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PATNA : महापर्व छठ पर अन्य प्रदेशों से फैमिली के साथ अपने घर लौटने का सिलसिला जारी है। ऐसे में ट्रेनों और बसों में पैर रखने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। रविवार को पटना जंक्शन पर हालात ये थी कि टिकट लेने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगी थी। वहीं मीठापुर बस स्टैंड में कई यात्री ऐसे लोग थे जो सुबह 6 बजे से घर जाने के लिए बसों में सीट के लिए इंतजार कर रहे थे लेकिन दोपहर 1 बजे यानी 7 घंटे बाद भी उन्हें बस में जगह नहीं मिली। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पटना जंक्शन और मीठापुर बस स्टैंड का मुआयना किया तो पता चला जगह नहीं मिलने से यात्री बस के छत पर सवार होकर

यात्रा कर रहे हैं। जिससे अनहोनी का डर भी रहता है।

सरकारी बसों में भी ओवरलोडिंग

इतना ही नहीं, दीपावली की छुट्टी खत्म होने के बाद काम पर लौटने वालों की भीड़ भी रविवार को बस और ट्रेनों में खूब दिखी। स्थिति यह थी कि यात्री बस के छत पर किसी तरह यात्रा करने को मजबूर हैं। भागलपुर पटना इंटरसिटी से आने वाले यात्री रमेश कुमार ने बताया कि जगह नहीं मिलने से किसी तरह खड़े होकर आना पड़ा। कई यात्री ट्रेन की गेट पर बैठकर जान जोखिम में डालकर यात्रा करते दिखे। कई यात्रियों को समय पर टिकट ही नहीं मिलने से मजबूरी में बिना टिकट ही यात्रा करना पड़ा।

6 घंटे बाद भी नहीं मिली जगह

मीठापुर बस स्टैंड में सुबह 6 बजे से बस में जगह के लिए इंतजार कर रही चंद्रिका ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को बताया कि पूर्णिया जाने के लिए सुबह 6 बजे से बस का इंतजार कर रही हूं। मगर 6 घंटे गुजरने बाद भी किसी बस में बैठने के लिए जगह नहीं मिली। कंडक्टर से टिकट के लिए कहने पर रात की बस में जगह देने को कह रहा है। ऐसे में वापस लौटना मजबूरी हो गया है।

नहीं हो रहा नियमों का पालन

त्योहार आते ही राजधानी से खुलने वाली बसों  में यात्री सुविधा को ताक पर रख बस संचालक नियमों की भी अनदेखी करते हैं। रविवार को मीठापुर से खुलने वाली प्राइवेट बस सहित सरकारी बसों में भी नियमों की धज्जियां उड़ती दिखी। 40 सीटर बस में 70 से 80 पैसेंजर सामान की तरह ठूंस कर चढ़ाए गए। दरभंगा जा रहे यात्री चंदन कुमार ने बताया कि जगह के अभाव में बस की छत पर बैठना मजबूरी है।

छठ पूजा के चलते पटना जंक्शन पर टिकट के लिए लम्बी कतारें लगी है। समय से घर पहुंचने के अब चलती ट्रेन में ही टिकट बनवाऊंगा

पिंटू कुमार, यात्री, पटना जंक्शन

बस में पैर रखने तक के लिए जगह नहीं पूरे रास्ते खड़े होकर यात्रा किया हूं। सरकारी बस में भी नियमों की अनदेखी हो रही है, आखिर कहां जाएं।

हरिशंकर श्रीवास्तव, यात्री, मीठापुर स्टैंड

जगह नहीं मिलने से बस की छत पर यात्रा करना मजबूरी है। सुबह 8 बजे से इंतजार कर थे। जगह नहीं मिलने पर बस की छत पर बैठ गया हूं।

सरोज, यात्री, मीठापुर बस स्टैंड

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