-यमुना से पर डे निकल रहा 540 एमएलडी पानी, विद्युत ताप परियोजनाओं में पहुंच रहा
-कुंभ की तैयारी में सरकार से लेकर प्रशासन तक परेशान, गंगा-यमुना के अस्तित्व की नहीं किसी को परवाह
balaji.kesharwani@inext.co.in
ALLAHABAD: कुंभ मेला 2019 को भव्य बनाने, देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए हर तरह की सुख सुविधाएं मुहैया कराने की तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही हैं लेकिन जिस गंगा और यमुना नदी की वजह से कुंभ का अस्तित्व है, उनके अस्तित्व की किसी को चिंता नहीं है। संगम नगरी इलाहाबाद में भूमिगत जलस्तर के साथ ही प्रति दिन बड़े पैमाने पर यमुना नदी के जल का दोहन किया जा रहा है। हाईकोर्ट के साथ ही एनजीटी द्वारा रोक लगाने के बाद भी एसटीपी और नालों का पानी सीधे-गंगा यमुना में गिराया जा रहा है। यमुना का स्वच्छ पानी दोहन कर विद्युत ताप गृहों में पहुंचाया जा रहा है। इस पर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो निकट भविष्य में गंगा-यमुना में पानी दूर-दूर तक नजर नहीं आएगा।
गंगा में डाल रहे अर्धशोधित जल
हाईकोर्ट का आदेश है कि सीवरेज का शोधित पानी भी गंगा-यमुना में नहीं डाला जाए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का भी यही आदेश है। इसके बाद भी शोधित कौन कहे, नालों का पानी सीधे गंगा और यमुना में गिर रहा है। एसटीपी का भी पानी गंगा में ही डाला जा रहा है।
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गंगा में डाल रहे हैं अर्धशोधित जल
80
एमएलडी अर्द्धशोधित जल राजापुर एसटीपी से गंगा में डाला जा रहा है
80
एमएलडी अर्द्धशोधित जल सलोरी एसटीपी से गंगा में डाला जा रहा है
90
एमएलडी अर्द्धशोधित जल नुमायाडीह एसटीपी से गंगा में डाला जा रहा है
35
एमएलडी अर्द्धशोधित जल पोंगहट कोडरा एसटीपी से गंगा में डाला जा रहा है
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नदियों का शुद्ध पानी पर डे निकाल रहे
80
एमएलडी पानी का दोहन करैला बाग पम्पिंग स्टेशन से जलकल विभाग द्वारा यमुना से पर डे किया जा रहा है
96
क्यूसेक पानी का पर डे बारा विद्युत ताप गृह के लिए यमुना से किया जा रहा है दोहन
400
क्यूसेक पानी कौशांबी जनपद के किशनपुर कैनाल से यमुना से पर डे किया जा रहा दोहन
10
क्यूसेक पानी माता टीला में भी यमुना से लिया जा रहा है
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सहायक नदियों का अस्तित्व हो रहा खत्म
15
एमएलडी पानी यमुना की सहायक नदी ससुर खदेरी का अस्तित्व खत्म हो जाने से अब यमुना को नहीं मिल रहा
30
एमएलडी पानी यमुना को केन, बेतवा लिंक नदी से मिलता था, लेकिन अब उन पर ढोधन बांध बनने से यह पानी भी यमुना आना बंद हो जाएगा
बॉक्स
गंगा भी खतरे से सेफ नहीं
90
क्यूसेक पानी गंगा से दोहन कर मेजा विद्युत ताप गृह में पहुंचाने की है योजना
54
क्यूसेक पानी गंगा से दोहन कर करछना विद्युत ताप गृह में ले जाने की है प्लानिंग
गंगा में सीधे मिल रहे हैं ये नाले
मेंहदौरी नाला, द्रौपदी घाट नाला, फाफामऊ नाला, बसना नाला, रसूलाबाद नाला, शंकरघाट, शिवकुटी के पास का नाला, सलोरी नाला, बघाड़ा का नाला समेत करीब 57 छोटे-बड़े नाले सीधे गंगा नदी में गिर रहे हैं।
वर्जन
गंगा-यमुना के अस्तित्व को बचाए रखने और जलदोहन बंद करने के लिए सरकार को महानगर के शोधित जल यानी एसटीपी से निकले पानी को बारा, मेजा, करछना विद्युत ताप गृहों को दिया जाना चाहिए। इसके लिए सरकार को व्यवस्था की जानी चाहिए। इससे जलदोहन कम होगा। वहीं गंगा-यमुना का पानी स्वच्छ रहेगा।
-कमलेश सिंह
पार्षद एवं समाज सेवी
पावर प्लांट को नदियों का पानी देने की बजाय एसटीपी का पानी देने के लिए सरकार को प्रपोजल बना कर भेजा गया है। क्योंकि इसके लिए लंबे पाइप लाइन की जरूरत पड़ेगी और उसके लिए लंबे चौड़े बजट की भी आवश्यकता होगी। सरकार से स्वीकृति मिलते ही इस पर काम शुरू करा दिया जाएगा। इसके साथ ही नदियों में गिरने वाले नालों को ट्रैक किया जा रहा है ताकि उन्हें बंद कराया जा सके।
पीके अग्रवाल
जीएम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण ईकाई