-क्वीनमेरी, डेंटल सहित ई विभागों में सरकारी धन का दुरुपयोग

-पीएसी तक पहुंचा मामला तो ठेकेदार से कराया पेमेंट

LUCKNOW: केजीएमयू में क्वीन मेरी, कार्डियोलॉजी, डेंटल से लेकर कई विभागों में घोटाले तो हुए लेकिन केजीएमयू प्रशासन ने न तो जांच की और न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई। हालांकि ऑडिट में इन घोटालों की पोल खुल गई। कई मामले अभी पब्लिक एकाउंट कमेटी (पीएसी) में भी पेंडिंग हैं।

प्राइवेट वार्ड से लगाया चूना

आडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि क्वीन मेरी अस्पताल के प्राइवेट वार्ड और सुपर डीलक्स वार्डो के संचालन की जिम्मेदारी प्राइवेट फर्म को दे दी गई। जिससे केजीएमयू को करीब 22 लाख का नुकसान हुआ। 2013 में इस पर सवाल उठने के बावजूद केजीएयमू नहीं सुधरा और कंपनी की जगह खुद ही बिल पे करता रहा।

बैकफुट पर केजीएमयू

विधानसभा में गठित पीएसी कमेटी के समक्ष जब यह सवाल आया तो केजीएमयू प्रशासन बैकफुट पर आ गया। पीएसी ने केजीएमयू वीसी, रजिस्ट्रार, वित्त अधिकारी को तलब किया तो केजीएमयू ने करीब 45 लाख रुपए प्राइवेट फर्म पर दबाव डालकर जमा कराए। यह भी आरोप लगा है कि कि प्राइवेट वार्डों का समय से आवंटन न होने से केजीएमयू को पिछले कुछ वर्षो में करोड़ का नुकसान हुआ है।

जर्जर भवन में फूंके ढाई करोड़

आडिट टीम ने यह भी आब्जेक्शन लगाया है कि जिस डेंटल बिल्डिंग को गिराने का निर्णय ले लिया गया उसकी मरम्मत में केजीएमयू ने ढाई करोड़ खर्च किए। अब दोबारा जांच कराने के बाद फिर से उसे गिराने के आदेश दिए हैं। ऐसे में यह धन बर्बाद गया। इसके अलावा ब्लड बैंक में तैनात स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के भत्तों का अनियमित भुगतान कर केजीएमयू को नुकसान पहुंचाने का भी आरोप है।

उठाए सवाल

आडिट में यह भी सवाल उठा है कि विंडो एसी और रेफ्रीजरेटर की मरम्मत का काम टुकड़ों में कराकर करीब डेढ़ लाख रुपए का अधिक भुगतान किया गया। टेंडर प्रक्रिया से इसे बचाया जा सकता था। इसके अलावा कार्डियोलॉजी में एंजियोग्राफी की दरें तय न होने से भी केजीएमयू को नुकसान हुआ है।

बाक्स

एक्सरे सीटी फिल्म में भी नुकसान

केजीएमयू के अधिकारियों पर डेंटल एक्सरे और सीटी स्कैन की फिल्म में घोटाला करने के आरोप लगे हैं। आरोप है कि डेंटल एक्सरे फिल्म को अधिक दरों पर खरीदा गया। जबकि सीटी स्कैन फिल्म को निर्धारित मात्रा से अधिक दिखाया गया। इसमें भी करीब ढाई लाख का केजीएमयू को नुकसान हुआ।

कोट

क्वीनमेरी में प्राइवेट वार्ड संचालक से बिजली बिल भुगतान कराया जा चुका है। ज्यादातर आपत्तियों के जवाब पीएसी को दिए जा चुके हैं।

मो। जमा, वित्त नियंत्रक, केजीएमयू