पढ़िए बीबीसी संवाददाता पंकज प्रियदर्शी के साथ हुई इस बातचीत के कुछ अंश.

पटना में कैसी तैयारी है आपकी….

बहुत लोगों का प्यार और समर्थन मिल रहा है. पिछली बार से भी ज़्यादा समर्थन है. जनता को इस बात की ख़ुशी है कि मैं यहाँ से लड़ रहा हूँ. मैं और कहीं से चुनाव लड़ सकता था. दिल्ली से भी बात चल रही थी. उस दौर में मैंने कहा था कि पटना साहिब मेरा पहला विकल्प है और पटना साहिब सीट मेरा आख़िरी विकल्प है. मुझे ख़ुशी है कि पार्टी ने मेरी इच्छा का आदर किया. मैं अपने घर आया, मैं अपने शहर में आया चुनाव लड़ने.

एक मौजूदा सांसद के लिए कितना मुश्किल होता है अपने क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना और फिर उनसे अगली बार के लिए मत मांगना.

मेरा अपना ख़्याल है कि मुश्किल तो होती है. ख़तरा भी रहता है, लेकिन उनके लिए नहीं, जो काम करते हैं और उनकी छवि अच्छी है. जो काम कर रहे हों, नाम दे रहे हैं. पटना साहिब ऐसा क्षेत्र है, जहाँ काम भी हुआ है और नाम भी हुआ है. पटना में मैं पैदा हुआ, पढ़ाई लिखाई हुई, यहीं से एफ़टीआई में गया, फिल्मों में गया, राजनीति में गया.

लेकिन आपके टिकट को लेकर पार्टी संशय में क्यों थी?

मैं तो इसे इस रूप में देखता हूँ गिलास आधा भरा था. कुछ लोग इसे खाली गिलास के रूप में देखते हैं. मुझे लगता है कि मेरे नाम की घोषणा में इसलिए देरी हुई होगी क्योंकि पिछली बार भी पार्टी ने मुझसे कहा था कि आप भारत में कहीं से भी लड़ना चाहें, ये आपका पहला अधिकार होगा. तब उन्होंने पटना क्षेत्र चुना था. कुछ लोगों की इच्छा थी कि मैं दिल्ली से चुनाव लड़ूँ ताकि दिल्ली की बाक़ी सीटों पर भी इसका असर पड़े.

लेकिन आप तैयार नहीं थे...

मैं तैयार इसलिए नहीं था क्योंकि पटना में इतना अच्छा माहौल है. एक ओर जहाँ मेरे दिल में दर्द होगा तो पटना के लोगों के दिल में भी दर्द होगा. लोगों को ये महसूस होता कि मैं उन्हें छोड़कर चला गया, ख़ासकर ऐसे समय में जब पूरा देश एकजुट होकर भारत में बढ़िया, सक्षम और स्थिर सरकार देना चाह रहा है. एक ऐसा दूरदर्शी, दबंग, शानदार, जानदार, दमदार और ऐक्शन हीरो नरेंद्र मोदी को स्थापित करना चाह रहा है. भारत के प्रधानमंत्री के रूप में, उस समय मेरा बिहार में होना, अपने लोगों के बीच रहना, ख़ासकर पटना में होना उस कड़ी को मज़बूत करने के लिए , इसलिए इस मौक़े पर ये ठीक नहीं होता कि आज की इस घड़ी में मैं कहीं और से चुनाव लड़ता.

बिहार में मुझसे बड़ा स्टार सिर्फ़ एक: शत्रुघ्न सिन्हा

नीतीश कुमार से आपके काफ़ी अच्छे रिश्ते रहे हैं और खुल कर बोलते भी रहे हैं. लेकिन अब नीतीश कुमार के सुर भाजपा को लेकर काफी कड़े हैं. क्या कहेंगे आप दोस्ती या राजनीतिक दुश्मनी.

मेरा कोई भी विरोधी मेरा दुश्मन नहीं है. हैं तो हम सभी इसी समाज के. इसी परिवार के इसी घर के. इसी जगह के. हम मानते हैं शुरू से और मैंने पहले भी कहा था- मतभेद हो मनभेद ना हो. अब नीतीश कुमार हों, लालू यादव हों या सीताराम येचुरी हों या और भी हो, जिनसे हमारी व्यक्तिगत मित्रता है. उनका आदर करता हूँ मैं, वो मुझे प्यार करते हैं.

लेकिन पार्टी को ये बात नागवार गुज़री थी, जब आपने नीतीश कुमार की सराहना की थी.

