अपनी पृथ्वी का एक चांद और भी था. आपको शायद इस बात पर विश्वास न हो लेकिन रिसर्चर्स ने दावा किया है कि लगभग चार अरब साल पहले पृथ्वी का एक दूसरा चांद था जो धीमी गति से बड़े चांद के साथ टकराया और नष्ट हो गया.

तो इसलिये है चांद में दाग...

पृथ्वी और चांद के बीच फंसा

रिसर्चर्स की इस परिकल्पना के बारे में विस्तृत जानकारी नेचर मैग्जीन में पब्लिश हुई है. रिसर्चर्स के हवाले से इसमें कहा गया है कि दूसरा छोटा चांद नष्ट होने से पहले लाखों साल तक अस्तित्व में रहा. साइंटिस्ट्स का मानना है कि लगभग चार अरब साल पहले पृथ्वी से मंगल ग्रह जैसा कोई ग्रह टकराया, लेकिन इस टकराव के मलबे से एक चांद पैदा होने की जगह दो चांद पैदा हुए. दूसरा चांद पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी और बड़े चांद के बीच में फंस गया.

बहुत धीमी थी टक्कर

इस रिसर्च से जुड़े स्विट्जरलैंड की बर्न यूनिवर्सिटी के एक डॉक्टर मार्टिन जुत्जी का कहना है कि ये टकराव बहुत ही धीमी गति से हुआ था, लगभग 2.4 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से  ये महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका मतलब है कि न कोई बड़ा झटका लगा और न ही बड़ी मात्रा में कुछ पिघला. दशकों से वैज्ञानिक बड़े चांद पर खाइयों और पहाड़ों के होने के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. अब उन्हें उम्मीद है कि नासा के अभियान एक साल के भीतर इस नई परिकल्पना को या तो सही ठहराएंगे या फिर इसे खारिज कर दिया जाएगा.

तो इसलिये है चांद में दाग...

तो इसलिए है चांद पर दाग

साइंटिस्ट्स का दावा है कि लाखों साल इसी स्थिति में रहने के बाद वह धीरे-धीरे चांद की ओर आकर्षित हुआ और लगभग 2.4 किलोमीटर प्रति सैकेंड की गति से उससे टकराया. साइंटिस्ट्स का मानना है कि धीमी गति से छोटे चांद के बड़े चांद से टकराने के कारण ही चांद की पृथ्वी से नजर आने वाली सतह पर कई खाइयां दिखती हैं. इन्हें साहित्यकार चांद में दाग बताते हैं. चांद का जो भाग पृथ्वी से नजऱ नहीं आता है, उस ओर इस टकराव की वजह से लगभग 3000 मीटर ऊंचे पहाड़ पैदा हो गए.

 

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