PATNA : अंदर मालखाना में कबाड़ की तरह है सामान। फिलहाल थाना में कोई अपराधी या आरोपी नहीं पकड़ा गया है। मगर यहां अपराधियों या आरोपियों को पकड़ कर रखने की कोई व्यवस्था यानी हवालात ही नहीं है। इस कारण से पुलिस वाले भी अपराधियों को पकड़ने का प्रयास कम ही करते हैं।

 

मालखाना है हवालात नहीं

ऑफिस में ही मालखाना तो है, जहां कबाड़ की तरह सामान रखा गया है। ज?त शराब को रखना भी मुसीबत है। ठीक बगल में एसएचओ चैंबर है। छोटे कमरे में सिंगल बेड लगा एसएचओ का आवास है। एक बड़ा रूम बैरक है। मगर हवालात ही नहीं है, तो पकड़े गए अपराधियों को आखिर कहां रखा जाए। यह टेंशन हमेशा पुलिस अफसरों को बनी रहती है।

 

हथकड़ी लगाकर बांधते हैं ग्रिल से

यदि कोई अपराधी या आरोपी को रेल पुलिस पकड़ भी ले, तो परेशानी का दौर शुरू हो जाता है। वह कैंपस से भागे नहीं, इसका हर जुगाड़ किया जाता है। पुलिस वाले उसके हाथ या पैर में हथकड़ी लगाते और फिर टेबल या मालखाना के ग्रिल से बांध देते हैं। इस दौरान ध्यान रखते हैं कि कोई उसकी फोटो न उतारे। उसे जमीन पर टेबल के पीछे बैठाया जाता है, ताकि कोई देख न ले। एसएचओ कोशिश करते हैं कि जल्दी से एफआईआर कर उसे पटना जंक्शन रेल थाना भेज कर केस नंबर लिखवा कर या मोबाइल से पूछ कर कोर्ट में पेश कर जेल भेजा जाए। कहीं अपराधी या आरोपी चकमा दे भाग निकला, तो वरीय पुलिस अधिकारियों के द्वारा डांट से लेकर सस्पेंड होने का खतरा भी बना रहता है। इसी कारण से पटना साहिब रेल थाना की पुलिस अपराधियों या आरोपियों को पकड़ने में विशेष रुचि नहीं ले पाती है। शराबबंदी के बाद शराब के साथ पकड़े गए लोगों को भी रखना परेशानी का अलग कारण बन रहा है। हालांकि शराब के साथ पकड़ा गया कोई आरोपी पिछले करीब डेढ़ वर्ष में भागा नहीं है।

हवालात यहां नहीं होने से परेशानी तो है, मगर ऐसा नहीं कि अपराधी या आरोपी को नहीं पकड़ा जाता। अभी इस थाना के लिए भवन बनाने की घोषणा हो चुकी है। इसके बाद सब ठीक हो जाएगा।

प्रदुमन सिंह, एसएचओ पटना साहिब रेल पीपी

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