मैंने बाद में समझाया उनको कि आप व्यक्तिगत रिश्तों को राजनीति की तराज़ू पर ना तौलें. मेरी माताजी का निधन हुआ था, तो सबसे पहले लालू जी आए थे. और घंटों बैठे. अगले दिन भी आए और मेरा बहुत हौसला भी बढ़ाया, सांत्वना दिया मुझे. उसी तरह जब उनकी बेटी की शादी हुई, तो कोई गया न गया मैं गया वहाँ पर. और क्यों नहीं जाऊँगा. ये तो हमारी संस्कृति है, संस्कार है. ये हमारी परंपरा है. मैंने जो किया, वो किसी राजनीति की कसौटी पर खरा उतरने के लिए नहीं किया. मैंने दोस्ती की कसौटी पर खरा उतरने के लिए ये सब काम किया. मैं जेपी से प्रभावित होकर राजनीति में आया था. मैं स्वस्थ राजनीति का प्रोडक्ट हूँ. जहाँ मुद्दे आएँगे, वहाँ लडूँगा. लेकिन आपने भी देखा होगा मैं कभी व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी नहीं करता हूँ.

पार्टी में सीनियर नेताओं को लेकर काफ़ी सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि उनकी अनदेखी हो रही है. इस विषय पर आपको क्या कहना है.

अभी मैं इन विषयों पर चर्चा करके रुख़ मोड़ना नहीं चाहता हूँ. अभी भारतीय जनता पार्टी के सभी उम्मीदवारों या दबंग उम्मीदवारों का रवैया अर्जुन की तरह है. मछली की पुतली पर हमारी नज़र है. इस समय हमारा लक्ष्य और उद्देश्य यही है कि हम कैसे राष्ट्रहित में भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराए. एक ऐसा नेतृत्व लेकर आए जो देश की इच्छा और अपेक्षा के अनुरूप है.

अगर सरकार बनती है तो क्या इस बार बिहारी बाबू को मंत्री पद और वो भी कैबिनेट मंत्री का मिलेगा?

ये तो प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है. लेकिन अगर मिलेगा तो कैबिनेट मंत्री का पद ही मिलेगा. बिहार, झारखंड से मनोरंजन दुनिया का मैं पहला स्टार हूँ, तथाकथित स्टार. वो मैं हूँ और शायद आख़िरी भी, जो उस हद तक स्टार बना है, वो शायद मैं हूँ. जब मैं भाजपा में आया था, तो उस समय पार्टी दो सीटों की पार्टी थी. उस समय दूर-दूर तक किसी ने सोचा नहीं था कि पार्टी कभी सत्ता में आएगी. हम ज़रूर पार्टी में आए और धीरे-धीरे हम आगे बढ़े और पार्टी भी आगे बढ़ी. लेकिन हम यही सोचकर आए कि सत्ता सेवा का माध्यम होगी मेवा का नहीं. मुझ पर अभी तक किसी किस्म का आरोप नहीं लगा है. मैं मंत्री बनने के लिए राजनीति में नहीं आया. जिस तरह लता मंगेशकर की आवाज़ की उनकी पहचान है. शत्रुघ्न सिन्हा का व्यक्तित्व ही उनकी पहचान है. इसलिए मेरी उस तरह की महत्वाकांक्षा नहीं है. पार्टी का आदेश मेरे लिए अध्यादेश होगा.

क्या सोनाक्षी चुनाव प्रचार के लिए आएँगी?

आवश्यकता नहीं है. मेरी बेटी हैं. लेकिन देश की बहुत बड़ी स्टार हैं. भगवान की कृपा से बहुत कम समय में इस मुकाम पर पहुँची हैं. अपनी फैमिली वैल्यू का ख़्याल रखते हुए, अपने सम्मान का ख़्याल रखते हुए, अपने पारिवारिक मूल्यों का ख़्याल रखते हुए, अपने पापा का ख़्याल रखते हुए. अब मेरे साथ ही इतनी भीड़ हो रही है, लोग उमड़-उमड़ कर आ रहे हैं. अब सोनाक्षी आ जाएँगी तो और व्यवस्था करनी पड़ेगी. अब ऐसा न हो कि कोई मसला हो जाए, कोई हलचल हो जाए. कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ. जैसा कि मैंने पहले भी कहा है मैं खुद ही एक स्टार हूँ. बिहार में तो मैं खुद ही स्टार हूँ और मेरे से बड़ी स्टार जनता है पटना की जनता है. मेरे से बड़ा स्टार सुपरस्टार एक ही है वो है पटना की जनता. और इन स्टार्स के बीच में एक यंगस्टार (सोनाक्षी) की क्या आवश्यकता है. लेकिन वो हमारी बेटी हैं. अगर वो आना चाहें तो स्वागत है उनका. मेरे बेटे लव-कुश मेरे साथ हैं. मेरी पत्नी भी साथ हैं. अगर सोनाक्षी आना चाहें, तो स्वागत है लेकिन प्रचार-प्रसार के लिए नहीं, पिताजी के सपोर्ट के लिए.

आपकी तबीयत अब कैसी है?

अब मैं ठीक हूँ. स्वस्थ हूँ और अब तो यंगर महसूस कर रहा हूँ.

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