर्टर वहां खड़ा ही था कि वार्डेन प्रो। सुषमा पांडेय पहुंच गई। उन्होंने भी लड़के और लड़की को बातचीत करते देखा। गर्ल्स को फटकार लगाई और सुरक्षा गार्ड्स को भी चेतावनी दीं।
एक कमरे में दो-दो गर्ल्स
रिपोर्टर ने जब हॉस्टल की समस्या को लेकर वार्डेन से बातचीत शुरू की तो वह सवालों से बचने की कोशिश करती रहीं। लेकिन, जब रिपोर्टर ने आंखों देखी प्रॉब्लम्स पर उनसे पूछना शुरू किया तो उन्हें जवाब देना ही पड़ा। बोलीं कि उनके हॉस्टल में गोदावरी, कालिंदी, मंदाकिनी, कांदबरी भवन हैं। गोदावरी में 54, कालिंदी में 54, मंदाकिनी में 51 व कादंबरी फर्स्ट में 54 और सेकेंड में भी 54 कमरे हैं। इन सभी भवन को मिलाकर कुल 220 कमरे हैं लेकिन इनमें 450 छात्राएं रहती हैं। एक-एक कमरे में दो-दो लड़कियों को किसी तरह शिफ्ट किया गया है। कुछ छात्राओं को तो दो बड़े-बड़े हाल में रखा गया है।
बिन दरवाजों के टॉयलेट
हॉस्टल के अंदर जाने पर प्रॉब्लम ही प्रॉब्लम दिखा। वार्डेन के सामने ही गर्ल्स ने समस्याओं पर बोलना शुरू किया। कहा कि टॉयलेट और बाथरूम में दरवाजे नहीं हैं। रिपोर्टर ने खुद चेक किया तो कंप्लेंट सही थी। कई टॉयलेट बिना दरवाजों के थे तो कई दरवाजों में सिटकनी नहीं थी। कहीं भी सफाई नहीं थी। पता चला कि एक भी सफाई कर्मी नहीं है। नाले जाम हैं और इनमें फैली गंदगी से संक्रमण का खतरा रहता है।
कोई मेनू नहीं, रोज एक ही खाना
इस हॉस्टल में दो मेस है, लेकिन दिन के हिसाब से कोई मेनू तय नहीं है। रोज एक ही खाना परोसा जाता है। गर्ल्स ने बताया कि उस खाने में न स्वाद होता है, न क्वालिटी। चावल, दाल, रोटी सब्जी में ही मेस सिमट गया है। इसी खाने के लिए रोज के हिसाब से गर्ल्स को 67 रुपए पे करने होते हैं।
कोई गेम्स नहीं
गर्ल्स हॉस्टल के कमरों तक ही सिमटी रहती हैं। इनके लिए कोई स्पोर्ट्स ग्राउंड नहीं है। गर्ल्स ने बताया कि वॉलीबाल व बैडमिंटन जैसे गेम्स होने चाहिए लेकिन यहां ऐसा कुछ भी नहीं है।
बेकार हैं सीसीटीवी कैमरे
हॉस्टल में दो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन ये किसी काम के नहीं हैं। सुरक्षा गार्ड्स भी हैं लेकिन कोई भी गेट पर आता जाता है, सुरक्षाकर्मी टोकते नहीं हैं।
हॉस्टल के बाहर ब्वॉयज का जमावड़ा
गर्ल्स का कहना है कि उनके हॉस्टल के बाहर अक्सर अराजक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन इन्हें हटाने के लिए सुरक्षा गार्ड्स कुछ नहीं कर पाती हैं।
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प्रॉब्लम ही प्रॉब्लम
- पानी टंकी की कैपेसिटी काफी कम है, जिससे पानी की दिक्कत होती है।
- एक भी सुप्रिटेंडेंट नहीं हैं।
- टॉयलेट और बाथरूम में दरवाजे नहीं हैं।
- मेस का कोई मेनू नहीं, रोज मिलता एक ही खाना।
- सुरक्षा व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं गर्ल्स, किसी की भी हो जाती बेरोकटोक एंट्री।
- मेनगेट पर आने-जाने वाली छात्राओं से पूछताछ करने के लिए कोई कर्मचारी नहीं।
- देखभाल के लिए मैट्रन तक नहीं।
- बिजली चले जाने पर हॉस्टल में रहता है अंधेरा, नहीं है जेनरेटर।
- हॉस्टल के भीतर लगी पानी की टंकी व पाइप पुरानी हो चुकी है। पाइप कई जगह जाम है, जिससे वाटर फ्लो काफी कम है।
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कॉलिंग
हॉस्टल की बिल्िडग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। कहने के लिए डीडीयूजीयू का गर्ल्स हॉस्टल है, लेकिन किसी काम का नहीं है। सफाई पानी की प्रॉपर कोई व्यवस्था नहीं है।
आकांक्षा, छात्रा
इस हॉस्टल का हाल मत पूछिए सर, लगता ही नहीं है कि यह लड़कियों का हॉस्टल है। ज्यादातर बाथरूम में दरवाजे ही नहीं हैं। वार्डेन से शिकायत की जाती है लेकिन उनकी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट वाले नहीं सुनते हैं।
पारूल, छात्रा
टॉयलेट और बाथरूम का बुरा हाल है। मेस में कोई मेनू नहीं है। बिना स्वाद का खाना परोसा जाता है लेकिन यहां की समस्या की शिकायत का कोई फायदा नहीं होता है।
पूर्णिमा मणि त्रिपाठी, छात्रा
बहुत पुरानी बिल्िडग है। यहां समस्या की कमी नहीं है। बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर है। सफाई व्यवस्था हो या फिर यहां के बाथरूम, ज्यादातर के दरवाजे ही टूटे हुए हैं। जिनकी मरम्मत ही नहीं होती है।
पूजा, छात्रा
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वर्जन
देखिए, मैं अकेले क्या-क्या करूं? हमारे यहां सुप्रिटेंडेंट तक नहीं है। 450 लड़कियां हैं। इन सभी को संभालना बहुत मुश्किल है। हॉस्टल में समस्या का अंबार है जिसे दूर करने के लिए कई बार यूनिवर्सिटी के जिम्मेदार को लेटर लिख चुकी हूं। लेकिन कोई सुनता ही नहीं है। यहीं हाल रहा तो वार्डेन पद ही छोड़ दूंगी।
- प्रो। सुषमा पांडेय,
वार्डेन,
महारानी लक्ष्मी बाई गर्ल्स हॉस्टल